हैदराबाद : सम्मक्का सारलक्का जातरा पर श्री त्रिदंडी चिन्ना जियार स्वामी की ओर से की गई टिप्पणी पर विवाद गहराता जा रहा है। तेलंगाना के नेता और आदिवासी संगठनों के नेताओं ने आंध्र प्रदेश के अहंकारी चिन्ना जियार स्वामी से सार्वजनिक माफी मांगने की मांग कर रहे है। पिछले दो-तीन दिनों से गहराते विवाद पर चिन्ना जियार स्वामी ने शुक्रवार को गुंटूर जिले के विजयकीलाद्री पहाड़ी पर मीडिया को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि वन देवी-देवताओं के खिलाफ मैंने कोई टिप्पणी नहीं की है। बीस साल पहले की गई टिप्पणी को कुछ लोग जानबूझकर विवादास्पद कर रहे हैं। हम जाति और धर्म में फर्क नहीं करते। स्पष्ट किया कि कईं साल पहले की गई टिप्पणी को विवादास्पद कर रहे है। वन देवताओं को कम आंकने की हमारी आदत नहीं है।
उन्होंने कहा कि वन देवताओं का अपमानित करना ठीक नहीं है। कुछ लोग जानबूझकर इस पर विवाद कर रहे हैं। शायद यूक्रेन-रूस का मामला ठंडा पड़ गया है। अब इस मुद्दे को उठा रहे हैं। स्वामी ने कहा कि वे मेरी टिप्पणी को संपादित करके विवादास्पद किया गया है। यह उनके विवेक पर छोड़ देते हैं। बीस साल पहले की गई टिप्पणी को लेकर अब विवादास्पद किया जा रहा है। लेकिन उस टिप्पणी की पृष्ठभूमि पर विचार किया जाना चाहिए।
स्वामी ने कहा कि रामानुजा स्वामी ने कभी भी आदिवासियों को दूर रखने/करने का जिक्र नहीं किया है। अच्छे ज्ञान वालों का आदर करना ही स्वामी का संदेश है। उन्होंने बताया कि मनुष्य से आये ये लोग अपने गुणों से वन देवी-देवता बन गये हैं। मेरा उद्देश्य है कि ऐसे महान वन देवी-देवताओं की आड़ में असामाजिक कार्य न हो। सवाल किया कि उस एक बात को पकड़कर विवाद खड़ा करने की अब क्या जरूरत है? संदेह व्यक्त किया कि समता मूर्ति उत्सव को बर्दाश्त न करने वाले ही शायद ऐसा कर रहे हैं।
स्वामी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि समता मूर्ति परिसर के रखरखाव के लिए केवल शुल्क लिया जा रहा है। यह प्रवेश शुल्क मात्र है। पूजा और प्रसाद के लिए कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है। एक मीडिया ने सवाल किया कि क्या राजनीति में आने का विचार है? स्वामी ने जवाब दिया कि अंडे पर के बाल मत खिंचिए। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि मेरा राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है। ऐसा कोई विचार भी नहीं है। साथ ही कहा कि हमारा किसी से गैप नहीं होते हैं। अगर किसी में गैप है तो हो सकता है।