दुनिया के मजदूरों एक हो: श्रम मंत्री मल्ला रेड्डी ने श्रमिकों को दी मई दिवस की शुभकामनाएं, रवींद्र भारती में भव्य कार्यक्रम

हैदराबाद: श्रम-मंत्री चामकुरा मल्ला रेड्डी ने मई दिवस के अवसर पर तेलंगाना के सभी श्रमिकों को बधाई दी। मंत्री ने स्थानीय रवींद्र भारती में रविवार को होने वाले मई दिवस समारोह में बड़ी संख्या में लोगों से भाग लेने का आह्वान किया है। मई दिवस समारोह के अंतर्गत तेलंगाना सरकार की ओर से श्रमिकों और सर्वश्रेष्ठ नियोक्ताओं को पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

मंत्री मल्ला रेड्डी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण तीन साल से मई दिवस समारोह आयोजित नहीं किया गया। इस बार मई दिवस को दोगुने उत्साह के साथ आयोजित किया जा रहा है। रविवार सुबह 10 बजे मई दिवस उत्सव शुरू हो जाएगा। बड़ी संख्या में श्रमिकों, नियोक्ताओं और अन्य उत्साही लोगों को भाग लेने का आह्वान किया है।

मई दिवस का संक्षिप्त परिचय

हर साल 1 मई को देश-दुनिया में मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल एक मई का दिन इनको समर्पित होता है। इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस, मजदूर दिवस, मई डे के नाम से जाना जाता है। मजदूर दिवस का दिन ना केवल श्रमिकों को सम्मान देने के लिए होता है बल्कि इस दिन मजदूरों के हक के प्रति आवाज भी उठाई जाती है। तात्पर्य श्रमिकों को समान अधिकार मिल सके।

1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो में आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर सड़कों पर आ गये थे और वो अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने लगे। इस तरह के आंदोलन का कारण था काम के घंटे क्योंकि मजदूरों से दिन के 15-15 घंटे काम लिया जाता था। आंदोलन के बीच में मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी और कई मजदूरों की जान चली गई। वहीं 100 से ज्यादा श्रमिक घायल हो गए। इस आंदोलन के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई। जिसमे तय हुआ कि हर मजदूर से केवल दिन के 8 घंटे ही काम लिया जाएगा।

इसी सम्मेलन में 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही हर साल 1 मई को छुट्टी देने का भी फैसला लिया गया। अमेरिका में श्रमिकों के आठ घंटे काम करने के निमय के बाद कई देशों में इस नियम को लागू किया गया। इसमें भारत भी शामिल है। अमेरिका में भले ही 1 मई 1889 को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव आ गया हो। लेकिन भारत में ये आया करीब 34 साल बाद। भारत में 1 मई 1923 को चेन्नई से मजदूर दिवस मनाने की शुरूआत हुई। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में ये फैसला किया गया। इस बैठक को कई सारे संगंठन और सोशल पार्टी का समर्थन मिला। जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। इसका नेतृत्व कर रहे थे वामपंथी।

1 मई को हर साल मजदूर दिवस मनाने का उद्धेश्य मजदूरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान करना और योगदान को याद करना है। इसके साथ ही मजदूरों के हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करना और शोषण को रोकना है। इस दिन बहुत सारे संगठनों में कर्मचारियों को एक दिन की छुट्टी दी जाती है। (एजेंसियां)

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