‘गुमनाम फ़रिश्ते’ लोकार्पित, डॉ मूर्ति बोले- “यह पुस्तक कमजोर वर्ग पर होते अन्याय एवं अत्याचारों का आईना है”

हैदराबाद (देवा प्रसाद मयला की रिपोर्ट): राइटर्स एंड जर्निस्ट्स एसोसिएशन इंडिया (वाजा) तेलंगाना इकाई एवं राइटर्स एंड जर्निस्ट्स एसोसिएशन इंडिया (वाजा) आंन्ध्र प्रदेश इकाई के संयुक्त तत्त्वावधान में डॉ निर्मला चिट्टिल्ल द्वारा डॉ पीएस मूर्ति की ‘The Unsung Angles of India’ की हिन्दी में अनूदित पुस्तक ‘गुमनाम फ़रिश्ते’ का लोकार्पण कार्यक्रम बंजारा हिल्स स्थित डॉ मूर्ति जी के निवास पर संपन्न हुआ। वाजा तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष एवं जाने-माने कथाकार एन आर श्याम की अध्यक्षता में कार्यक्रम का संचालन करती हुई डॉ निर्मला ने कहा कि वे गर्व महसूस करती हैं कि उन्हें मूर्ति जी की एक सम्माननीय कृति का अनुवाद करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। यह उनका पांचवां अनुवाद कार्य है। इस कृति में उनकी भावनाएँ संलग्न हैं।

साहित्यकार डॉ कुमुद बाला ने कहा…

मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ कुमुद बाला के करकमलों से पुस्तक लोकार्पण हुआ। अनंतर कुमुद बाला ने संतुष्टि जताई कि उनके पिताजी ने भी मूर्ति जी की ही तरह अवसरमंद की सेवा की, परंतु उन्हें सामाजिक क्लेश झेलना पड़ा। आज भारत इससे उभरता गोचर हो रहा है। उन्हें इस अनूदित कृति का प्राक्कथन लिखने का अवसर प्राप्त हुआ है और इस कारण वे स्वयं को धन्य मानती हैं। संदर्भ में वृद्धावस्था में पहुंचे सेवानिवृत्त मेडिकल सर्जन डॉ मूर्ति जी ने अपने उद्गार में स्मरण किया कि विदेशी नौकरी छोड़, भारत लौटकर यहां के निम्नवासियों की सेवा में उन्होंने अपना जीवन किस तरह व्यतीत किया है। ऐसे ज़रूरतमंद लोगों के लिए वे समर्पित हैं। उनकी यह पुस्तक कमजोर वर्ग पर होते अन्याय एवं अत्याचारों का आईना है।

डॉ गोपालकृष्ण ने मूर्ति बोले…

अवसर पर बोलते हुए मूर्ति जी के मित्र डॉ गोपालकृष्ण ने मूर्ति जी की सेवाओं का उल्लेख किया। कहा कि ऐसे महान व्यक्ति बहुत कम देखने को मिलते हैं और वे ऐसे व्यक्ति के संपर्क में रहने के कारण गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अध्यक्षीय टिप्पणी में पहले एन आर श्याम ने मूर्ति जी को और डॉ निर्मला को इस कृति को प्रकाश में लाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और बधाई दी। कुमुद बाला जी और गोपालकृष्ण जी की उनके वक्तव्यों के लिए प्रशंसा की।

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कहानीकार श्याम जी ने उठाया यह सवाल…

कहानीकार श्याम जी ने सोदाहरण बताया कि मूर्ति जी का लिखा आज भी प्रासंगिक है और जब तक लोगों के मन पर ऐसी कृतियों का प्रभाव नहीं पड़ेगा, बदलाव नहीं आएगा। भला कमज़ोर पर अन्याय-अत्याचार कम कैसे होंगे? उन्होंने सरल भाषा में शुद्ध अनुवाद के लिए डॉ निर्मला जी की प्रशंसा की। कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े लेखक और साहित्यकार डॉ सुरभि दत्त, उनके पति डॉ प्रदीप कुमार दत्त, के राजन्ना (सांगठिन सचिव वाजा तेलंगाना इकाई) तथा देवा प्रसाद मयला (महासचिव, वाजा तेलंगाना इकाई) ने डॉ मूर्ति जी एवं डॉ निर्मला जी को बधाई दी। कार्यक्रम के आयोजन के लिए वाजा के दोनों इकाइयों के सदस्यों ने मूर्ति जी के घर के सभी सदस्यों की प्रशंसा की।

बधाई संदेश और धन्यवाद ज्ञापन

मूर्ति जी की सुपुत्री श्रीमती रमा जी, दामाद प्रभाकर जी एवं युवा नातिन ने भी साहित्यिक चर्चे में भाग लिया। डॉ सुरभि दत्त ने वाजा तेलंगाना इकाई की ओर से डॉ निर्मला जी का माला एवं शॉल से सम्मानित किया। मूर्ति जी के परिवार के सदस्यों तथा निर्मला जी ने उपस्थित साहित्यकारों का सम्मान किया। इस दौरान डॉ अहिल्या मिश्र, डॉ शकुंतला रेड्डी, डॉ टीसी वसंता डॉ सुमन लता, डॉ श्रीलक्ष्मी, सुश्री जयश्री एवं वाजा के अन्य सदस्य, विशेषकर राष्ट्रीय वाजा के महासचिव शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने कृतिकर्ता एवं अनुवादक को बधाइयां भेजीं। डॉ निर्मला जी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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