बॉलीवुड फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ हाल ही में रिलीज हुई हैं। आलिया भट्ट का दमदार लुक और भूमिका की सराहनीय है। वह कोई काल्पनिक किरदार नहीं है। कई लोगों के मन में यह सवाल है कि गंगूबाई काठियावाड़ी आखिर हैं कौन? जिनके जीवन पर एक फिल्म तक बन गई? गंगूबाई काठियावाड़ी वेश्यावृत्ति के पेशे से जुड़ी एक महिला की कहानी है। मुंबई में एक कोठा चलाती थीं। लेकिन उसका परिचय केवल इतने में सीमित नहीं होता। गंगूबाई काठियावाड़ी हालात के चलते भले ही पेशे से वेश्यावृत्ति में आ गई है। लेकिन जो काम उन्होंने महिलाओं और बच्चों के लिए किया, वह एक मिसाल बन गया। सेक्सवर्कर्स के लिए गंगूबाई काठियावाड़ी ने बड़े कदम उठाए हैं।
इतनी अच्ची फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के कुछ दृश्य दर्शकों को विचलित कर रहे हैं। मुख्य रूप से गंगुबाई अपनी बेटी के जन्म देने के कुछ दिन बाद उसकी घनिष्ट सहेली की मौत हो जाती है। उसके अंतिम संस्कार में गंगुबाई भाग लेती है। तब वह कहती है- “उसके पैर मजबूत बांध दीजिए। पुरुष पर भरोसा नहीं कर सकते। वो शव के साथ भी दुष्कर्म करते हैं।”

इस दृश्य को एक नेटिजन ने सोशल मीडिया में पोस्ट किया। जो वायरल हो गया है। इस पोस्ट पर अनेक नेटिजन प्रतिक्रिया दे रहे हैं- “केवल शवों और पशुओं के साथ ही नहीं, जिसे भी छेद होता है, पुरुष उसके साथ दुष्कर्म करता है।” एक अन्य प्रतिक्रिया हैं- “कुछ आदमी पुरुष कहलाने के लिए भी योग्य नहीं है। क्योंकि हाल ही में एक व्यक्ति ने गाय (Cow) और एक व्यक्ति ने घोरपड (monitor lizard) के साथ भी दुष्कर्म किया है।”

गंगूबाई काठियावाड़ी का असली नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था। उनका जन्म साल 1939 में गुजरात के काठियावाड़ में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनके परिवार के लोग वकालत से जुड़े थे। गंगूबाई अपने परिवार की इकलौती बेटी थी और परिवार वाले गंगूबाई काठियावाड़ी को पढ़ा लिखाकर कुछ बनाना चाहते थे लेकिन उनका बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता है। गंगूबाई काठियावाड़ी बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थीं। जब गंगूबाई काठियावाड़ी 16 साल की थीं, तब उसे अपने पिता के अकाउंटेंट रमणीकलाल से प्यार हो गया। परिवार वाले इस रिश्ते के लिए न मानते इसलिए उन्होंने लव मैरिज कर ली और पति संग भाग कर मुंबई आ गईं।

गंगूबाई पति के साथ मुंबई तो आ गईं लेकिन उनके पति ने उन्हें धोखा दिया। महज 500 रुपये में गंगूबाई को मुंबई में एक कोठे पर बेच दिया। गंगूबाई पति के धोखे के कारण कहीं की न रही। न तो परिवार के पास वापस जा सकती थी और न ही कोठे से बच सकती थी। हालत के सामने हार मानकर उसे वेश्यावृत्ति में आना पड़ा। उन दिनों मशहूर डॉन करीम लाला हुआ करता था, जिसके लिए शौकत खान नाम का बदमाश काम करता था। शौकत खान ने गंगूबाई के कोठे पर जाकर उसके साथ जबरदस्ती की। गंगूबाई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। गंगूबाई ने शौकत खान को सजा दिलाने की ठान ली और करीम लाला के पास जाकर उसकी शिकायत की। करीम लाला ने शौकत खान को कड़ी सजा दी। इसके बाद गंगूबाई ने करीम लाला को राखी बांध कर उसे अपना भाई बना लिया।
डॉन को राखी बांधकर गंगू बाई करीम लाला की बहन बन गई। जिससे पूरे इलाके में उसका रौब हो गया। लोग गंगूबाई को भी डॉन के तौर पर जानने लगे। बाद में गंगूबाई मुंबई की सबसे बड़ी महिला डॉन की लिस्ट में शामिल हो गंगूबाई भले ही कोठेवाली थीं, भले ही डॉन के तौर पर मशहूर थीं लेकिन उन्होंने कई ऐसे सकारात्मक कदम उठाए जो आगे चल कर मिसाल बन गई। गंगूबाई ने सेक्सवर्कर, अनाथ बच्चों और धोखे से कोठे पर लाई जाने वाली लड़कियों की सुरक्षा के लिए काम किए। गंगूबाई ने कोठे पर किसी ऐसी महिला को नहीं रखा जो वेश्यावृत्ति नहीं करना चाहती हो। बिना महिला की इजाजत के उसके साथ कोठे पर जबरदस्ती नहीं की जा सकती थी।
इतना ही नहीं, जो लड़कियां गंगूबाई की तरह धोखे से कोठे पर पहुंच जाती, उन्हें वापस उनके घर भेज देती। गंगूबाई काठियावाड़ी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवाज उठानी शुरू की। अनाथ बच्चों के लिए काम किये। गंगूबाई कमाठीपुरा में हुए चुनावों में शामिल हुईं और जीत हासिल की। उन्होंने एक बार पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी मुलाकात की थी। उन दिनों गंगूबाई के काम और व्यक्तित्व से नेहरूजी काफी प्रभावित हुए थे।
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