हैदराबाद : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को 23 सितंबर तक कोविड से हुई मौत पर मुआवजा देने की गाइडलाइन जारी कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिये है। साथ ही कोर्ट ने कोविड मरीज के खुदकुशी करने वाले को कोविड से मौत ना मानने के फैसले पर फिर से विचार किया जाये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। गाइडलाइन में कुछ ऐेस मुद्दे हैं, जिन पर सरकार फिर से विचार करे। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
टेस्टिंग की तारीख या कोविड-19 मामले में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित तारीख से 30 दिनों के भीतर होने वाली मौतों को कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के रूप में माना जाएगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह बात कही है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोविड से संबंधित मौतों के लिए ‘आधिकारिक दस्तावेज’ जारी करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किये गये हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोविड से हुई मौत पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद केंद्र ने मामले में हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे में कहा कि भले ही रोगी की मृत्यु अस्पताल या फिर इन-पेशेंट सुविधा की जगह हो गई है। अगर कोई कोविड- 19 मरीज अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में 30 दिनों से अधिक समय तक भर्ती रहता है और फिर उसकी मौत हो जाती है तो उसे कोविड- 19 की मृत्यु के रूप में माना जाएगा।
साथ ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना के कारण होने वाली मौतों के कारण होने वाली मौतों को कोविड-19 की मौत नहीं माना जाएगा। भले ही कोविड-19 के लक्षण इसके साथ है। दिशानिर्देशों के अनुसार, उन कोविड-19 मामलों पर विचार किया जाएगा। इसका निदान आरटी-पीसीआर परीक्षण, आणविक परीक्षण, रैपिड-एंटीजन परीक्षण के माध्यम से किया गया है या किसी अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में जांच के माध्यम से डॉक्टर द्वारा मेडिकल रूप से निर्धारित किया गया है।
कोविड-19 मामले जो हल नहीं हुए हैं और या तो अस्पताल में या घर पर मौत हुई और जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया गया है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969 की धारा 10 के तहत आवश्यक दिशानिर्देशों के अनुसार एक कोविड-19 मृत्यु के रूप में माना जाएगा। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे। केंद्र के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जहां एमसीसीडी उपलब्ध नहीं है या मृतक के परिजन एमसीसीडी में दी गई मौत के कारण से संतुष्ट नहीं हैं और जो इसके दायरे में नहीं आते हैं, ऐसे में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिला स्तर पर एक समिति का गठन कर सकतो हैं।
आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा कि सरकार जब तक कदम उठाएगी तब तक तो तीसरी लहर भी बीत चुकी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। (एजेंसियां)