हैदराबाद: स्वतंत्रता सेनानी और तेलंगाना सशस्त्र आंदोलन में प्रमुख निभाने वाले बंड्रू नरसिम्हुलु (103) का निधन हो गया। वो कुछ समय हैदराबाद में अपने बड़े बेटे के पास रह रहे थे। शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। 1918 में यादाद्री भुवनगिरी जिले के आलेरू गांव में बंड्रू कोमुरम्मा और बुच्चिरामुलु दंपत्ति के घर में नरसिम्हुलु का जन्म हुआ था।
नरसिम्हुलु ने आरुट्ला रामचंद्र रेड्डी के आह्वान पर निजाम सेना के खिलाफ जारी संघर्ष में भाग लिया। इसी दौरान आलेरू क्षेत्र में शिवा रेड्डी के नेतृत्व में वंगपल्ली में निज़ाम पुलिस के खिलाफ हमला किया। उनके बंदूक लेकर भाग गये थे।
नरसिम्हुलु ने गांवों को बंधुआ मजदूरी के खिलाफ लामबंद किया गया था। देश में आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया। उन्होंने देवुलपल्ली वेंकटेश्वर राव, तरिमेला नागी रेड्डी और चंद्र पुलारेड्डी के नेतृत्व में गठित भाकपा (माले) के आंदोलन में हिस्सा लिया था।
सीपीआई (एमएल) में लंबे समय तक बने रहे। इस आंदोलन के दौरान नरसिंहुलु 22 साल जेल में रहे। परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर को गांधी मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया है।
उनकी बेटी विमलक्का पिता के दिखाए गए आंदोलन के मार्ग पर चल रही है। विमलक्का जनशक्ति के नेतृत्व में स्थापित अरुणोदय कला मंडली में कार्यरत हैं। नरसिंहुलु को दो बेटे और तीन बेटियां हैं। उनकी छोटी बहु बंड्रू शोभरानी भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। प्रमुख शिक्षाविद चुक्का रामय्या ने नरसिंहुलु ने निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और नरसिंहुलु को श्रद्धांजलि दी है।