YUSM: ‘व्यंग्य लेखन में तात्कालिकता की चुनौतियां’ संगोष्ठी में वक्ताओं ने डाला इन विषयों पर प्रकाश

हैदराबाद (डॉ रमा द्विवेदी की रिपोर्ट): युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (YUSM) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की ‘व्यंग्य लेखन में तात्कालिकता की चुनौतियां’ विषयक छठवीं वर्चुअल संगोष्ठी शनिवार को आयोजित की गई। डॉ रमा द्विवेदी (अध्यक्ष, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा) एवं महासचिव दीपा कृष्णदीप ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि प्रख्यात व्यंग्यकार/कथाकार सुभाष चंदर (गाजियाबाद) ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और मुख्य वक्ता प्रसिद्ध व्यंग्यकार रामकिशोर उपाध्याय मंचासीन थे। कार्यक्रम का शुभारंभ शिल्पी भटनागर (संगोष्ठी संयोजिका) के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ।

डॉ रमा द्विवेदी ने अतिथियों का परिचय

इसके बाद अध्यक्षा डॉ रमा द्विवेदी ने अतिथियों का परिचय एवं स्वागत किया एवं संस्था का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि यह एक वैश्विक संस्था है जो हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ अन्य सभी भाषाओं के संवर्धन हेतु कार्य करती है। वरिष्ठ साहित्यकारों के विशिष्ठ साहित्यिक योगदान हेतु पुरस्कृत करती है तथा अन्य सभी ललित कलाओं एवं युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित /सम्मानित करती है।

प्रथम सत्र

प्रथम सत्र ‘अनमोल एहसास’ और ‘मन के रंग मित्रों के संग’ शीर्षक के अंतर्गत संपन्न हुआ। सत्र के मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका के कार्यकारी संपादक एवं व्यंग्यकार रामकिशोर उपाध्याय (राष्ट्रीय अध्यक्ष,दिल्ली) ने ‘व्यंग्य लेखन में तात्कालिकता की चुनौतियां’ विषय पर अपना बहुत ही सटीक एवं सार्थक वक्तव्य दिया तथा उन्होंने व्यंग्य लेखन की क्षणिकता एवं कालजयी व्यंग्य की सूक्ष्म रेखा को रेखांकित करते हुए बताया कि अखबार की आयु आधे घंटे से लेकर अधिकतम एक दिन तक की होती है क्योंकि जिस तेजी से खबरें हमारे सामने हाजिर होती हैं उतनी तेजी से ही वह गायब भी हो जाती हैं।

इसी तरह अखबारी व्यंग्य भी अल्पकालिकता का शिकार हो जाता है। व्यंग्य जब तक व्यक्ति केन्द्रित न होकर सरोकारपरक होगा तब ही कालजयी होने के गुणधर्म प्रदर्शित कर सकेगा। जब व्यंग्य लेखन विशाल जनसमूह को समाज की विसंगतियों के विरुद्ध विद्रोह करने हेतु झकझोरता है तब वही व्यंग्य शाश्वत एवं कालजयी हो जाता है। आजकल व्यंग्य लेखन में चिंतन कम पुरस्कार पाने की चिंता अधिक दिखाई देती है।

कथाकार सुभाष चंदर…

अध्ययक्षीय उद्बोधन में प्रख्यात व्यंग्यकार/कथाकार सुभाष चंदर (गाजियाबाद) ने सभी महिलाओं को व्यंग्य लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि महिला व्यंग्यकार बहुत कम हैं इसलिए रिश्ते और घर परिवार व्यंग्य लेखन से गायब हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को व्यंग्य लेखन में आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यंग्य तीन प्रकार का होता है पहला अखबारी जिसकी आयु एक दिन की होती है, दूसरा पत्रिका में प्रकाशित व्यंग्य जिसकी आयु एक महीने की होती है और तीसरा किताब में प्रकाशित व्यंग्य जिसकी आयु सालों साल होती है। अगर व्यंग की आयु वर्षों तक रहे और यही बात ध्यान में रखकर अगर लिखा जाए तो समाज पर प्रभाव छोड़ता है।

जनमानस को जागृत करता है

उन्होंने व्यंग्य लेखन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि व्यंग्य समाज की विसंगियों की तरफ जनमानस को जागृत करता है और समाधान करने की ओर उद्वेलित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि व्यंग्य लेखन के क्षेत्र में महिला लेखिकाओं की कमी अखरती है। व्यंग्य लेखन के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए व्यंग्य लेखन के शिल्प, भाषा, विषय और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। व्यंग्य के क्षेत्र में महिलाओं के न आने के कारण घर-परिवार और रिश्ते जैसे विषय अछूते रह गए हैं। उन्होंने सफल भव्य कार्यक्रम की शुभकामनाएं दी तथा गहन अर्थपूर्ण ‘घरौंदा और लड़की’, `सुअर’ तथा ‘रिश्ते और समुद्र’ व्यंगात्मक रचनाओं काव्यपाठ किया।

डॉ सुरभि दत्त ने…

तत्पश्चात ‘मन के रंग मित्रो के संग’ में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुरभि दत्त ने अपने जीवन से सम्बंधित एक प्रेरक प्रसंग साझा करते हुए बताया कि बुजुर्गो के साथ रहने के कारण ही हम जीवन की कई कठिनाइयों से बच जाते हैं और प्रगति की कई ऊंचाइयों को छूते हैं। यह प्रसंग हमें अपने बड़ों को सम्मान करने का सन्देश और सीख देता है। दीपा कृष्णदीप ने प्रथम सत्र का सञ्चालन एवं आभार ज्ञापित किया।

दूसरा सत्र

दूसरे सत्र में वरिष्ठ गीतकार विनीता शर्मा की अध्यक्षता में काव्यगोष्ठी आयोजित की गई। संचालन युवा रचनाकार वसुंधरा त्रिवेदी( इंदौर) ने किया। उपस्थित रचनाकारों ने विविध विषयों पर काव्यपाठ करके माहौल को अत्याधक खुशनुमा बना दिया। डॉ सुरभि दत्त, भावना मयूर पुरोहित, सूरज कुमारी गोस्वामी, तृप्ति मिश्रा, शिल्पी भटनागर, सविता सोनी, सरला प्रकाश भूतोड़िया, विनोद गिरि अनोखा, किरण सिंह, दर्शन सिंह, डॉ सुषमा देवी, संतोष रज़ा गाजीपुरी, रामकिशोर उपाध्याय, डॉ आशा मिश्रा, भंवरलाल उपाध्याय, डॉ रमा द्विवेदी, दीपा कृष्णदीप ने काव्य पाठ किया।

आभार प्रदर्शन

विनीता शर्मा ने अध्यक्षीय काव्य पाठ किया और कहा कि सभी के सुंदर काव्यपाठ से मंच को चार चांद लग गए। शानदार आयोजन हेतु अपनी शुभकामनाएं दीं। डॉ पीके जैन ने श्रोता के रूप में कार्यक्रम को सराहनीय बताते हुए अपनी शुभकामनाएं दीं। अतुलित ठाकर, कवयित्री प्रमिला पांडेय (कानपुर) प्रो उषा सिन्हा (लखनऊ) डॉ ममता श्रीवास्तव (दिल्ली), रमाकांत श्रीवास की उपस्थिति दर्ज करवाई। किरण सिंह जी के आभार प्रदर्शन से कार्यक्रम समाप्त हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X