हैदराबाद: तेलंगाना में 3 नवंबर को मुनुगोडु विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तेलंगाना की राजनीति के भविष्य पर असर डाल सकते हैं। यानी यह चुनाव सेमी फाइनल है। इस उपचुनाव में 2.41 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
नलगोंडा जिले में मुनुगोडु पिछड़े निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव तीनों प्रमुख दलों- सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के लिए अहम है। यानी मुकाबिल इन तीनों दलों की बीच है। हाल ही में अपना नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (BRS) करने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) का उद्देश्य यहां बड़ी जीत के साथ तेलंगाना की राजनीति में अपने दबदबे को दिखाना और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी शक्ति को बताना है।
मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बीआरएस/टीआरएस इस जीत से राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना चाहेगी कि वह भाजपा का मुकाबला कर सकती है और देश में अगला चुनाव जीत सकती है। मगर उपचुनाव में हार से न केवल उसकी राष्ट्रीय आकांक्षाओं को झटका लगेगा बल्कि विधानसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्ष को भी बढ़ावा मिलेगा। उपचुनाव में वाम दल- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल हैं। उन्होंने टीआरएस को समर्थन दे रही है।
इसी क्रम में भाजपा को मुनुगोडु में जीत से टीआरएस के विकल्प के तौर पर उभरने की योजना में बल मिलने की उम्मीद है। पिछले दो वर्ष में दुब्बाका और हुजुराबाद विधानसभा उपचुनावों तथा हैदरबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में जीत से पार्टी का मनोबल ऊंचा है। अगर वह टीआरएस के बाद दूसरे नंबर पर भी रहती है तो भी वह मुख्य विपक्षी दल होने का दावा कर सकती है।
दूसरी ओर कांग्रेस के लिए 2014 और 2018 के विधानसभा चुनावों और उसके बाद उपचुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद यह एक तरह से ‘करो या मरो’ का मुकाबला है। अगर कांग्रेस हार जाती है तो यह उसके लिए दोहरी मार होगी क्योंकि मुनुगोडु में अभी उसका विधायक है। उपचुनाव में 47 उम्मीदवार मैदान में है। लेकिन मुख्य मुकाबला राजगोपाल रेड्डी, टीआरएस के विधायक कुसुकुंट्ला प्रभाकर रेड्डी और कांग्रेस की पालवाई श्रवंती के बीच है। राजगोपाल रेड्डी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और उसके टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राजगोपाल रेड्डी के इस्तीफा देने के कारण ही यह उपचुनाव हो रहा है।
राजगोपाल रेड्डी की लोकप्रियता पर भरोसा करते हुए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तथा सांसद बंडी संजय, पार्टी विधायक ईटेला राजेंदर और एम रघुनंदन राव समेत अन्य नेताओं को प्रचार अभियान की जिम्मेदार सौंपी है। वहीं, टीआरएस ने भी चुनाव प्रचार के लिए अपने मंत्री, एमएलसी, विधायक, नेता और हर गांव में एक-एक कार्यकर्ता को तैनात कर दिया। कांग्रेस प्रत्याशी पालवाई श्रवंती अपने दिवंगत पिता पी गोवर्धन रेड्डी की अच्छी छवि को भुनाने की कोशिश कर रही हैं जो मुनुगोडु से विधायक तथा सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और सांसद ए रेवंत रेड्डी तथा अन्य नेताओं ने श्रवंती की जीत के लिए प्रचार कर रहे हैं।
मुख्य रूप से ग्रामीण आबादी वाले मुनुगोडु विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2.41 लाख मतदाता हैं। इनमें से 1,21,720 पुरुष और 1,20,128 महिलाएं हैं। 70 फीसदी से अधिक मतदाता पिछड़े वर्गों के हैं। नलगोंडा जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है और पार्टी ने 2019 के आम चुनावों में जिले की दो लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। मगर कांग्रेस की अंदरुनी कहल ने जीत के सामने प्रश्न चिह्न खड़ा किया है। मुनुगोडु सेमी फाइनल चुनाव: इन तीनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला है। चर्चा है कि जो जीता वो ही होगा दिल्ली का सिकंदर।