हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद द्वारा रंगोत्सव होली और महिला दिवस के उपलक्ष्य में एक रंगारंग सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने संगीत साधना संगीतालय, हैदराबाद की संचालिका श्रीमती शुभ्रा मोहन्तो और उनकी पूरी टीम का शब्द पुष्पों से स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
शुभ्रा मोहन्तो और सस्मिता नायक ने महाप्राण निराला द्वारा रचित सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात् महिला दिवस पर अपना विशेष गीत- वो खिड़कियां जो बंद हैं, अब खोल दो प्रस्तुत किया। श्रीमती कल्पना मिश्रा ने होली पर विशेष गीत- आया होली का त्यौंहार/उड़े रंग की बौछार प्रस्तुत किया।
गीत के बाद नृत्य न हो तो कार्यक्रम अधूरा-सा लगता है। इसी को पूरा करने सुश्री टुटुल हजारी, सुश्री सुतपा सिन्हा और सुश्री तृणा दास ने बहुत से गानों को मिलाकर के शानदार सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया। गानों के बोल थे- मधुबन में भले कान्हा किसी गोपी से मिले/राधा कैसे न जले और अरे भंग का रंग जो जमे चकाचक। सभी दर्शकों ने करतल ध्वनि से उनका उत्साहवर्धन किया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शुभ्रा मोहन्तो और सस्मिता नायक ने एक से बढ़कर एक होली गीतों की झड़ी लगा दी।
जिनमें ब्रज की होरियां ख़ास थी- आज बिरज में होरी रे रसिया/बरजोरी रे रसिया। डारो न रंग गुलाल रे, नंदलाल रे/तोरी पैयां पड़ूं नंदलाल और भोजपुरी गीत- भीजेला मोहि चुनरी, जही रंग डार प्रस्तुत करके होली का धमाल मचा दिया। उनके गानों से वातावरण आनन्दमय हो गया और श्रोता गण झूम उठे। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए कल्पना डांग ने बहुत सुन्दर गीत प्रस्तुत किया- रंग तेरे मन का मिल जाए तो होली रे।
अंत में ऋचा चौधरी ने अपना मनमोहक गीत- सात रंग में खेल रही है दिलवालों की टोली रे/भीगे दामन चोली रे प्रस्तुत करके महफ़िल में रंग जमा दिया। सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया और सभी को होली एवं महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।