हैदराबाद: ‘साहित्य मंथन’ और दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के संयुक्त तत्वाधान में डॉ गुर्रमकोंडा नीरजा की नवीनतम आलोचना कृति ‘समकालीन साहित्य विमर्श’ का लोकार्पण शनिवार को खैरताबाद स्थित सभागार में किया गया।
समारोह की अध्यक्षता अरबा मींच विश्वविद्यालय, इथियोपिया के पूर्व प्रोफेसर डॉ गोपाल शर्मा ने किया। उस्मानिया विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर डॉ शुभदा वांजपे मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। मुख्य वक्ता युवा कवि प्रवीण प्रणव पुस्तक की समीक्षा की। मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो करन सिंह ऊटवाल और सभा के सचिव एस श्रीधर विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया।
आपको बता दें कि ‘समकालीन साहित्य विमर्श’ तेलुगुभाषी हिंदी लेखिका डॉ गुर्रमकोंडा नीरजा की यह छठी मौलिक पुस्तक है। इस पुस्तक में हरित विमर्श, किन्नर विमर्श, स्त्री विमर्श, लघुकथा विमर्श, लोक विमर्श, दलित विमर्श, विस्थापन विमर्श, आदिवासी विमर्श, वृद्धावस्था विमर्श और उत्तर आधुनिक विमर्श पर केंद्रित 24 शोधपूर्ण आलेख शामिल हैं।
इससे पहले नीरजा ने अब तक 9 ग्रंथों का संपादन और हिंदी से एक कहानी संग्रह का तेलुगु में अनुवाद किया हैं। डॉ नीरजा को अनेक पुरस्कार मिले है। इस दौरान एक प्रॉजेक्ट के जरिए प्रसारित किया। इसका तालियों के साथ स्वागत किया गया।
लेखिका ने लोकार्पित पुस्तक की पहली प्रति प्रतिष्ठित कवि-समीक्षक प्रो ऋषभदेव शर्मा को भेंट किया। समारोह का संचालन मिश्र धातु निगम के राजभाषा अधिकारी डॉ बी बालाजी किया। साथ ही शैलशा नंदूरकर ने सरस्वती वंदना गीत पेश किया।
इस दौरान सभी वक्ताओं ने डॉ नीरजा की ‘समकालीन साहित्य विमर्श’ पुस्तक प्रकाशन पर बधाई दी और उनके करकमलों से साहित्य पुस्तकें पाठकों के लिए उपलब्ध कराने की अपेक्षा की। इस कार्यक्रम में शहर के अनेक साहित्यकार, कवि और लेखक मौजूद थे।