Article: सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सांसद राहुल गांधी को हैदराबाद से चुनाव लड़ने की चुनौती में है दम

जैसाकि हम जानते ही हैं कि तेलंगाना विधानसभा के चुनाव साल के अंत में होने वाले हैं। इसके चलते राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। हर पार्टी जीत की अपेक्षा रखती है और इससे जुड़़ी तैयारियां भी जोरों पर चल रही है। वहीं राजनीतिक माहौल को देखकर यह साफतौर पर लगता है कि इस बार तेलंगना के विधानसभा चुनाव दिलचस्प होंगे। क्योंकि एकतरफ बीआरएस है जो हैट्रिक मारने और फिर से सत्ता हासिल करने के लिए बेकरार है, तो दूसरी ओर कांग्रेस भी सत्ता पाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती। वहीं बीजेपी भी अधिक से अधिक सीटें पाने के लिए जी-जान लगा रही है। वहीं ओवैसी ने कांग्रेस को चुनौती दे दी है। तो आइये इस रिपोर्ट में यही बात विस्तार से जानते हैं-

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी के नेता सांसद राहुल गांधी को आगामी लोकसभा चुनाव में वायनाड से नहीं बल्कि हैदराबाद से चुनाव लड़ने की चुनौती दी। एआईएमआईएम सांसद अपने संसदीय क्षेत्र हैदराबाद में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए यह चुनौती दी।

इस संबोधन में ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद को सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस के ही शासन में ध्वस्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा, ”मैं आपके नेता (राहुल गांधी) को वायनाड से नहीं बल्कि हैदराबाद से चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहा हूं। आप बड़े-बड़े बयान देते रहते हैं। मैदान में आएं और मेरे खिलाफ लड़कर दिखाये। कांग्रेस के नेता बहुत सी बातें कहेंगे, लेकिन मैं तैयार हूं। बाबरी मस्जिद और सचिवालय की मस्जिद को कांग्रेस के शासन में ध्वस्त कर दिया गया था।

तेलंगाना में कांग्रेस और एआईएमआईएम आमने-सामने हैं। क्योंकि दोनों पार्टियां आगामी विधानसभा चुनावों में शीर्ष पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं, जो इस साल के अंत में होने वाले हैं। जहां कांग्रेस फिर से सत्ता हासिल करना चाहती है वहीं एमआईएम भी ज्यादा से ज्यादा सीटें पाकर अपनी राजनीतिक पैठ साबित करना चाहती है।

हम जानते ही हैं कि इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस ने तुक्कुगुडा में विजयभेरी सभा का आयोजन किया था जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के साथ ही मल्लिकार्जुन खड्गे जैसे सभी पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। इसी सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी, भारत राष्ट्र समिति और एआईएमआईएम तेलंगाना में एकजुट होकर काम कर रहे हैं और उनकी पार्टी इस तिकड़ी के खिलाफ लड़ रही है। उन्होंने कहा था, “तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी बीआरएस के खिलाफ नहीं बल्कि बीआरएस, बीजेपी और एआईएमआईएम के साथ मिलकर लड़ रही है। वे खुद को अलग-अलग पार्टियां कहते हैं, लेकिन वे एकजुट होकर काम कर रहे हैं। ”

वायनाड सांसद ने यह भी दावा किया था कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव या एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ कोई सीबीआई-ईडी मामले नहीं हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अपने “अपने लोग” मानते हैं।

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में विजयी होने के लिए मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सत्तारूढ़ बीआरएस ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की सूची की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस ने अपनी “छह गारंटी” की घोषणा की है, जिसके बारे में पार्टी का कहना है कि अगर वे सत्ता में आए तो उन्हें पूरा किया जाएगा।

हाल ही में आईटी मंत्री केटीआर भी राहुल गांधी और उनकी पार्टी की इन छह गांरटी योजनाओं पर जमकर बरसे थे। उन्होंने कहा था कि ये सब हवा-हवाई बातें हैं और सत्ता पाने के लिए कांग्रेस ये सारे हथकंडे अपना रही है। ये सारी घोषणाएं ऐसी हैं जिन पर अमल करना कांग्रेस के बस की बात ही नहीं है, वो सिर्फ लोगों को लुभाकर उनका वोट पाना चाहती है।

अब ओवैसी ने भी राहुल गांधी और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि बातें करने की बजाय हैदराबाद से चुनाव लड़ें और उनके खिलाफ खड़े होकर, जीतकर बताएं। देखना यह है कि ओवैसी की बातों पर कांग्रेस ध्यान भी देती है या नहीं? क्योंकि यह तो हर कोई जानता है कि ओवैसी को उनकी सीट से हरा पाना इतना आसान भी नहीं है। इस सबके चलते चुनावी माहौल बड़ा दिलचस्प होता जा रहा है और यह तो साफ है कि किसी भी पार्टी के लिए चुनाव में जीत हासिल करना इतना आसान भी नहीं होगा। बाकी होता क्या है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

लेखक मीता, वरिष्ठ पत्रकार

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