हैदराबाद : पंडित श्रीलाल शुक्ल स्मारक राष्ट्रीय संगोष्ठी समिति भाग्यनगर एवं हिंदी प्रचार सभा हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता, प्रसिद्ध व्यंग्यकार पद्मभूषण पं. श्रीलाल शुक्ल पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 31 दिसंबर को दोपहर 3 बजे से हिंदी प्रचार सभा नामपल्ली, सभागार में आयोजित की जाएगी।
पंडित श्रीलाल शुक्ल की रचनाओं की विशेषज्ञ एवं कार्यक्रम की संयोजिका डॉ सीमा मिश्रा की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस अवसर पर ‘चुनावी लोकतंत्र और श्रीलाल शुक्ल का साहित्य’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी होगी। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि तथा अध्यक्ष रूप में श्रीराम तिवारी (आईपीएस सेनि) आंध्र प्रदेश सरकार और प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो ऋषभदेव शर्मा भाग लेंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान तथा सम्माननीय अतिथि के रूप में अनिल कुमार वाजपेई पुलिस अधीक्षक (सेनि), गुप्तचर विभाग, तेलंगाना एवं डॉ बी बालाजी, प्रबंधक, हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार, मिश्र धातु निगम (मिधानि) लि. उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम में आत्मीय अतिथि नौमीन् सूरपराज कर्लापालेम्, अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली एवं मिस अलिना, अर्मेनिया उपस्थित रहेंगे। मुख्य वक्ता प्रो गोपाल शर्मा, प्रो एवं अध्यक्ष, (पूर्व) अंग्रेज़ी विभाग, अरबा मींच विश्वविद्यालय, इथियोपिया (अफ्रीका), डॉ आशा मिश्रा, संपादक-पुष्पक साहित्यिकी त्रैमासिक पत्रिका, लेखिका, कवयित्री एवं डॉ सुरभि दत्त, उप-प्राचार्या (से.नि.) हिंदी महाविद्यालय, डॉ मोहम्मद फहीम ज़लांद, शोधार्थी, अफगानिस्तान वक्ता तथा आशीर्वचन देने के लिए डॉ अहिल्या मिश्र, संस्थापक अध्यक्ष : साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति उपस्थित रहेगी और अपने विचार व्यक्त करेंगे।
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शंखनाद एवं मंगलाचरण अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा, (रजि.) कानपुर के तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश राज्य, (संभाग) के अध्यक्ष (युवा प्रकोष्ठ), इंजीनियर चि. आकाश अशोक तिवारी करेंगे। स्वागत एवं विषय प्रवर्तन कार्यक्रम की संयोजिका डॉ सीमा मिश्रा करेंगी। संचालन रवि वैद कवि एवं उपन्यासकार तथा आभार श्रीमती शीला असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, एलएएफडीसी उप्पल प्रस्तुत करेगी।
आपको बता दें कि श्रीलाल शुक्ल (31 दिसंबर 1925 – 28 अक्टूबर 2011) एक हिंदी लेखक थे, जो अपने व्यंग्य के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के लिए एक पीसीएस अधिकारी के रूप में काम किया। बाद में उन्हें आईएएस में शामिल किया गया। उन्होंने 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें राग दरबारी, मकान, सूनी घाटी का सूरज, पहला पड़ाव और बिसरामपुर का संत शामिल हैं।
शुक्ल ने अपने उपन्यासों के माध्यम से स्वतंत्रता के बाद के युग में भारतीय समाज में गिरते नैतिक मूल्यों को उजागर किया है। उनके लेखन में ग्रामीण और शहरी भारत में जीवन के नकारात्मक पहलुओं को व्यंग्यात्मक तरीके से उजागर किया गया है। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना राग दरबारी का अंग्रेजी और 15 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इस पर आधारित एक टेलीविजन धारावाहिक 1980 के दशक में राष्ट्रीय नेटवर्क पर कई महीनों तक जारी रहा। उन्होंने ‘आदमी का ज़हर’ नामक एक जासूसी उपन्यास भी लिखा था जो साप्ताहिक पत्रिका ‘हिंदुस्तान’ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था।
शुक्ल को 2011 में सर्वोच्च भारतीय साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। उनका पहला बड़ा पुरस्कार 1969 में उनके उपन्यास राग दरबारी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार था। उन्हें 1999 में उपन्यास बिसरामपुर का संत के लिए व्यास सम्मान मिला। 2008 में उन्हें भारतीय साहित्य और संस्कृति में उनके योगदान के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। दिसंबर 2005 में उनके 80वें जन्मदिन पर उनके दोस्तों, साथियों, परिवार और प्रशंसकों ने नई दिल्ली में एक साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया था।
इस अवसर को चिह्नित करने के लिए उनके बारे में श्रीलाल शुक्ल – जीवन ही जीवन नामक एक खंड जारी किया गया था। इसमें डॉ नामवर सिंह, राजेंद्र यादव, अशोक बाजपेयी, दूधनाथ सिंह, निर्मला जैन, लीलाधर जगूड़ी, गिलियन राइट, कुंवर नारायण और रघुवीर सहाय जैसी प्रख्यात साहित्यिक हस्तियों की रचनाएँ शामिल हैं। ऐसे महान हस्ती के बारे में हैदराबाद में संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। इसी क्रम में आयोजकों ने नगर के सभी साहित्यकारों से भाग लेकर सफल बनाने का आह्वान किया है।