पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ बने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार

हैदराबाद: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को यह ऐलान किया। उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का नाम भी काफी दिनों से चर्चा में था। हालांकि, शनिवार को उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ के नाम की घोषणा की गई। वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकय्या नायुडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। जबकि 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले हैं।

नई दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक हुई। बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जगदीप धनखड़ के नाम की घोषणा की। संसदीय बोर्ड की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।

जेपी नड्डा ने मीडियो को संबोधित करते हुए कहा, “किसान पुत्र जगदीप धनखड़ एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। वे एक साधारण किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को पार करते हुए अपने जीवन में उच्च लक्ष्य को प्राप्त किया और देश की सेवा करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में धनखड़ ने लोगों के दिल पर राज करने वाले राज्यपाल के रूप में पहचान बनाई है।”

इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि खुशी है कि जगदीप धनखड़ हमारे उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। उन्होंने आगे कहा, “मुझे यकीन है कि वे राज्यसभा में उत्कृष्ट अध्यक्ष होंगे और राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सदन की कार्यवाही का मार्गदर्शन करेंगे।”

नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 19 जुलाई

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र 19 जुलाई तक दाखिल किए जा सकते हैं। नामांकन की जांच 20 जुलाई को होगी और अंतिम सूची 22 जुलाई को जारी की जाएगी। जबकि, वोटिंग 6 अगस्त को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच होगी और उसी दिन परिणाम घोषित किये जाएंगे।

गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को हुआ था। उनके पिता चौधरी गोकुलचंद धनखड़ खेती बाड़ी करते थे। वह इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन पेरिस के सदस्य भी रह चुके हैं। वह राजस्थान की सियासत का एक वक्त का चर्चित चेहरा रह चुके हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।

राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। धनखड़ खुद राजस्थान की जाट बिरादरी आते हैं। इस समुदाय में धनखड़ की अच्छी खासी साख है। धनखड़ झुंझुनूं से 1989 से 91 तक जनता दल से सांसद रहे. हालांकि, बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. अजमेर से कांग्रेस टिकट पर वे लोकसभा चुनाव हार गए थे। फिर धनखड़ 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए। अजमेर के किशनगढ़ से विधायक चुने गए।

जगदीप मूलरूप से झुंझुनूं के किठाना गांव के रहने वाले हैं। धनखड़ का चयन आईआईटी, एनडीए व आईएएस के लिए हुआ। लेकिन उन्होंने वकालात को चुना। 1989 में जनता दल से सांसद का चुनाव लड़ा, रिकॉर्ड वोटों से जीते। जगदीप धनखड़ की शुरुआती पढ़ाई किठाना गांव के सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई थी। उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से फिजिक्स में स्नातक किया है। इसके बाद 1978-79 में उन्होंने वकालत की डिग्री की हासिल की।

जगदीप धनखड़ ने राजस्थान के बार काउंसिल में वकील के तौर पर करियर की शुरुआत की। इसके बाद 1990 से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू किया। साल 1979 में उनकी शादी सुदेश धनखड़ से हुई। धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बनने के बाद चंद्रशेखर सरकार में मंत्री भी रहे। (एजेंसियां)

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