राहुल गांधी से मिलकर कामरेड गदर हुए प्रसन्न, बोले- “भूमि मुद्दे को सुलझाने एक और आंदोलन के लिए है तैयार

हैदराबाद: जन नाट्य मंडली के संस्थापक, लोक गायक, कवि और कलाकार गदर ने कहा कि तेलंगाना में भूमि मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार के खिलाफ एक और आंदोलन शुरू करने के लिए तैयार हैं। गदर ने रविवार को मदर्स डे के मौके पर मेदक जिले के तुप्रान में अपनी मां लक्ष्मम्मा की समाधि पर माल्यार्पण किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार की धरणी पोर्टल से गरीब किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस पार्टी ने किसानों की परेशानियों को देखते हुए धरणी पोर्टल को हटाने के फैसला किया है। इसके चलते वह कांग्रेस पार्टी का समर्थन करेंगे।

शनिवार को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के साथ धरणी पोर्टल और टीआरएस के शासन तथा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है। मुख्य रूप से किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए किए जाने वाले मुद्दों के बारे में राहुल गांधी को बताया है। राहुल गांधी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। तेलंगाना में आदिवासी और अन्य जनजातियों को भी जमीन का मालिकाना हक देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का सुझाव दिया है।

गदर ने आगे कहा कि पहले मैंने कालेश्वरम परियोजना का समर्थन किया था। मगर इस समय तूप्रान में उसकी एक एकड़ कालेश्वरम परियोजना में जा रही है। मुझे एक एकड़ के बदले अन्य जगह पर एक एकड़ जमीन देने के बाद ही सरकार कार्य शुरू कर सकती है। इस बारे में दो साल से जिलाधीश को जमीन आवंटन करने के लिए सरकार से आवेदन किया है। मगर सरकार की ओर से अबतक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मुझे डर है कि मेरी जमीन चली जाएगी। मेरे मां-बाप ने कड़ी मेहनत से खेतीबाड़ी करके मुझे उच्च शिक्षा दिलाई है। ग़दर ने कहा कि जब तक सरकार मुझे जमीन नहीं देती तब तक कालेश्वरम परियोजना के कार्य शुरू नहीं होने दूंगा। जरूरत पड़ने पर अपने खेत की बाड़ लगाकर बैठ जाऊंगा। इस जमीन मुद्दे पर दो दिनों में उच्च न्यायालय में याचिक दायर किया जाएगा।

ग़दर ने कहा कि वह अपनी मां लक्ष्मम्मा के नाम पर तुप्रान में एक संगीत स्कूल स्थापित करने का संकल्प लिया है। इसके लिए सरकार से बार-बार भूमि आवंटित करने का आग्रह किया है। मगर सरकार ने भूमि आवंटित नहीं किया है। अब अधिकारी मेरी एक एकड़ जमीन से कालेश्वरम परियोजना के निर्माण के लिए कदम उठा रहे हैं। जब तक जमीन के बदले जमीन नहीं दी जाती है तब तक काम शुरू नहीं करने दिया जाएगा। मैंने अपने गृहनगर के लिए कुछ करने की नीयत से बिना किसी स्वार्थ के साढ़े तीन करोड़ की लागत से उत्थान योजना के निर्माण का बीड़ा उठाया है। इस समय हरे-भरे खेतों को देखकर प्रसन्नता होती है। लेकिन अब कालेश्वरम परियोजना के कारण 135 एकड़ भूमि जाने के डर से सभी किसान चिंतित हैं।

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