क्या है पीडी एक्ट? विधायक टी राजा सिंह को जमानत मिलेगी या नहीं? जानिए जानकारों के विचार

हैदराबाद: पीडी एक्ट दर्ज हुए गोशामहल विधायक टी राजा सिंह को क्या जमानत मिलेगी या नहीं? क्या वह बाहर आएंगे या नहीं? क्या राजा सिहं को लंबे तक जेल में ही रहना पड़ेगा? पूरी दुनिया में इसी बात को लेकर बहस चल रही है। ज्ञात हो कि पुलिस ने भड़काऊ टिप्पणी करने के आरोप में राजा सिंह को गिरफ्तार किया। बाद में उसके खिलाफ प्रिवेंटिव डिटेंशन (पीडी) एक्ट दर्ज किया।

नियम के अनुसार, पीडी एक्ट के तहत अगर कोई जेल जाता है तो उसे कम से कम तीन महीने से लेकर ज्यादा से ज्यादा एक साल तक जेल में रहना पड़ता है। इस संदर्भ में क्या राजा सिंह के मामले में भी ऐसा ही होगा? या फिर उनके वकील पीडी एक्ट लगाने में पुलिस की गलतियों की ओर इशारा करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर जमानत पर बाहर लाएंगे या नहीं। अब इसी बात को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है।

हालांकि, खबर है कि राजा सिंह अपने खिलाफ पीडी एक्ट के चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा ने वाले है।
इस हद तक खबर है कि उनके वकील इसकी पूरी कोशिशों में लगे हैं।

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पीडी एक्ट आम तौर पर तीन या उससे अधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया जाता है। पृथक तेलंगाना के गठन के इन आठ साल में राज्य में 2,573 लोगों के खिलाफ पीडी एक्ट दर्ज किये गये। इसमें से पिछले साल 664 लोगों के खिलाफ पीडी एक्ट दर्ज करके जेल भेजा गया हैं।

आम तौर पर पीडी एक्ट के मामले सलाहकार बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों वाला एक सलाहकार बोर्ड पीडी एक्ट की प्रक्रियाओं की जांच करता है। बोर्ड मामले के विवरण और पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए पीडी एक्ट के प्रस्तावों पर विचार करता है। बोर्ड पीडी एक्ट के तहत मामला दर्ज होने के एक माह के भीतर किसी भी समय आरोपी पर मुकदमा चला सकता है।

पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों की जांच के साथ बोर्ड आरोपी से भी विवरण लेती है। यदि बोर्ड को लगता है कि पुलिस की ओर से अवैध मामले दर्ज किए गए हैं, तो अपने विवेक से पीडी एक्ट को तुरंत वापस लेता है। यदि पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूत सही पाए जाते हैं, तो वह आरोपी को एक साल के लिए जेल में बंद करने का आदेश देती है।

कानूनी जानकारों का मानना है कि जो लोग पीडी एक्ट के तहत जेल गए हैं, उनके पास सीधे हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर करने का मौका नहीं होता है। कहा गया है कि सलाहकार बोर्ड की जांच के बाद आरोपी को पीडी एक्ट को चुनौती देते हुए अपने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का अवसर मिलेगा। एडवाइजरी बोर्ड की जांच के बाद हाई कोर्ट में आये कई मामलों में पीडी एक्ट को हटाया गया।

कहा जा रहा है कि पुलिस ने अनेक मामलों में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है और कम गंभीरता के मामलों में भी पीडी एक्ट दर्ज किया है तो अदालत ने कई मामलों में पुलिस के व्यवहार में गलत माना है। इसीलिए कहा जा रहा है कि पिछले दिनों की तुलना में हाल के दिनों में पीडी एक्ट के मामलों की संख्या में कमी आई है।

आपको बता दें कि विधायक राजा सिंह को पैंगबर मुहम्मद के खिलाफ की गई विवादास्पद टिप्पणी के चलते गिरफ्तार किया गया। राजा सिंह ने कॉमेडियन मुनव्वर फारुखी शो पर आपत्ति जताई और सरकार से शो की अनुमति नहीं देने की चेतावनी/आग्रह किया था। फिर भी पुलिस ने मुनव्वर शो की अनुमति दी। इसके बाद राजा सिंह ने एक वीडिया जारी किया जो विवादास्पद हो गया। पांच दिन तक शहर में तनाव रहा है। आखिर पुलिस ने राजा सिंह को पीडी एक्ट तहत गिरफ्तार किया और चेरलापल्ली जेल भेज दिया।

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