ओमिक्रॉन को लेकर ताजा रिसर्च ने बढ़ाई लोगों की चिंता, तेलंगाना स्वास्थ्य विभाग ने दी चेतावनी, दिया यह सुझाव

हैदराबाद : ओमिक्रोन के पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। ओमिक्रॉन से भारत की चिंता तेजी से बढ़ रही है। कई यूरोपीय देशों में रोज हजारों की संख्या में ओमिक्रॉन वेरिएंट के नये मामले सामने आ रहे हैं। भारत में भी ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कई रिसर्च में यह दावा किया गया कि यह डेल्टा वेरिएंट से ओमिक्रॉन कम खतरनाक है। अब ओमिक्रॉन को लेकर एक ताजा रिसर्च ने हेल्थ एक्सपर्ट्स की चिंता बढ़ा दी है।

आपको बता दें कि तेलंगाना के स्वास्थ्य निदेशक डॉ श्रीनिवास राव ने गुरुवार को कहा कि आने वाले दिनों में तेलंगाना में पहले कभी नहीं ऐसी स्थिति देखने जा रहे हैं। पूर्व में दर्ज मामलों की तुलना में एक दिन में कोरोना पांच गुना बढ़ जाएंगे। कोरोना के तेजी से फैलने की संभावना है। साथ ही ओमिक्रॉन के मामले भी एक साथ बढ़ने की आशंका है।

डॉ श्रीनिवास राव ने तेलंगाना और देश में अगले दो से चार हफ्ते सबसे अहम हैं। यह तीसरी लहर की शुरुआत है। नए साल का जश्न और संक्रांति बड़ा त्योहार आ रहे हैं। लोगों का आना-जाना बहुत बढ़ने वाला है। इसके चलते आने वाले संक्रांति तक कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो जाएगी। जिन लोगों को टीका लगाया गया है, उन्हें भी कोविड होने की संभावना है।

निदेशक ने कहा कि माना जा सकता है कि तीसरी लहर शुरू हो गई है। ओमिक्रॉन रोग के लक्षण 90 फीसदी लोगों में दिखाई नहीं दे रहे हैं। जिसमें लक्षण नहीं हैं, ऐसे व्यक्ति को परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट पूरी तरह से रोक दिये गये हैं। पिछली बार कोरोना की दूसरी लहर आने पर जीत गये। आने वाले दिनों में आवश्यक कदम उठाएंगे।

रिसर्च में खुलासा हुआ है कि जिन लोगों को पहले से संक्रमण और वैक्सीन के कारण शरीर में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनी है, वह बेअसर हो जाएंगी। ओमिक्रॉन में अब थोड़ा भी बदलाव हुआ है। ऐसी स्थिति में वैक्सीन दोबारा वायरस को रोकने के काबिल नहीं रहेगी। नया रिसर्च को कोलंबिया यूनिवर्सिटी और हांगकांग यूनिवर्सिटी ने मिलकर तैयार किया है। नेचर जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ओमिक्रॉन में कई तरह के बदलाव देखें गए है। अगर ओमिक्रॉन वेरिएंट में और बदलाव होते हैं तो टीके और संक्रमण से उत्पन्न हुई एंटीबॉडीज नये वेरिएंट पर कारगर साबित नहीं होगी।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि फाइजर (Pfizer), मॉडर्ना (Moderna), जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson vaccine) और एस्ट्राजेनेका (Astrazeneca) जैसे वैक्सीन भी ओमिक्रोन के बदलाव होने की स्थिति पर काम नहीं कर पाएंगी। इसके चलते बूस्टर डोज इसका एक मात्र विकल्प होगा। बूस्टर डोज की मदद से कोरोना संक्रमण को कुछ कम किया जा सकेगा।

रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों में से एक कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड ने कहा, “ओमिक्रोन से बचाव के लिए हमें नये टीके तैयार करने होंगे। इसके साथ ही हमें इलाज के नये तरीकों के बारे में भी सोचना पड़ेगा। आने वाले समय में वैज्ञानिकों को टीके अपग्रेड करने की जरूरत पड़ सकती हैं।”

रिपोर्ट में ओमिक्रॉन से खुद का बचाव करने के कुछ सुझाव दिया है। वैक्सीन लगवाने योग्य हैं तो जल्द से जल्द लगवाएं। भीड़-भाड़ वाली जगहों में न जाये। बाहर जाते समय फेस मास्क जरूर लगाएं। वायरस के लक्षण दिखाते ही कोरोना टेस्ट जरूर करवाएं।
यदि आपको संक्रमण की पता चलता है तो खुद को जल्द से जल्द होम आइसोलेट कर लें। (एजेंसियां)

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