स्वर्गीय साहित्यकार श्रीकुमार बोरा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संकलित पुस्तक लोकार्पित

हैदराबाद: प्रसिद्ध कवि-नाटककार स्वर्गीय श्रीकुमार बोरा की स्मृति में सुल्तान बाज़ार स्थित श्रीकृष्ण देवराय सभागार में व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर कवि और लेखक देवा प्रसाद मयला द्वारा संकलित और संपादित संकलित पुस्तक-लोकार्पण कार्यक्रम शनिवार को संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता (लातूर, महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध कवि-शायर) सुरेश गीर सागर ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अहिल्या मिश्र के साथ मंचासीन रहे विशिष्ट अतिथि अनंत कदम, डॉ नयन भादुले राजमाने, डॉ कुमुद बाला एवं नीताजी बोरा ने भाग लिया।

मंचासीन विद्वत जनों द्वारा दीप प्रज्वलन के अनंतर पुरुषोत्तम कड़ेल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। अतिथियों का संक्षिप्त परिचय पुरुषोत्तम कड़ेल, वेंकटेश कुलकर्णी, सुमन लता, उमादेवी सोनी, सविता सोनी एवं दिलीप बोरा ने दियाया। साथ ही मंचासीन अतिथियों का शॉल, मोतीमाला एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। कवि और लेखक देवा प्रसाद मयला द्वारा संकलित और संपादित पुस्तक ‘श्रीकुमार बोरा- एक स्मृति’ का लोकार्पण सुरेश गीर सागर के करकमलों से हुआ।

पुस्तक-समीक्षा करते डॉ. नयन राजमाने ने कहा कि पुस्तक के 14 कवियों-लेखकों की रचनाओं में श्रीकुमार बोरा का संपूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व उभरकर आया है। प्रस्तुत हर चित्र बहुत कुछ बोलता है। राजमाने जी ने पुस्तक के हर अंश को छुआ। सुंदर विश्लेषण किया।

संदर्भ में मुख्य वक्ता डॉ. अहिल्या मिश्र ने अपने प्रभावपूर्ण शब्दों में श्रीकुमार के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। श्रीकुमार बोरा का कदम्बिनी क्लब, हैदराबाद से जुड़े नाते से सभा को अवगत कराया। उनका अचानक सबसे दूर हो जाना अतीव दुःखद बात है। उन्होंने राजमाने जी द्वारा की गई पुस्तक-समीक्षा की प्रशंसा की। साहित्यकार और लेखक अनंत कदम ने कहा कि वे इस प्रकाशित पुस्तक के माध्यम से श्रीकुमार बोरा को अधिक जान पाए हैं। वास्तव में श्रीकुमार बोरा व्यक्तित्व के धनी थे।

डॉ. कुमुद बाला ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे। कहा कि श्रीकुमार बोरा बहुत अच्छे नाटककार थे और एक उभरते कवि भी। बहू मोनाजी बोरा एवं सुपुत्र आनंद बोरा ने पिता श्रीकुमार बोरा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ अपने अहम अनुभवों को सभा से साझा किया और माताश्री नीताजी बोरा की ममता को भावुकता से प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में सुरेश गीर सागर ने अपने अनुज श्रीकुमार से जुड़े हर अनुभव को कविता रूप में सभी से साझा किया। कहा कि श्रीकुमार बोरा न केवल एक अच्छे नाटककार थे, वे अच्छे क्रिकेट के खिलाड़ी थे और सभी के साथ घुल-मिलकर रहते थे। उनमें नेतृत्व करने की योग्यता थी।

इस दौरान लातूर, महाराष्ट्र से पधारी शांता बाई गिरबने और विमल मुदाले का अहिल्या मिश्र ने शॉल, मोतीमाला एवं स्मृतिचिह्न से सम्मानित किया। डॉ. अहिल्या मिश्र ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए आनंद बोरा सहयोग देने के लिए सीताराम माने और संचालन के लिए उमादेवी का शॉल, मोतीमाला व स्मृतिचिह्न से सम्मानित किया। डॉ अहिल्या मिश्र के द्वारा लोकार्पित पुस्तक के १४ रचनाकारों को स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में अपना सहयोग देने के लिए अमृताजी बोरा, दिलीप बोरा, वेंकटेश कुलकर्णी, सविता सोनी, सूरज प्रसाद सोनी, डॉ. सुमन लता, डॉ. टी.सी. वसंता, टी.जयश्री, रजिंदर कौर, संध्या व्यास तथा कुछ कवियों का सुरेश गीर सागर ने स्मृति चिह्न से सम्मानित किया। प्रथम सत्र में पुस्तक-लोकार्पण कार्यक्रम का संचालन उमादेवी सोनी ने किया।

दूसरे सत्र में कवि-गोष्ठी की अध्यक्षता शांता बाई गिरबने ने की। साथ में मंचासीन रहे नयन राजमाने, विमल मुदाले, सुरेश गीर सागर, एवं अनंत कदम।अपनी रचनाओं से गोष्ठी को सफल बनानेवाले कवयित्री नयन राजमाने, विमल मुदाले, अनंत कदम, सुरेश गीर सागर, बाबूराव, वेंकटेश कुलकर्णी, रजिंदर कौर, दर्शन सिंह, सदानंद, उमेशचन्द्र श्रीवास्तव, पंकज मेहता, उमादेवी सोनी, सविता सोनी, शिवकुमार तिवारी, सीताराम माने, देवा प्रसाद मयला और संचालक पुरुषोत्तम कड़ेल। अध्यक्षीय काव्य-पाठ किया शांता बाई गिरबने रहे हैं।

इस कार्यक्रम में बोरा परिवार से सदस्य नीताजी बोरा, आनंद बोरा, मोनाजी बोरा, दिलीप बोरा, अमृताजी बोरा, निकुंज बोरा, मिश्का बोरा, अद्विका बोरा, नंदकिशोर जोशी, संध्या व्यास, उमा व्यास, राहुल व्यास और सुरेश तिवारी उपस्थिथ रहे हैं। महाराष्ट्र से पधारे कवि-कवयित्रियों की ओर से शांता बाई गिरबने ने पुस्तक-संपादन व कार्यक्रम में सहयोग देने हेतु देवा प्रसाद मयला का शॉल से सम्मानित किया। साथ ही अपनी एक पुस्तक भेंट की। विमल मुदाले ने भी देवा प्रसाद को अपनी पुस्तक भेंट की। इस दौरान डॉ. टी. सी. वसंता की दो-दो पुस्तकें सुरेश गीर सागर तथा नयन राजमाने को भेंट की गई। संदर्भ में तेलंगाना समाचार के स्वामी व पत्रकार के. राजन्ना ने विशिष्ट अतिथि अनंत कदम को अपनी जीवनी ‘फाँसी’ पुस्तक भेंट की। वेंकटेश कुलकर्णी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। दूसरे सत्र का संचालन कवि-गोष्ठी का पुरुषोत्तम कड़ेल ने किया।

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