केंद्रीय हिंदी संस्थान: ‘हिंदीतर भाषी नवलेखक शिविर’ का समापन तथा 475वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन समारोह आयोजित

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘हिंदीतर भाषी हिंदी नवलेखक शिविर’ का समापन समारोह तथा 475वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन समारोह हैदराबाद केंद्र पर आयोजित किया गया।

इस पाठ्यक्रम में कुल 20 (महिला-11, पुरुष-09) प्रतिभागी अध्यापकों ने पंजीकरण कराया। सर्वप्रथम माँ शारदे के समक्ष मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना आकाश द्वारा की गई संस्थान गीत केरल समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया। अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत कोल्हापुर समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा तथा केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की। कार्यक्रम के संयोजक केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे रहे। मुख्य अतिथि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद के उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष तथा मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (मानू) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के परामर्शी (हिंदी) सदस्य प्रो. ऋषभदेव शर्मा तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. योगेंद्रनाथ मिश्र रहे। शिविर प्रभारी सहायक निदेशक (भाषा) केंद्रीय हिंदी निदेशालय डॉ. कृति शर्मा रहीं। नवीकरण पाठ्यक्रम प्रभारी एवं हिंदीतर भाषी हिंदी नवलेखक शिविर के समन्वयक डॉ. फत्ताराम नायक रहे।

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सम्मानीय अथिति डॉ. प्रमोद मीणा हिंदी विभागाध्यक्ष, तेजपुर विश्वविद्यालय, आसाम रहे। इस अवसर पर डॉ. प्रदीप कुमार भी मंच पर उपस्थित रहे। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने कहा कि काव्य सृजन करने वाले हर विद्वान को काव्यशास्त्र का एक बार जरूर अध्ययन करना चाहिए। नवलेखक जिस विधा पर लिखना चाहें उनकी उन्हें सामान्य जानकारी होनी चाहिए। साहित्य लेखन आज के समय में रोज़गार भी उपलब्ध करवाता है। आज साहित्य की सैद्धांतिकी पर भी नवलेखकों को चिंतन करना चाहिए।

मुख्य अतिथि प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि रचनाकार प्रजापति का प्रतीक है। अपने लेखन कार्य के लिए आपने जिस विधा को चुना है उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दें। विशिश्ट अतिथि डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र ने भाषा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भाषा का लेखन में महत्वपूर्ण स्थान है। क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने कहा कि आज का युग प्रोद्यौगिकी का युग है। नई-नई तकनीकों को सीखें और उसके माध्यम से अपने लेखन में सुधार करें। उन्होंने नवीकरण के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी की बागडोर आपके हाथों में है।

सम्माननीय अतिथि प्रमोद मीणा ने कहा कि किताबी ज्ञान जीवन से जुड़ा हुआ नहीं है तो इसका कोई महत्व नहीं है, जो भी ज्ञान अर्जित करें उसे अपने जीवन में उतारें। शिविर संयोजक डॉ. कृति शर्मा, सहायक निदेशक (भाषा) ने कहा कि आज हमें सामाजिक सरोकारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। मेरा विश्वास है कि इस शिविर के माध्यम से आपने बहुत कुछ सीखा होगा। अपने लेखन के माध्यम से समाज को नई गति प्रदान करें।

इस अवसर पर प्रतिभागी सैय्यद सुमैया, तेजस्वीनी राजपूत, देविका, आकाश, डॉ. दयाशंकर तथा इंदू सिंह ने स्वरचित कविता पाठ तथा अफ्सिया एफ.एस. एवं लक्ष्मी प्रिया ने लोक सांस्कृतिक गीत प्रस्तुत किया। नवलेखक शिविर संपन्न करने वाले सभी प्रतिभागियों तथा विषय-विशेषज्ञों को मंचस्थ अतिथियों द्वारा प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर सभी ‘हिंदीतर भाषी हिंदी नवलेखक शिविर’ के प्रतिभागी एवं 475वें नवीकरण पाठ्यक्रम के प्रतिभागी अध्यापक तथा हैदराबाद केंद्र के सदस्य डॉ. एस. राधा, डॉ. संदीप कुमार, सजग तिवारी तथा शेख मस्तान वली उपस्थित थे। डॉ. प्रदीप कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. सुषमा मारूति चौगले ने किया।

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