World Theatre Day Special: जानें रंगमंच का इतिहास, उद्देश्य और इस साल का थीम

आधुनिक युग में घर बैठे सिनेमा, नाटक सीरियल सभी कुछ देखे जा सकते और देखे जा रहे हैं। आज मल्टीप्लेक्स और शानदार सिनेमा हॉल बन चुके हैं। हालांकि रंगमंच का अपना ही आनंद है। इसमें सजीव पात्र नजर आते हैं। पुराने समय में मनोरंजन करने के लिए छोटे-छोटे नाटकों किया जाता था। फिर धीरे-धीरे गांवों में नौटंकी होने लगी और छोटे-छोटे थिएटर बनने लगे। इससे दर्शकों में नई चीज देखने की इच्छा होने लगी और हो रही हैं।

एक जमाने में भारत में रामलीला को देखने का चलन बहुत अधिक था। इसको बहुत अधिक लोग देखने जाते थे। आज भी रामलीला व नाटकों से मनोरंजन के साथ-साथ यथार्थ से परिचय कराया जाता है। रंगमंच के विभिन्न रूपों से आनंद मिलता है और दूसरों के प्रति इसको साझा करने का अवसर प्रदान होता है। पुरस्कार और प्रदर्शन के द्वारा रंगमंच को बढ़ावा दिया जाता है। विश्व रंगमंच दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को थिएटर के मूल्यों और महत्व को बताना तथा दुनिया भर में रंगमंच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाने लगा। इसकी स्थापना 1961 में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान आईटीआई के द्वारा की गई थी। विश्व रंगमंच दिवस 27 मार्च को मनाया जाता है ।

विश्व रंगमंच दिवस-2025 का थीम- “रंगमंच और शांति की संस्कृति है।” 2024 की थीम- “थियेटर और शांति की संस्कृति” थी। अंतरराष्ट्रीय थियेटर संस्थान ने 2023 की थीम- “थियेटर एंड ए कल्चर ऑफ़ पीस” रखी थी। 2020 में लॉकडाउन में वेब सीरीज खूब चली। कोविड-19 की वजह से वेब सीरिज ने अपनी अलग पहचान बना ली। भारत में थिएटर या सिनेमाघरों द्वारा खूब मनोरंजन किया जाता है। लेकिन कोविड-19 ने यह सब बंद कर दिया। वहीं वेब सीरिज ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित किया। यहां पर कईं वेब सीरिज जैसे मिर्जापुर, आश्रम, पूर्वांचल आदि ने ओटीटी पर धूम मचा दिया था। ऋग्वेद में सबसे पहले रंगमंच और नाट्यशाला का उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद के सूत्रों में कुछ नर्तकी जैसे यम और यमी, उर्वशी, पुरुरवी का उल्लेख मिलता है। भारत के महाकवि कालिदास ने पहली नाट्यशाला में ही मेघदूत की रचना की।

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वर्तमान समय में कवयित्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता गीता अग्रवाल ने दो नाटकों का मंचन किया। वग अनेक साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई है। उनके नेतृत्व हाल ही में अग्रवाल समाज गच्चीबोली शाखा हैदराबाद में कृष्ण-सुदामा मित्रता पर नाटक प्रस्तुत किया गया। इसे दर्शकों की ओर से खूब सराहा गया। इस नाटक को देख अनेक लोग भावुक हो गए। इसमें सुदामा का किरदार गीता अग्रवाल द्वारा निभाया गया। इसके अलावा हाल ही में गीता अग्रवाल के निर्देशन में ही श्री राम नाटिका का भी मंचन किया गया। इस नाटक को भी दर्शकों ने प्रशंसा की है। इस नाटक में शबरी का रोल गीता अग्रवाल ने किया गया।

कलाकारों को सम्मान देने और उनके कला प्रदर्शन को प्रोत्साहन करने के लिए, विश्व कलाकारों को उनकी भावनाओं तथा संदेशों को व्यापक रूप से दर्शकों तक पहुंचाने का कार्य करती है। समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के लिए अनेक प्रकार के नाटक और नुक्कड़ नाटकों का मंचन किए जाते हैं। शादी-विवाह तथा अन्य समारोह में कलाकारों द्वारा नाटक और नौटंकी प्रस्तुत की जाती है जो एक अच्छा मनोरंजन का साधन होता है। इस प्रकार आज कल नाटक द्वारा मनोरंजन किया जा रहा है। अब तो अनेक प्रकार से सोशल मीडिया द्वारा मनोरंजन प्रस्तुत किये जा रहे हैं। शेक्सपियर ने कहा था ‘यह दुनिया सिर्फ रंगमंच है और सभी स्त्री पुरुष सिर्फ पात्र हैं।’

के पी अग्रवाल

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