हैदराबाद : कृषि कानून और सरकार की नीति के विरोध में एक बार फिर 27 सितंबर को भारत बंद मनाया जाएगा। इस सदर्भ में मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत में रविवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भाग लिया। उन्होंने सरकार के खिलाफ सिर्फ खेती-किसानी ही नहीं बल्कि निजीकरण, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने को आह्वान किया।
टिकैत ने कहा कि सरकार को झुकाने के लिए वोट की चोट जरूरी है। देश बचेगा तो संविधान बचेगा। सरकार ने रेल, तेल और हवाई अड्डे बेच दिये हैं। सरकार को ये हक किसने दिया है। ये बिजली बेचेंगे और प्राइवेट करेंगे। सड़क बेचेंगे और सड़क पर चलने पर टैक्स लगाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे में सभी बड़े मुद्दों को साथ लाकर देश को बचाना है। टिकैत ने आरोप लगाया कि भारत सरकार बिकाऊ है यानी सेल फॉर इंडिया का बोर्ड देश में लग चुका है। एलआईसी, बैंक सब बिक रहे हैं। इनके खरीदार अडाणी और अंबानी हैं। एफसीआई की जमीन, गोदाम अडाणी को बेचे गये हैं। समुद्र तटों के सैकड़ों किलोमीटर तक बंदरगाह बेच दिये गये हैं। बेचारे मछुआरे परेशान हैं।
भारतीय किसान यूनियन के नेता ने कहा कि ये पानी बेच रहे हैं। नदियां निजी कंपनियों को बेची जा रही हैं। देश का संविधान भी खतरे में हैं। उसको भी बचाना है। खेती-किसानी जब बिकने की कगार पर आया तो किसान जागा है। आपका बैंक कर्ज चुका दो तो और दोगुना कर्जा दे देगा। हम जिस जमीन से आये हैं। ये गन्ने की बेल्ट हैं। जब हमारी सरकार आएगी तो 450 रुपये प्रति क्विटल गन्ने का भाव देगी। हजारों करोड़ रुपये बकाया है। 9 महीने से हम आंदोलन कर रहे हैं और पूरा संयुक्त किसान मोर्चा डटा है और रहेगा। जब देश के किसान और नौजवान की जीत होगी, तभी हम अपने घर और गांव जाएंगे।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि मोदी सरकार ने जिस तरह नोटबंदी कर किसानों और मजदूरों पर मार की थी, उसी तरह 27 सितंबर को भारत बंद होगा। किसान अब बीजेपी के खिलाफ वोटबंदी करेगा। मजदूर, किसान, महिलाएं और हर वर्ग इसमें बढ़चढ़ कर भाग लेंगे। पाटकर ने कहा कि सिर्फ कुछ पूंजीपतियों के लिए सारे फैसले लिए जा रहे हैं। लेकिन कृषि कानूनों का फैसला जन संसद में होगा और इसका फैसला जनता करेगी। (एजेंसियां)