हैदराबाद : पूर्व क्रांतिकारी छात्र मंच (तेलुगु- पूर्व विप्लव विद्यार्थुला वेदिका) के नेतृत्व में ‘संकट में क्रांतिकारी आंदोलन’ विषयक सम्मेलन (तेलुगु- संक्षोभकालमलो विप्लवोद्यमम् सदस्सु) 13 अक्टूबर को बागलिंगमपल्ली स्थित सुंदरय्या विज्ञान केंद्र के दोड्डी कोमरय्या सभागार में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता कामरेड प्रवीण कुमार ने किया। जबकि कामरेड पानी की लिखित पुस्तक ‘शांति चर्चलु, प्रजास्वाम्यम-विप्लोद्यमम्-वादोपवादालु कलबोता’ का लोकार्पण कामरेड मालती (दिवंगत रामचंद्र रेड्डी उर्फू राजू की पत्नी) ने किया।



इस कार्यक्रम में कामरेड हुसैन, कामरेड एन वेणुगोपाल, कामरेड्डी रवि नर्ला, अधिवक्ता लक्ष्मण और पुस्तक के लेखक पानी ने संबोधित किया। वक्ताओं ने ऑपरेशन कगार और कथित मुठभेड़ के नाम पर की जा रही हत्याओं की कड़ी शब्दों में भर्त्सना की। उन्होंने यह भी कहा कि मल्लोजुला वेणुगोपाल के पत्रों ने लोगों को गुमराह किया है। वह अपने स्वार्थ के कारण आत्मसमर्पण का फैसला लिया। हथियार छोड़ना मल्लोजुला का फैसला गलत है। हालांकि, इस समय लोगों में माओवादी आंदोलन पर पूरा भरोसा है। वर्तमान सरकार से लोकतंत्र के जरिए लोगों की जीवन में सुधार की कल्पना करना असंभव है।

वक्ताओं ने आगे कहा कि माओवादियों के समाप्त करने के नाम पर आम लोगों पर अनेक प्रकार के दमन किये जा रहे है। इस समय ऑपरेशन कगार के नाम पर मासूम लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले सशस्त्र संघर्ष करने वालों को कम्युनिस्ट कहा गया था। बाद में नक्सलाड़ी या नक्सलाइट कहा गया। अब माओवादी कहा जा रहा है। हालांकि अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों का जन्म इस देश में कईं रूपों और नामों से हुआ है। भविष्य में भी नये नामों से अन्याय खिलाफ आंदोलन किये जाएंगे। मार्च 2026 तक माओवाद समाप्त करना भ्रम मात्र है।
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वक्ताओं ने यह भी कहा कि नगरों में रहने वाले बुद्धिजीवियों और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वालों को ‘अर्बन नक्सलाइट’ कहा गया। अब माओवादी आंदोलन का समर्थन करने वालों को ‘हथियार पंडित’ कहा जा रहा है। उन्होंने देश में जारी दमन के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन आंदोलन करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।

