हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र द्वारा महाराष्ट्र राज्य के जालना जिले के माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 467वाँ नवीकरण पाठ्यक्रम 11से 22 मार्च तक हैदराबाद केंद्र पर आयोजित किया जाएगा। सोमवार को कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह संपन्न किया गया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की।
मुख्य अतिथि के रूप में विवेक वर्धिनी महाविद्यालय, जामबाग, कोठी, हैदराबाबाद के प्राचार्य डॉ. डी. विद्याधर उपस्थित थे। इस दौरान कार्यालय अधीक्षक डॉ. एस. राधा एवं पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे उपस्थित थे। इस नवीकरण पाठ्यक्रम में कुल 28 (महिला-05, पुरुष-23) हिंदी अध्यापक प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया। इस नवीकरण पाठ्यक्रम के प्रभारी एवं संयोजक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे हैं।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा संस्थान गीत एवं स्वागत गीत सुनाया है। डॉ. गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र ने अतिथि का स्वागत किया एवं अतिथि का परिचय दिया। साथ ही प्रतिभागियों को पाठ्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया। उद्घाटन समारोह के दौरान प्रतिभागियों से पूछा गया कि इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से आपकी क्या अपेक्षाएँ हैं। इस पर दो प्रतिभागियोंने अपनी पाठ्यपुस्तक को कक्षा में पढ़ाने समय आने वाली समस्याओं से अवगत कराया। व्याकरण त्रुटियों की समस्या बताई। इस दौरान दो प्रतिभागी अध्यापकों ने गीत-गान भी किया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. विद्याधर जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि यदि भाषा न हो तो क्या हो सकता है- भाषा को चार प्रकार से समझा जा सकता है- इशारों के माध्यम से, संकेतों के माध्यम से समझा जा सकता है। परंतु भाषा का आदान-प्रदान नहीं हो सकता है। अध्यापक के रूप में हमने अपने आप को चुना है। उन्होंने आगे कहा कि इस संसार में कोई वृत्ति है तो वह शिक्षक की वृत्ति हो सकती है जो हम इस वृत्ति को मानते हैं। एक अच्छे शिक्षक का गुण होना चाहिए कि वह सीखाता कम है और सीखता ज्यादा है। उन्होंने आगे कहा बालक तो हमेशा कोरा कागज होता है उसका पहला शिक्षक तो माता-पिता होते है। उन्होंने कहा कि अध्यापक को पढ़ाते समय छात्रों को बताना चाहिए कि वे ध्यान से सुने। सुने हुए को स्वाध्याय का स्व-अध्ययन करें। प्रवचनकाल-अपने जीवन में लागू करना चाहिए। जब आप सुने हुए शब्दों को व्यवहार में लाएँगे तब आपका सम्यक, संपूर्ण रूप से सर्वांगीण विकास होगा।
समारोह के अध्यक्ष केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में केंद्रीय हिंदी संस्थान का परिचय देते हुए कहा कि 66 वर्षों से केंद्रीय हिंदी संस्थान हिंदी शिक्षकों के लिए इस प्रकार के नवीकरण पाठ्यक्रम चलाता आ रहा है। हिंदी का अध्यापन, अनुसंधान करने वाले अध्यापकों को हिंदी का अद्यतन ज्ञान आवश्यक है। शिक्षक को छात्र की तुलना में अद्यतन होना चाहिए क्योंकि छात्र अध्यापक द्वारा दी गई जानकारी को प्रमाण या लकीर मानकर जीवन यापन करते हैं। शिक्षक को समयानुकूल अपने को ढालना या समयानुरूप अद्यतन होना आवश्यक है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस नवीकरण पाठ्यक्रम में भाग लेने के बाद आपके मन में यह बात अवश्य आएगी कि अपने इस नवीकरण पाठ्यक्रम में बहुत कुछ पाया। यह प्रशिक्षण केवल प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है।
इस तरह के पाठ्यक्रमों में आपके अंदर छिपे कई कौशल बाहर निकाले जाते हैं। अद्यतन ज्ञान देने के अलावा आपमें छिपे कला गुणों को बाहर निकालना भी इस नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्देश्य है। कला की सार्थकता तब होगी जब वह जनता के सामने प्रस्तुत होती है। नाटक खेलने के बाद ही उस नाटक की सार्थकता का पता चलता है। कला हर एक में होती है। आपके छात्रों में भी कलाएँ होती हैं। हमारी पारखी नजर उनकी सुप्त कला को जगाने की होती है। इसके लिए छात्रों के साथ अधिक समय बिताना होगा। उन्हें मुक्त वातावरण देना होगा। हममें से हिंदीतर प्रांतों में अध्यापन करने वाले अध्यापकों में से एक तिहाई शिक्षकों ने केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यह प्रशिक्षण एक माध्यम है, एक साधन है जो हम सबको जोड़ता है। इस प्रशिक्षण के साथ आपका केंद्रीय हिंदी संस्थान के साथ एक भावात्मक रिश्ता बनने वाला है।
पाठ्यक्रम के संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने प्रतिभागियों को केंद्रीय हिंदी संस्थान का परिचय तथा नवीकरण पाठ्यक्रम से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. एस. राधा ने किया। इस दौरान में केंद्र के प्रशासनिक सदस्य डॉ. संदीप कुमार, सजग तिवारी, शेख मस्तान वली और अन्य उपस्थित थे।