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इस धरती पर ईश्वर की कृपा से हम जन्म लेते हैं। और ईश्वर की ही कृपा से हम वापस उनके पास जाते हैं। हालांकि, जीवन मरण के बीच में जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए और कई बार आकास्मिक मृत्यु से बचने के लिए एक और ईश्वर का रूप होता है। वह रूप है- डॉक्टर यानी चिकित्सक। इंसान जब बीमार होता है तो इलाज के लिए चिकित्सक के पास जाते है और हर किसी को जाना चाहिए। चिकित्सक मरीज को स्वस्थ जीवन प्रदान करता है और कुछ ही दिनों में रोगी स्वस्थ हो जाता है। कभी-कभी भयंकर बीमारियों में भी चिकित्सक उसको ठीक करके पुन: जीवनदान दे देते है। इसीलिए चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया गया है।
कोरोना काल में संपूर्ण विश्व थर्रा कांप उठा था। कोरोना भारत में भी फैला था। लाखों लोगों की मौत हो गई थी। उस समय चिकित्सकों ने जिस प्रकार से कोरोना पीड़ितों की सेवा की वह काबिले तारीफ है। उस समय डॉक्टरों ने अपनी जान की भी परवाह न करके मरीजों का इलाज किया। हांलाकि कई डॉक्टरों को कोरोना हुआ और उनको भी अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा। फिर भी उन्होंने अपने फर्ज को पूर्णतया निभाया। उनकी सेवा को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। वे हमेशा सम्मान के अधिकारी हैं और रहेंगे। किसी न किसी एक खास दिन को स्पेशल बनाया जाता है। ऐसा ही एक दिन 1 जुलाई है। वह है- डॉक्टरस डे यानी चिकित्सक दिवस।
यह दिन महान चिकित्सक व पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर विधानचंद्र राव का जन्मदिन व पुण्यतिथि पर आती है। उनकी याद में भारत सरकार ने 1991 में सबसे पहले राष्ट्रीय डॉक्टर डे मनाया गया। तब से यह दिवस मनाया जाता है। डॉ राव को भारत सरकार ने 1976 में भारत रत्न से सम्मानित किया। डॉक्टर राव को जो भी आमदनी होती थी उसे वे दान कर देते थे। वह रोल मॉडल थे। उनकी हेल्थ केयर सेक्टर ने बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2024 वर्ष में नेशनल डॉक्टर्स डे का विषय “हीलिंग हैंड्स, केयरिंग हार्ट्स” है।
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यह थीम डॉक्टरों की अपने रोगियों के प्रति करुणा और समर्पण पर जोर देती है। दुनिया भर में चिकित्सक की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस दिन कॉलेज, सामाजिक संस्थान, विद्यालय और अस्पतालों में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। जहां रोगी को मुख्य रूप से चिकित्सा के साथ-साथ डॉक्टरों की लग्न एवं जज्बे को सलाम किया जाता है। उनको सम्मानित किया जाता है। रोगी को मौत के मुंह से चिकित्सक निकाल लाते हैं और उसे दूसरा जीवन प्रदान करते हैं। हमारा कर्तव्य है कि उनका पूरा मान सम्मान करें और उनके हौसले बुलंद करें।
इसी बीच वर्तमान स्थिति पर एक नजर डालना जरूरी है। यह सभी जानते हैं कि कुछ निजी अस्पतालों में मरीज के मर जाने पर भी इलाज होता है और सरकारी अस्पतालों में मरीज का ठीक से देखभाल नहीं होता है। इन दोनों के अलग-अलग कारण हो सकते है। इस अलग-अलग कारणों पर धरती के भगवान कहने जाने वाले डॉक्टरों को एक बार अपने जमीर में झांककर देखना चाहिए। डॉक्टर’स डे की शुभकामनाएं।
– के पी अग्रवाल हैदराबाद