14 सितंबर हिंदी दिवस है। पूरे देश में हिंदी मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आने वाली भावी पीढ़ी को अपनी भाषा से अवगत कराना और हिंदी के प्रति जागरूकता पैदा करना है। अब प्रश्न यह है कि क्या सिर्फ एक दिन हिंदी दिवस मनाने से अपनी भाषा को सम्मान मिल जाएगा? हां जरूर मिल जाएगा।
जिस तरह विश्व के अधिकतर देश अपनी राष्ट्र भाषा को ही प्रयोग में लाते हैं। जैसे- जापान में जापानी, नेपाल में नेपाली, भूटान में भूटानी, चीन में चाइनीज भाषा है, उसी तरह हमे भी अपनी भाषा हिंदी को महत्व देने की शुरुआत करनी होगी। मिशनरी स्कूलों के अध्यापक गण उन छात्रों के अभिभावकों को है हेय दृष्टि से ना देखें जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती हो।
अक्सर देखा जाता है अध्यापक गण अंग्रेजी में बात करते हैं जबकि हिंदी माध्यम से पढ़े हुए अभिभावक गण हिंदी में प्रश्न पूछते हैं। जब वह हिंदी में बात करते हैं तो शिक्षकों को उन्हें जवाब हिंदी में देने मैं शर्म नहीं करनी चाहिए। क्योंकि भाषा सिर्फ माध्यम होती है। हमारी बात औरों तक पहुंचाने की, जिस भाषा को हम सहजता से बोल सकते हैं, उसी में अगर जवाब मिले तो बखूबी एक-दूसरे को समझ भी सकते हैं। और यह भी जरूरी नहीं है अंग्रेजी जानने वाले ही सर्वगुण संपन्न होते है।
हिंदी भाषी को अपने ही देश में कम नहीं आंकना चाहिए। साथ ही, सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, प्रशासनिक स्तर पर एवं विश्व के किसी भी कोने में अगर हम जाएं तो हमे हिंदी में संवाद को महत्व देना चाहिए। ऐसा करने से विश्व पटल पर हमारी भाषा हिंदी की पहचान होगी। यह बात हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमें सीखना चाहिए। वह कितनी सहजता से विदेशों में जाकर हिंदी मे भाषण देकर अपनी भाषा को महत्व देते हैं। अत: मैं यही कहना चाहूंगी हमें अन्य भाषाओं का ज्ञान जरूर रखना चाहिए। साथ ही साथ अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी का हमेशा भी सम्मान करना चाहिए।
हिंदी है हम
अवसर है हिंदी दिवस का देती हूं सभी को बधाई,
बहुत से प्रश्न है मेरे मन में कोई तो उत्तर दे दो मेरे भाई।
प्रधानमंत्री मोदी जी विदेशों में भी जाकर गर्व से हिंदी में भाषण देते हैं,
हम अपने देश में रहकर भी तवज्जो अंग्रेजी को क्यों देते हैं?
विद्यालयों के अध्यापक गण हिंदी में प्रश्न पूछने पर जवाब अंग्रेजी में देते हैं,
जिन्होंने वर्षो तक गुलाम बनाया हमें उनकी भाषा को महत्त्व क्यों देते हैं ?
माना कि कॉन्वेंट से आपने की है पढ़ाई,खुद की भाषा बोलने में इतनी शर्म क्यों आई?
तुम्हारा उत्तर कैसे समझेंगे बच्चे के माता-पिता जिन्होंने हिंदी माध्यम से की है पढ़ाई??
हिंदुस्तान में रहते हैं आओ खुद पर हम गर्व करें ,
अंग्रेजी माध्यम से पढ़े हैं तो क्या हिंदी बोलने में क्यों शर्म करें?
हिंदी को सम्मान दिलाने कहीं नहीं जाना है,
देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी राष्ट्रभाषा को हृदय से अपनाना है।
आओ मिलकर प्रतिज्ञा करें अपनी भाषा का मान बढ़ाएंगे,
अपनी राष्ट्रभाषा की पहचान पूरे विश्व में बनाएंगे।
– भारती सुजीत बिहानी सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल की कलम से…