हैदराबाद: टीपीसीसी रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिये गये भाषण की कड़ी शब्दों में निंदा की है। साथ ही मोदी से तेलंगाना समुदाय से माफी की मांगने की मांग की। रेवंत ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि मोदी को कांग्रेस पार्टी के बारे में बात करने की योग्यता नहीं हैं। केंद्र सरकार ने विभाजन के आश्वासनों को अब तक पूरा नहीं किया है।
उन्होंने आगे कहा कि जो व्यक्ति किये गये वादों को पूरा नहीं करते ऐसे व्यक्ति को देश के प्रधानमंत्री बनने का हकदार नहीं है। मोदी का भाषण तेलंगाना को छोटा दिखाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि मोदी प्रबंधन कौशल से प्रधान मंत्री बने हैं। आरोप लगाया कि मोदी ने अपने गुरु आडवाणी को धोखा देकर गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे।
रेवंत रेड्डी ने यह भी कहा कि भाजपा ने 1997 में काकीनाडा में एक वोट के बदले में दो राज्य देने का प्रस्ताव किया था। लेकिन 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में 7 सीटों पर बीजेपी और चार सीटों पर टीआरएस ी जीत हुई थी। मगर 1999 में बीजेपी ने पृथक तेलंगाना नहीं दिया है। परिणामस्वरूप तेलंगाना के दूसरे दौर के आंदोलन में 1,200 युवकों को बलिदान देना पड़ा। इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है। माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि अगर बीजेपी तेलंगाना दिया होता तो छात्रों की मौत नहीं होती। यदि मोदी को सभा में माफी मांगी होती तो उनका मान और ऊंचा होता। मोदी जो मन में आये वह बोल रहे हैं तो कम से कम केसीआर और टीआरएस के सांसद कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। सोनिया गांधी ने छह दशकों की लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप पृथक तेलंगाना दिया है। उन्होंने सवाल किया कि मोदी अपनी कुछ भी बोल रहे हैं। केसीआर और टीआरएस के सांसद क्यों नहीं बोल रहे हैं?
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा है कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के कारण दोनों राज्य अब भी संकट में हैं। मोदी ने मंगलवार को संसद के दोनों सदनों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को धन्यवाद देने वाले एक प्रस्ताव पर संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी की खिंचाई की। उन्होंने कहा कि उस पार्टी का अस्तित्व ही लोकतांत्रिक जड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है। कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के साथ अन्याय किया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जल्दबाजी में आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर दिया। वे तेलंगाना के खिलाफ नहीं हैं। जिस तरह से विभाजन हुआ वह बहुत महत्वपूर्ण विषय था। हालांकि तेलंगाना राज्य बनाने पर भी लोगों ने उस पार्टी पर भरोसा नहीं। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने संयुक्त आंध्र प्रदेश के साथ बहुत अन्याय किया है। इसके चलते विभाजन के बाद कांग्रेस दोनों राज्यों में हार गई थी। अगर विभाजन ठीक से किया गया होता तो यह स्थिति नहीं आती। विभाजन कानून पर किसी प्रकार की चर्चा ही नहीं हुई।
प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि संसद में कांग्रेस के सदस्यों ने स्प्रे का इस्तेमाल किया गया। संसद ने दरवाजे बंद कर दिए गए, माइक काट दिए गए और बिल पास कर दिया गया। क्या यही लोकतंत्र है? यह कांग्रेस के अहंकार और महत्वाकांक्षा का जीता जागता सबूत है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य अभी भी विभाजन से नुकसान उठा रहे हैं।