विश्व भाषा अकादमी: आजादी के 75 वर्षों में हमने ‘क्या खोया-क्या पाया’ परिचर्चा में वक्ताओं ने कही दिल को छूने वाली बात

हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : विश्व भाषा अकादमी, भारत की तेलंगाना इकाई और सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्था अध्यक्ष सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और मां सरस्वती का आशीर्वाद लेकर कार्यक्रम प्रारम्भ किया और वरिष्ठ पत्रकार एवं सम्पादक प्रदीप श्रीवास्तव, लखनऊ को गोष्ठी की अध्यक्षता हेतु मंच पर आमंत्रित किया।

श्रीमती रिमझिम झा की सरस्वती वन्दना

उन्होंने विश्व भाषा अकादमी भारत की गुरुग्राम इकाई अध्यक्ष डॉ बीना और गुजरात इकाई अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला पचीसिया को भी वर्चुअल मंच पर आमंत्रित किया। श्रीमती रिमझिम झा की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तत्पश्चात् सरिता सुराणा ने दोनों संस्थाओं के उद्देश्यों और गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की और शब्द-पुष्पों के द्वारा अतिथियों का सम्मान किया।

एक जागरूक नागरिक होने का दायित्व निभाने का है

उन्होंने परिचर्चा गोष्ठी के लिए प्रदत्त विषय- ‘आजादी के 75 वर्ष में ‘क्या खोया-क्या पाया’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सब अभी-अभी अपनी आजादी के अमृत महोत्सव के साक्षी बने हैं। यह आजादी हमें लाखों देशभक्त वीरों के बलिदानों के फलस्वरूप प्राप्त हुई है। इसलिए हमें इसका मूल्य समझना चाहिए। आजादी के 75 वर्षों में हमारे देश ने राजनीतिक क्षेत्र से लेकर सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, तकनीकी, खेल, सैन्य शक्ति और अन्तरिक्ष तक प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्डे गाड़े हैं और अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ आज हम विश्व में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाने में सक्षम हुए हैं। इसलिए यह समय आत्मावलोकन करने और एक जागरूक नागरिक होने का दायित्व निभाने का है।

हमने अगर कुछ खोया है तो बहुत कुछ पाया भी है

आर्या झा ने उर्मिला का और दर्शन सिंह ने प्रदीप श्रीवास्तव का परिचय प्रस्तुत किया। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विशेष वक्ता उर्मिला ने अपनी बात मैथिलीशरण गुप्त जी की इन पंक्तियों से प्रारम्भ की- हम कौन थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी? उनके अनुसार भारत अपने अतीत में बहुत समृद्ध था। हमारी गुरुकुल शिक्षा पद्धति छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक थी। विदेशी यात्री फाह्यान के अनुसार सम्राट अशोक का शासन काल भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग था। आज स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी और अटल ब्रिज हमारी गौरवशाली थाती है। हमने अगर कुछ खोया है तो बहुत कुछ पाया भी है।

फिर भी हमने बहुत प्रगति की है

एक और विशेष वक्ता डॉ बीना ने कहा कि हम अपनी आर्य भाषाओं को भुला बैठे हैं। हिन्दी भाषा सर्वाधिक बोली जाती है फिर भी हम अपनी राष्ट्रभाषा नहीं बना पाए हैं। भाषा सांस्कृतिक परिवेश को साथ लेकर चलती है। इसलिए मातृभाषा में शिक्षा देना आवश्यक है। आजादी के बाद बहुत परिवर्तन आए हैं। आबादी बढ़ने के साथ-साथ महंगाई भी बढ़ी है फिर भी हमने बहुत प्रगति की है।

एक व्यक्ति को गिलास आधा भरा हुआ दिखाई देता है तो दूसरे को आधा खाली

उन्होंने बहुत ही सुन्दर कविता के माध्यम से अपने भावों को अभिव्यक्त किया। कटक, उड़ीसा से श्रीमती रिमझिम झा ने कहा कि यह हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि हमने क्या खोया है और क्या पाया है? एक व्यक्ति को गिलास आधा भरा हुआ दिखाई देता है तो दूसरे को आधा खाली। हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

हमारी सेना विश्व में चौथे स्थान पर है

प्रदीप देवीशरण भट्ट ने कहा कि आज हमारी सेना विश्व में चौथे स्थान पर है। हमने आर्यभट्ट से लेकर मंगलयान तक का सफर तय किया है। दर्शन सिंह ने हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में बताया और कहा कि आज भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है। आज हमारे पास उन्नत किस्म की पनडुब्बियां हैं तो दूर तक मार करने वाली मिसाइलें भी है।

संयुक्त परिवारों को खोया है

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि मैंने आप सबकी बातों को ध्यान से सुना। आपने हमारी बहुत सी उपलब्धियों के बारे में बताया और क्या खोया इसके बारे में भी बताया। मैं आज जिस विषय पर बात करुंगा, वह है परिवार। हमने और कुछ खोया या नहीं लेकिन संयुक्त परिवारों को खोया है। परिवारों में विघटन के साथ साथ बुजुर्गों की स्थिति भी बिगड़ी है। बच्चों के संस्कारों में कमी आई है और हम भौतिकवादी हो गए हैं। नक्सलवाद और आतंकवाद पर बहुत हद तक हमने काबू पा लिया है।

अभूतपूर्व उन्नति की है

उन्होंने नक्सलियों के साथ एक रात रहकर भी पत्रकारिता की है। पंजाब में जब खालिस्तानी आन्दोलन अपने चरम पर था, 5 बजे के बाद घर से ऑफिस जाने में भी डर लगता था, उस समय भी पत्रकारिता की है। इन 75 वर्षों में हमने देश का गौरव बढ़ाया है और शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति की है।

मंजिल अभी बहुत दूर है

सरिता सुराणा ने सभी वक्ताओं, अध्यक्ष महोदय और सहभागियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि निश्चित रूप से हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थ, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन मंजिल अभी बहुत दूर है और हमें उसे पाने के लिए अभी भी कठिन परिश्रम और संकल्प की आवश्यकता है। स्त्री सशक्तिकरण के साथ स्त्रियों के प्रति अपराध बहुत बढ़ गए हैं। आर्या झा ने प्रथम सत्र का आभार ज्ञापन किया।

गोष्ठी पूर्णतया सफल एवं सार्थक

द्वितीय सत्र में कोलकाता से श्रीमती सुशीला चनानी ने बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं और हाइकु प्रस्तुत किए तो सिलीगुड़ी से डॉ बबीता अग्रवाल कंवल ने अपनी उम्दा गज़ल से सबका मन मोह लिया। आर्या झा और दर्शन सिंह ने समसामयिक विषयों पर आधारित रचनाओं का पाठ किया। अंत में सरिता सुराणा ने हाइकु प्रस्तुत किए। वरिष्ठ पत्रकार के राजन्ना भी गोष्ठी में उपस्थित थे। उन्होंने संस्था को इस परिचर्चा गोष्ठी हेतु बधाई दी। इस तरह गोष्ठी पूर्णतया सफल एवं सार्थक रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X