कालोजी नारायण राव या काओजी के बारे में नहीं जानने वाला ऐसा कोई तेलुगु व्यक्ति विशेषकर तेलंगाना के लोग नहीं है। काओजी को तेलंगाना आंदोलन का प्रतिनिधि कहा जाता है। इतना ही नहीं, अन्याय जहां पर भी होता था, वे वहां पर जाते थे और अन्याय खिलाफ आवाज उठाते थे। वे अधिकारों के लिए लड़ने वाले योद्धा और आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोकलुभावन व्यक्ति थे। कुल मिलाकर वह आम लोगों के व्यक्ति थे।
उस समय कालोजी ने निज़ाम सरकार के अन्याय और अत्याचार के ख़िलाफ़ अपनी कलम उठाई थी। ऐसे महान कालोजी का जन्म 9 सितंबर को हुआ था। तेलंगाना सरकार ने उनके जन्मदिन को तेलंगाना भाषा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कालोजी कितने महान व्यक्ति थे। यहां पर उनके बारे में जो कुछ भी कहा गया है बहुत कम है।
ऐसे महान तेलंगाना के लोकप्रिय कवि और स्वतंत्रता सेनानी कलोजी नारायण राव के जीवन को सिल्वर स्क्रीन पर दिखाने का निर्देशक प्रभाकर जैनी ने फैसला किया है। गौरतलब है कि प्रभाकर जैनी ने इससे पहले ‘कैंपस अम्पाशय्या’, ‘प्रणय वीधुल्लो’, ‘अम्मा! नीकु वंदनम’ जैसे प्रसिद्ध फिल्में बनाई हैं। इस समय स्वाति साप्ताहिक के प्रमुख वेमुरी बलराम की बॉयोपिक बनाने में व्यस्त हैं। हालांकि, कालोजी नारायण राव पर बॉयोपिक का नाम ‘प्रजा कवि कालोजी’ #PjakaviKaloji रखा है और इसका फिल्मांकन भी पूरा हो चुका है।
प्रभाकर जैनी के सामने कालोजी की भूमिका को लेकर अनेक नाम सामने आये। आख़िरकार प्रभाकर ने मूलविराट का चयन किया। दिलचस्प की बात यह है कि मूलविराट कलोजी जैसे दिखाई देते हैं। कलोजी नारायण राव की पत्नी के रूप में पद्मा, बेटे के रूप में राज कुमार और बहू के रूप में स्वप्ना ने अभिनय किया है। फिल्म के निर्माताओं ने कहा कि इस फिल्म को 9 सितंबर को रिलीज करने की तैयारी कर रहे हैं।
निर्देशक ने यह भी कहा कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान कालोजी का किरदार निभा रहे मूलविराट को देखकर ऐसे लग रहा था मानो कालोजी सच में कैमरे के सामने आये हैं। क्योंकि मूलविराट हूबहू कालोजी जैसे ही दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि कालोजी के परिवार के सदस्यों ने भी यही राय व्यक्त की है। कालोजी जहां-जहां गये हैं और रहे हैं वहां-वहां जाकर फिल्मांकन किया गया। मुख्य रूप से वरंगल, करीमनगर, हैदराबाद और विशाखापट्टणम में भी फिल्मांकान किया गया।
श्री श्री, कालोजी और रामेश्वर राव के एक साथ निरकाले गये दृश्य और विशाखापट्टण में कृष्णाबायम्मा के घर पर मिले और लिये गये कालोजी के दृश्य अद्भुत हैं। हमने अमृतलता के घर में कुछ सीन शूट किए। हमने उस घर में दृश्य फिल्माए जहां वे रहते थे। हमने कलोजी के चश्मे और हाथ की छड़ी का उपयोग उनके परिवार के सदस्यों की अनुमति से किया है।
कालोजी के दोनों तेलुगु राज्यों में अनेक दोस्त हैं। उनकी जीवनियाँ पढ़ने और साथ ही उनके करीबी दोस्तों से सुनने पर लगा कि हमें दस फिल्मों के लिए पर्याप्त सामग्री मिल गई है। प्रभाकर जैनी ने कहा कि कालोजी के जीवनी को एक फिल्म के दायरे में सीमित करना असंभव है। इसलिए मैंने केवल कुछ दृश्य लिए जो कालोजी के कद और व्यक्तित्व को उजागर करते हैं। उनके जीवन से प्रेरित होकर कहानी लिखी है। फिल्म के चार गानों में से एक गाने को विधायक गोरटी वेंकन्ना ने, दो गानों को वंदेमातरम श्रीनिवास ने, एक को मालविका और भूदेवी ने गाया है। निर्देशक ने कहा कि हमने इन गानों में कालोजी की कविताओं के सार को भर दिया है।
कालोजी के साथ लंबे समय तक रहने वाले पोट्लपल्ली श्रीनिवास राव, नागिल्ला रामशास्त्री, विद्यार्थी, अम्पाशय्या नवीन, डॉ वीएस रेड्डी, अनवर और अन्य इस फिल्म में भूमिकाएँ। पीवी नरसिम्हा राव की भूमिका निभाई में उनके भाई पीवी मनोहर राव निभाई है।