हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद द्वारा आयोजित नौ दिवसीय मातृ-भक्ति गीत महोत्सव के सातवें दिन माता कालरात्रि की आराधना हेतु पटल पर लगातार दो घंटे तक भक्ति गीतों और देशभक्ति गीतों की अविरल धारा बही। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों का शब्द पुष्पों से हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और माता दुर्गा और कालरात्रि के श्लोकों से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
संस्थापिका ने प्रयागराज से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार एवं गीतकार कमला प्रसाद गिरी को अध्यक्षता करने हेतु एवं सुल्तानपुर, उप्र से कुशल कार्यक्रम संचालक और गीतकार श्री हरिनाथ शुक्ल हरि को मंच पर आमंत्रित किया। साथ ही साथ हरिद्वार से कार्यक्रम में जुड़े ख्याति प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार एवं गीतकार श्री भूदत्त शर्मा और सीतामढ़ी बिहार से वरिष्ठ साहित्यकार श्री जितेन्द्र झा को भी मंच पर आमंत्रित किया। भूदत्त शर्मा जी की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ।
तत्पश्चात् जितेन्द्र झा ने- हे मां अम्बे जगत जननी, शरण में तेरी आया हूं गीत की सुन्दर प्रस्तुति दी। उसके बाद भूदत्त शर्मा जी ने गंगा मैया की महिमा पर अपना गीत- पुण्य का फल है, पावन जल है/आओ इसकी आरती गाएं प्रस्तुत किया और 2 अक्टूबर को गांधीजी और शास्त्री जी की जन्म जयन्ती पर उन्हें नमन करते हुए यह रचना प्रस्तुत की- वीर बांकुरे पैदा करती, इस धरती की रज चन्दन है।
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सरिता सुराणा ने अपनी मां को समर्पित एक कविता- ममता की प्रतिमूर्ति है मां, समता की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत की। जिस पर सभी उपस्थित साहित्यकारों ने बधाई एवं साधुवाद दिया। उन्होंने माता के चरणों में अपना भावपूर्ण भजन भी प्रस्तुत किया। हरिनाथ शुक्ल जी ने अपनी प्रस्तुति देते हुए एक के बाद एक मातृ भक्ति और देश भक्ति गीतों से कवि सम्मेलन का समां बांध दिया। श्रोता गण मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुन रहे थे।
अन्त में अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए श्री कमला प्रसाद गिरी जी ने गंगा मैया की व्यथा को इन शब्दों में व्यक्त किया- मैं गंगा मैया बोल रही हूं, मन की पीड़ा खोल रही हूं। फिर अवधी भाषा में उन्होंने अपना गीत- ज्ञान की खोली किंवड़िया हो, देतु दर्प मिटाई प्रस्तुत करके सभी श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। यह कार्यक्रम इस दृष्टि से अद्वितीय और अविस्मरणीय रहेगा क्योंकि इसमें माता की भक्ति के साथ-साथ देश के दो महान सपूतों- श्री लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी को और उन सभी वीर जवानों को याद किया गया, जिनके त्याग और बलिदान के फलस्वरूप हम सब आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का मन:पूर्वक हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने हरिनाथ शुक्ल जी का विशेष आभार व्यक्त किया, जिन्होंने पटल पर इतने सुधि साहित्यकारों को एक साथ जोड़ा और कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन किया। बहुत ही उत्साहपूर्ण वातावरण में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।