हैदराबाद : युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच आंध्र एवं तेलंगाना शाखा एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में प्रथम दक्षिण भारतीय साहित्योत्सव,पुस्तक लोकार्पण एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन 15 अप्रैल 2023 (शनिवार) सुबह 10:30 बजे से केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, हैदराबाद, बोवनपल्ली, में किया गया।
डॉ. रमा द्विवेदी (शाखा अध्यक्ष ) एवं महासचिव दीपा कृष्णदीप ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि डॉ गंगाधर वानोड़े (क्षेत्रीय निदेशक,केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, हैदराबाद )ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा डॉ ऋषभ देव शर्मा (पूर्व प्रोफेसर, उच्च शिक्षा शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा) मुख्य अतिथि रहे। प्रो. पी मणिक्यांबा मणि (पूर्व विभागाध्यक्ष (हिंदी), उस्मानिया विश्वविद्यालय ), प्रो. शुभदा वांजपे (पूर्व विभागाध्यक्ष (हिंदी), उस्मानिया विश्वविद्यालय) एवं डॉ अहिल्या मिश्रा (वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाज सेवी) बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे तथा रामकिशोर उपाध्याय (राष्ट्रीय अध्यक्ष, दिल्ली) एवं शाखा अध्यक्षा डॉ रमा द्विवेदी मंचासीन हुए।
कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं शुभ्रा मोहंतो की सरस्वती वंदना के साथ हुआ। तत्पश्चात डॉ. रमा द्विवेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं अतिथियों का सम्मान शॉल,माला, स्मृति चिन्ह एवं उपहार से सभी सद्स्यों द्वारा किया गया। राष्ट्रीय महासचिव ओमप्रकाश शुक्ल द्वारा संस्था का परिचय दिया गया एवं शाखा महासचिव सुश्री दीपा कृष्णदीप ने शाखा की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
तत्पश्चात वरिष्ठ साहित्यकार रामकिशोर उपाध्याय कृत काव्य संग्रह ” नचिकेता, मैं नहीं ” का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया एवं सभी ने रचनाकार को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित कीं। पुस्तक का परिचय डॉ.रमा द्विवेदी ने दिया एवं पुस्तक के रचनाकार रामकिशोर उपाध्याय ने पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए शीर्षक कविता का पाठ किया।
इसके बाद “आलूरी बैरागी चौधरी का हिंदी साहित्य में अवदान” विषय पर साहित्यिक परिचर्चा हुई। मुख्य अतिथि डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि “आलूरि बैरागी चौधरी एक ओर तो वैयक्तिक पीड़ा तथा प्रेमानुभूति के कवि हैं और दूसरी ओर वे सामाजिक विषमताजन्य विद्रोह तथा क्रांति के भी उतने ही मुखर-प्रखर प्रवक्ता हैं। कवि की पक्षधरता दलित- शोषित साधारण जन के साथ है और मनुष्य की निर्मलता तथा विकास में, उसकी सृजनशीलता तथा सफलता में उनकी दृढ़ आस्था है। मानव के साथ ही प्रकृति का सौंदर्य भी उन्हें निरंतर आकर्षित करता है क्योंकि वे किसी भी महान भारतीय कवि की भांति सौन्दर्योपासक हैं।”
विशिष्ट अतिथि प्रो. पी मणिक्यांबा मणि ने स्व आलूरि बैरागी चौधरी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “उनके पिता में देश प्रेम के साथ राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रेम भी था इसलिए 13वर्ष की आयु में हिन्दी सीखने के लिए बैरागी जी को उत्तर प्रदेश भेजा गया ।इस प्रकार बैरागी जी ( तेलगु,हिंदी, अंग्रेज़ी,बांग्ला,उर्दू ) बहुभाषाविद बन गए।
उनका काव्य संकलन “आगम गीति “ केन्द्र साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हुआ । हिंदी कविता संग्रह “नयी कविता “ ने बैरागी जी को हिन्दी साहित्यकारों के बीच चर्चित और प्रतिष्ठित किया । अंग्रेज़ी में “पेइन आफ बीइंग “ (Pain of Being )“ बैरागी जी की प्रसिद्ध रचना है।”
विशिष्ट अतिथि प्रो.शुभदा वांजपे ने उनकी रचनाओं की तुलना करते हुए कहा कि “बैरागी जी की रचनाएँ दिनकर की उर्वशी और पंत की रचनाओं के समकक्ष दिखाई देती हैं। समग्रतः उनके साहित्य में व्यक्ति और समाज, मानव और प्रकृति , यथार्थ और कल्पना, सत्य और स्वप्न, एवं विचार अनुभूति का सुंदर समन्वय दृष्टिगोचर होता है।”
विशिष्ट अतिथि डॉ अहिल्या मिश्रा जी ने कहा कि “नचिकेता, मैं नहीं ” शीर्षक ने मुझे बहुत आकर्षित किया हैऔर उन्होंने रामकिशोर उपाध्याय जी को किताब पर अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।उन्होंने बैरागी जी के लघु मानव की संकल्पना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की बैरागी जी बिहार और यूपी की मिट्टी में पले बढ़े थे इसलिए वे बहुत ऊर्जावान सृजनकार थे।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय जी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा -आलूरि बैरागी चौधरी , जीवन में संघर्ष करते हुए उच्च कोटि के साहित्य सृजन में उन्होंने जाति ,धर्म कुल और देशकाल की सीमाओं के पार जाकर मानवमात्र के कल्याण को महत्व दिया । उन्होंने दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार प्रसार में अप्रतिम योगदान दिया | छायावाद, प्रगतिवाद और प्रकृतिवाद का उनकी उनकी रचनाओं पर स्पष्ट प्रभाव है, लेकिन इनके इतर वह एक घोर मानवतावादी थे । उन्होंने तेलगु,हिंदी और अंग्रेजी भाषा में उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया किन्तु हिंदी साहित्य जगत में उन्हें यथोचित स्थान नहीं मिला | उनका लेखन समकालीन उत्तर भारतीय कवियों ,यथा पंत ,महादेवी वर्मा ,निराला या जयशंकर प्रसाद के समान ही उच्च कोटि का है । आलूरी बैरागी चौधरी के संपूर्ण साहित्य को संकलित करके जन-जन के सम्मुख लाया जाये यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
तत्पश्चात अध्ययक्षीय उद्बोधन में डॉ गंगाधर वानोड़े ने सफल कार्यक्रम एवं पुस्तक लोकार्पण पर अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि आलूरी बैरागी की परिचर्चा में सभी के विचार सुनकर मेरा भी ज्ञान वर्धन हुआ है। इस सत्र का आभार ज्ञापन सुश्री शिल्पी भटनागर(संगोष्ठी संयोजिका) ने दिया एवं संचालन श्री रामकिशोर उपाध्याय तथा डॉ रमा द्विवेदी ने संयुक्त रूप से किया।
दूसरे सत्र में शाखा के कार्यकारिणी सदस्यों का सम्मान एवं काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। डॉ. पी के जैन , विनिता शर्मा (शाखा उपाध्यक्षा), कर्नल दीपक दीक्षित, डॉ रमा द्विवेदी,श्री रामकिशोर उपाध्याय मंचासीन हुए। डॉ रमा द्विवेदी का सम्मान तेलंगाना हिंदी साहित्य भारती संस्था के अध्यक्ष दीपक दीक्षित , डॉ सुरभि दत्त (प्रदेश प्रभारी) एवं डॉ राजीव सिंह (महासचिव) द्वारा किया गया।
शाखा कार्यकारिणी सदस्य- विनीता शर्मा(उपाध्यक्ष), दीपा कृष्णदीप (महासचिव),सुनीता लुल्ला (संयुक्त सचिव),शिल्पी भटनागर(संगोष्ठी संयोजिका), डॉ संगीता शर्मा (मीडिया प्रभारी), डॉ लावण्या साहित्य (संयोजिका,तेलगु विभाग), भावना पुरोहित (मीडिया प्रभारी, गुजराती), तथा काव्य पुरस्कार विजेता डॉ सुरभि दत्त का सम्मान रामकिशोर उपाध्याय एवं ओम प्रकाश शुक्ल द्वारा किया गया ।
उपस्थित रचनाकारों ने विविध विषयों पर काव्य पाठ करके माहौल को बहुत खुशनुमा बना दिया। ओम प्रकाश शुक्ला , विनीता शर्मा , डॉ.संगीता शर्मा , डॉ.सुरभि दत्त , मोहिनी गुप्ता ,डॉ राजीव सिंह ,किरण सिंह ,तृप्ति मिश्रा ,प्रवीण प्रणव ,सविता सोनी ,दर्शन सिंह ,सुहास भटनागर , देवा प्रसाद मयला,सूरज कुमारी ,भावना पुरोहित ,पुरुषोत्तम कड़ेल ,अजय पाण्डे ,डॉ अर्चना झा ,राशि सिन्हा ,दया शंकर प्रसाद सहित लगभग 27 कवियों ने काव्य पाठ किया।
इस समारोह में कई गणमान्य व्यक्ति डॉ आशा मिश्रा, डॉ पूर्णिमा शर्मा ,संजय कुमार ,डॉ लावण्या साहित्य ,संदीप,राजू ,मयूर पुरोहित , एवं कई अन्य लोग श्रोता के रूप में लगभग इस समारोह में 52 लोग उपस्थित रहे। सत्र का संचालन सुनीता लुल्ला ने किया एवंसुश्री दीपा कृष्णदीप के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।