हैदराबाद : तेलंगाना में आरटीसी को बेचे जाने को लेकर गंभीर चर्चा चल पड़ी है। सरकार का मानना है कि नुकसान में चल रहे आरटीसी को बेचने के सिवा कोई और रास्ता नहीं है। विपक्ष मात्र वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान देने का सुझाव दे रहे है। वहीं कर्ज के नाम पर आरटीसी को बेचने का कर्मचारी विरोध कर रहे हैं।
इसी बीच तनातनी के बीच अधिकारियों ने तेंलगाना में आरटीसी संपत्ति का ब्यौरा सरकार को सौंपा है। अधिकारियों ने सरकार को बताया कि आरटीसी की कुल संपत्ति 70 हजार करोड़ रुपये हैं। तेलंगाना के 11 रीजन (region) में 1,404 एकड़ भूमि हैं। कोरोना और लॉकडाउन के कारण लगभग सभी डिपो कर्ज में डूब गये हैं। इसके चलते पांच रीजन की जमीन को विभिन्न बैंकों में गिरवी रखकर 1,395 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है। दूसरी ओर आरटीसी कर्मचारी संगठन के नेताओं ने कहा कि 5,600 करोड़ रुपये कर्ज का डर दिखाकर आरटीसी को बेचना गलत है।
अधिकारियों ने सरकार को बताया कि वरंगल जिले में 118.5 एकड़, खम्मम में 104.83, नलगोंडा में 116.08, करीमनगर में 194.36, आदिलाबाद में 97.52, निजामाबाद में 134.20, हैदराबाद में 134.09, रंगारेड्डी में 250.72, महबूबनगर में 141.72 और मेदक जिले में 112.76 एकड़ जमीन आरटीसी के पास हैं।
आरटीसी ने उप्पल जोनल वर्कशॉप को केनेरा बैंक में गिरवी रखकर 175 करोड़ रुपये कर्ज लिया है। इसी तरह जुबली बस स्टेशन को आंध्रा बैंक में गिरवी रखकर 650 करोड़ रुपये, हयातनगर – 1 और 2 को इंडियन बैंक में गिवरी रखकर 100 करोड़ रुपये, करीमनगर जोनल वर्कशॉप को हाडको में गिरवी रखकर 425 करोड़ रुपये और बरकतपुरा को इंडियन ओवरसिज बैंक में गिरवी रखकर 45 करोड़ रुपये कर्ज लिया है। इस प्रकार टीएसआरटीसी ने विभिन्न बैंकों में गिरवी रखकर अब तक 1,395 करोड़ कर्ज लिया है। टीएसआरटीसी के पास 11 रीजनों में 97 डिपो और 364 बस स्टैंड हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार धीरे-धीरे आरटीसी की संपत्ति को कम दामों में अपने चाहने वालों को बेचने की योजना बना रही है।