भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना अति पावन एवं पवित्र माना जाता है। इस माह में वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है एवं धरती मां धानी रंग की चुनरी ओढ़ कर मुस्कुराती है। श्रावण मास लगते ही शिवालयों में बोल बम के नारे गूंजने लगते हैं। श्रद्धालु गण शिव, पार्वती, नंदी, गणेश की विशेष पूजा जल, कच्चे दूध, दही ,पंचामृत, फलों का रस, नारियल पानी, भांग-धतूरा ,बैल-पत्र, जनेऊ, रोली-मोली, इत्र एवं पान-सुपारी के माध्यम से बेहद श्रद्धा से करते हैं।
शिव अभिषेक अत्यंत फलदाई होता है। वैसे तो त्योहारों से लबालब सावन मास का प्रत्येक दिन ही महत्वपूर्ण है, परंतु कुछ बङे त्योहार बहुत ही आस्था और विश्वास के प्रतीक माने जाते हैं। जैसे- नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। हरियाली अमावस्या पर्यावरण के महत्व को दर्शाती हैं। इस दिन पौधा लगाना बेहद फलदाई होता है। भगवान शिव एवं मां पार्वती के मिलन का दिन हरियाली तीज के अवसर पर महिलाएं अपने पति की दीर्घायु एवं समस्त सुख-समृद्धि की कामना तथा कुंवारी कन्याएं योग्य वर प्राप्त करने हेतु व्रत एवं पूजन करती हैं।
पूजा विधि के लिए सावन माहीने के दौरान सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। शिव मंदिर में जाकर शिवजी के दर्शन और पूजा की जानी चाहिए। सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल और दूध से अभिषेक किया जाये। इसके लिए भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, गंगाजल और दूध प्रिय हैं, इसलिए इन सामग्री को अवश्य शामिल किया जाये। सावन माह में शिवजी के जलाभिषेक के दौरान ‘ओम् नमः शिवाय’ मंत्र का अवश्य जाप कीजिए। पूजा पूर्ण करने के बाद अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना कीजिए। शिव आरती, शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं।
रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर बहने अपने भाइयों के कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधकर भाई के लिए मंगल कामना करती हैं एवं भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं। हिंदू मान्यता अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना एवं विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाने से अच्छे भाग्य, धन-ऐश्वर्य एवं उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भोले प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं।
– लेखिका भारती सुजीत बिहानी सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल)