हैदराबाद: प्रतिवर्ष की भांति श्रावणी वेद प्रचार सप्ताह का भव्य आयोजन आर्य समाज महर्षि दयानंद मार्ग सुल्तान बाजार में शनिवार को आरंभ हुआ है। चार दिवसीय श्रावणी वेद प्रचार सप्ताह कार्यक्रम प्रातः यज्ञ से शुरू हुआ। यज्ञ की ब्रह्मा सुश्री माता निर्मला योग भारती हैं और ऋत्विज डॉ. मैत्रेयी शास्त्री एवं आचार्य राघव वेदपाठी हैं।
पंडित सुमित्र अंगरिस आर्य जी, सहारनपुर उत्तर प्रदेश से, इनका साथ पंडित सुभाष आर्य जी तबले पर दे रहे हैं। आज के भजन में सुमित्र जी ने यज्ञ के विषय में पुरोनुवाक्या, याज्ञा और शस्या इन तीन ऋचाओं से यज्ञ की महानता पर महत्व को बहुत ही सरल, सुगम भाषा में कहकर मधुर भजनों से श्रोतागण को आनंदित किया और आध्यात्मिक जगत की ओर लौटने का आह्वान किया।
प्रसिद्ध वेदों के विद्वान, आचार्य शैलेश मुनि सत्यार्थी, हरिद्वार, ज्वालापुर से पधारे, ने अष्टावक्र सन्यासी की यज्ञ पर आधारित प्रसंग को यज्ञ की आत्मा प्राण और सार के विषय में बोध कराया। यज्ञ की आत्मा स्वाहा से होती है, यज्ञ का प्राण इदन्नमः यह मेरा नहीं है से है और सार, यज्ञ की निकलने वाली सुगंध से है। इसे बहुत ही सरल, मधुर वाणी द्वारा, बताया कि किस तरह आपकी कामनाएं पूर्ति होती हैं। परमात्मा के कितने ही उपकार हम पर हैं, इस सृष्टि पर विस्तृत जानकारी दी।
हम सभी वैदिक सनातन धर्म प्रेमी सज्जनों से निवेदन करते हैं कि अब केवल तीन दिन ही शेष रह गए हैं और और इस अध्यात्म जगत की अमृतवेला में तृप्त होकर लाभ उठाएं ऐसा अवसर बार-बार नहीं आता। आइए और अपने इस मनुष्य योनि का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति करने के उपाय यहां से प्राप्त करें।