कविता एक ऐसी कला है। हालांकि कविता हर एक के बस की बात नहीं है। यह कला दिल से दिल तक पहुंच जाती है। कविता या गीत रसों से भरा होता है। इस पर समाज का वातावरण का असीम प्रभाव पड़ता है। कविता के अनेक रूप होते हैं- कविता संगीतमय होती है, गीत, गजल छंद आदि। अगर फिल्म, सीरियल में कविता या गीत ना हो तो यह अधूरे रह जाते हैं। कहानी चाहे भूल जाएंगे, लेकिन गीत कभी भूल नहीं जाएंगे। वह अमर हो जाते हैं। हर एक के मन में कुछ ना कुछ विचार अवश्य आते हैं। कुछ कवि अपनी कविता के माध्यम से विचार प्रकट करते हैं। अपने विचारों को कविता के माध्यम से बड़े अच्छे ढंग से बात को समझाया जा सकता है। कविता दिलों की गहराइयों तक पहुंचती है। आज इंटरनेट और तकनीक का युग है। अपनी बात समझने और समझाने का खूबसूरत माध्यम मिल गया है। एक अच्छी कविता हमारी आत्मा को झकझोर देती है और समाज के उत्थान में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है।
यूनेस्को की विश्व कविता दिवस 2025 की थीम- “शांति और समावेश के लिए एक पुल के रूप में कविता” है। सद्भाव और सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देने में कविता की भूमिका पर प्रकाश डालती है। कविता में संस्कृतियों, भाषाओं और व्यक्तिगत अनुभवों के पार व्यक्तियों को जोड़ने की गहन क्षमता है, जो इसे समझ और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बनाती है। कविता दिवस 2025 आपसी समझ को बढ़ा सकती है। विभिन्न पृष्ठभूमि वाले लोगों को एकजुट कर सकती है। सीमाओं को पार कर सकती है। विश्व कविता दिवस 2024 का थीम थी “दिग्गजों के कंधों पर खड़े होना। विश्व कवि दिवस 2023 की थीम थी “ऑलवेज़ बी अ पोएट, इवेन इन प्रोस।” चार्ल्स बाउडेलेयर का यह प्रसिद्ध कोट केवल कविता ही नहीं, बल्कि सभी प्रकार के लेखन में रचनात्मकता और सुंदरता के महत्व पर जोर देता है। यह बेहतर अर्थ और प्रभाव के लिए एक आह्वान है जो कविता के माध्यम से जीवन में आ सकती है।
इसलिए कविताओं के माध्यम से कवियों ने हर युग में उस समय की परिस्थिति के अनुसार अपनी कविता की है। पुराने समय में अनेक कवियों द्वारा जो कविता पाठ किए गए उनकी तो हस्त लिखित कविताएं भी उपलब्ध नहीं थी, जो उनके शिष्य थे उन्होंने बाद में एकत्रित करके उन कविताओं को लिखकर हम सबके सामने प्रस्तुत किया! कोविड-19 के समय में में तो कवियों की बाढ़ सी आ गई। क्योंकि हर व्यक्ति के मन में कहीं न कहीं कवि छुपा होता है। इसीलिए सबको कविता करने और लिखने का समय मिल गया। घर में कैद हो गए थे तो कलम उठाई और अपनी कविताएं लिखनी शुरू कर दी। अपने मन के उदगार लिखे। जिससे लिखने वाले और पढ़ने वाले दोनों ही आनंदित हो गये।
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कविता एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो उस समय की परिस्थितियों पर अपने विचार व्यक्त करके कविता के माध्यम से जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। भारत के महान कवियों में महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, भारतेंदु हरिश्चंद्र, मैथिलीशरण गुप्त, मीराबाई, रामधारी सिंह दिनकर, माखनलाल चतुर्वेदी, मानवेंद्र सिंह, सुमित्रानंदन पंत , रवींद्रनाथ टैगोर, तुलसीदास, कालिदास, मिर्जा गालिब, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सोहनलाल द्विवेदी, हरिवंश राय बच्चन आदि के अलावा अनेक कवियों ने उस समय कविताओं के माध्यम से नई दिशा और नए संदेश प्रस्तुत किए। हर वर्ष 21 तारीख को विश्व कविता दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 1999 में प्रथम बार पेरिस में आयोजित सम्मेलन के दौरान 21 मार्च को विश्व कविता दिवस की शुरुआत की। इस महान मानव विरासत को एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का तय किया गया। वर्ष 21 मार्च को कवियों की कविता से लेकर प्रकृति को सम्मान देने के लिए विश्व कविता दिवस मनाने का निर्णय लिया। इस अवसर पर भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी हर साल विश्व कविता दिवस पूरे उत्साह और धूमधाम से मनाता है।
हिन्दी कविता की परम्परा बहुत लम्बी है। शिव सिंह सेंगर ने हिन्दी साहित्य के आदि काल के प्रथम कवि के रूप में ‘पुष्य’ या ‘पुण्ड’ का नाम प्रस्तावित किया है। कुछ विद्बान सरहपाद को हिन्दी का पहला कवि मानते हैं। सरहपाद और उनके समवर्ती व परवर्ती सिद्धों ने दोहों और पदों के रूप में अपनी स्फुट रचनाएं प्रस्तुत कीं। रासोकाल तक आते-आते प्राचीन हिन्दी का रूप स्थिर हो चुका था। अपभ्रंश और शुरुआती हिन्दी परस्पर घुली-मिली दिखाई देती हैं। धीरे-धीरे हिन्दी में परिष्कार होता रहा और अपभ्रंश भाषा के पटल से लुप्त हो गई। इसमें इस अवसर पर कवि सम्मेलन और कवियों को सम्मानित किया जाता है आजकल हर राज्य में अनेक कवि अपनी लेखनी से आज के समय के ऊपर कविता के द्वारा जनता के समक्ष कविता के माध्यम से जागरूकता पैदा करते हैं। वहीं लेखन और शिक्षण को बढ़ावा देने तथा नृत्य संगीत, चित्रकला, थिएटर के बीच बढ़ावा देना तथा मीडिया में कविता के द्वारा सही मार्ग प्रस्तुत करना है।
प्राचीन समय में मध्यकालीन युग मे क्रांतिकारी नायकों को कविताओं के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता था और उनके अनुयायियों को भी कविता से जोश भरते थे। आज का समाज अतीत के कवियों का ऋणी है और उनकी भूमिका को याद करने का शुभ अवसर मिलता है। कवियों द्वारा क्रांतिकारियों के लिए राष्ट्रों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया। वही सरकार की गलत नीतियों की आलोचना भी की, जिससे सरकार को नकी कमी महसूस होती है और सरकारें उसको दुरस्त करने का प्रयास करती है। भारत में विविध भाषाओं में कविताओं का संकलन मिलता है, जिसमें संस्कृत, हिंदी, उड़िया, तमिल, तेलुगू , बंगाली, उर्दू , फारसी और अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषाओं में भी कविताओं संग्रह शामिलत है। दुनिया में कितने ही ऐसे लोग हुए हैं, जिनके लिए कविता ने प्राण वायु का कार्य किया है। कवियों- श्रोताओं-पाठकों के लिए भूतकाल भी कविता थी। वर्तमानकाल भी कविता है और भविष्यकाल भी कविता रहेगी। कवि सम्मेलन में अनेक लोग बहुत दिलचस्पी रखते हैं और कवियों के पाठ से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस अवसर पर नए लेखकों और प्रकाशकों को भी प्रोत्साहित किया जाता है।

के पी अग्रवाल हैदराबाद (99481 84230)