अयोध्या में श्री राम मंदिर पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने साधा इन पर निशाना

हैदराबाद: करोड़ों भारतीयों का सपना, अयोध्या में श्री राम मंदिर। उस सपने को साकार होने में बस कुछ ही घंटे बाकी हैं। दरअसल ये राम मंदिर बेहद खास है। भगवान राम की जन्मभूमि माने जाने वाले स्थान पर मंदिर बनाने के लिए कई संघर्ष हुए। इस क्षेत्र को लेकर कई अन्य विवाद भी हैं। इसी क्रम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष को समान तेवर के साथ निशाना साधा है।

ओवैसी ने एक अखबार के साथ बातचीत में अयोध्या में राम मंदिर से लेकर विपक्ष का रुख़ और बाबरी मस्जिद गिराए जाने तक की घटनाओं का ज़िक्र किया और बीजेपी और विपक्ष पर निशाना साधा और आड़े हाथों लिया। एक तरफ उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को हिंदू वोटरों के तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कहा कि अब तक जो कुछ हुआ है उसमें विपक्ष की भूमिका भी अहम रही है।

सांसद ने कहा कि 1949 में चोरी-छिपे मस्जिद में एक मूर्ति रख दी गई थी। इसके बाद ही ये पूरा आंदोलन शुरू हुआ। मुसलमानों को मस्जिद में जाने से भी रोक दिया गया। एक तरफ जहां कोर्ट और सरकारों ने संघ परिवार के पक्ष में फ़ैसले लिए वहीं मुसलमानों को और अलग-थलग किया गया। फिर 1992 में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया गया, ये भी इस प्रक्रिया का ही हिस्सा था।

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एआईएमआईएम के प्रमुख ने आरोप लगाया कि चुनी हुई सरकारों और कोर्ट में बीजेपी-संघ परिवार के आश्वासन के बाद भी मस्जिद को आख़िरकार गिरा ही दिया गया। इसके बाद 2019 में आए कोर्ट के फ़ैसले ने मंदिर का रास्ता साफ कर दिया। मुस्लिम पक्ष ने लीगल टाइटल को लेकर बहस की थी, कोर्ट ने आस्था से जुड़े सबूत की तलाश की और कहा कि हिंदू पक्ष के पास आस्था के सबूत मज़बूत हैं।

ओवैसी ने कहा, “मैं कहता रहा हूं कि आस्था के आधार पर फै़सला दिया गया होता तो अगर मस्जिद नहीं गिराई जाती तो फै़सला क्या होता? हमारे लिए सांत्वना की बात केवल ये रही कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के इस तर्क को माना कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाने की बात के कोई पुरातात्विक प्रमाण नहीं हैं। देखा जाए तो, बाबरी मस्जिद-राम मंदिर का पूरा आंदोलन झूठ की ज़मीन पर खड़ा था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई मंदिर नहीं गिराया गया था।”

गौरतलब है कि सनातन धर्म में किसी भी मूर्ति को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए मूर्ति स्थापना के दौरान प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्राण प्रतिष्ठा किसी भी मूर्ति की स्थापना के दौरान मूर्ति को जीवंत बनाने की प्रक्रिया है। प्राण का अर्थ है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ है स्थापना। प्राण प्रतिष्ठा के बिना कोई भी मूर्ति पूजा के योग्य नहीं मानी जाती। इसीलिए ऐसा माना जाता है कि प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से मूर्ति में प्राण शक्ति का संचार होता है और मूर्ति भगवान बन जाती है।

अयोध्या को साकेतपुरम के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह वह स्थान भी है जहां विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया था। अयोध्या रामायण महाकाव्य का उद्गम स्थल है। पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्यों के अनुसार यह मंदिर ईसा पूर्व पांचवीं या छठी शताब्दी का बताया जाता है।

गौरतलब है कि अयोध्या का यह खूबसूरत मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित है। आने वाले समय में अयोध्या मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र बिंदु बनने वाला है। तीर्थयात्रियों, इतिहासकारों और पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग। यह मंदिर भारतीय और विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। निःसंदेह यह भविष्य में हमारा सबसे बड़ा ऐतिहासिक प्रतीक बनेगा। मंदिर की भव्यता और इसकी ऐतिहासिक किंवदंतियाँ आगंतुकों को आकर्षित करती हैं।

अयोध्या में राम मंदिर पारंपरिक शहरी शैली में बनाया गया। मंदिर की लंबाई 380 फीट है। चौड़ाई 250 फीट है। ऊंचाई 161 फीट है। मंदिर तीन मंजिल का है। प्रत्येक 20 फीट लंबा है। इसमें कुल 392 स्तंभ और 44 दरवाजे हैं। मुख्य गर्भगृह में श्री राम लला (राम के बचपन) की मूर्ति है। पहली मंजिल पर श्री राम दरबार है। नृत्य, रंग, सभा, पदार्थ और कीर्तन नामक पाँच मंडपों का भी निर्माण किया गया। मंदिर के खंभे, दीवारों पर भगवान की मूर्तियां, किंवदंतियों की कहानियां है। मंदिर के आसपास चार अन्य मंदिर हैं। वे हैं- सूर्य, देवी भगवती, गणेश, शिव मंदिर। इसके अलावा श्री राम जन्मभूमि परिसर में 5-6 और मंदिर बनाने का प्रस्ताव है। मंदिर के निर्माण में लोहे के एक भी टुकड़े का उपयोग नहीं किया गया। ताकि चाहे कितने भी भूकंप या प्राकृतिक आपदाएं आएं तो गिरने वाला नहीं है। राम मंदिर की नींव आरसीसीसी (रोल कॉम्पैक्ट कंक्रीट) से बनाई जाएगी। अनुमान है कि ये मंदिर 1,800 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बनाया गया है।

यह तीर्थ केवल एक मंदिर ही नहीं बल्कि आस्था, एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। मंदिर का निर्माण भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर है, जो सत्य, न्याय और धर्म की जीत का प्रतीक है। यह मंदिर हिंदू समुदाय की शाश्वत भावना और भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति का प्रमाण है। यह मंदिर आशा और प्रेरणा की रोशनी बिखेरता है, हमें विश्वास की शक्ति और मानव आत्मा की ताकत की याद दिलाता है। जैसा कि भारत अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारी कर रहा है। मंदिर राष्ट्र को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जागृति का स्थान देने का वादा करता है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक स्मारक है। श्री राम की शाश्वत विरासत का एक प्रमाण है। (एजेंसियां)

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