अब से थोड़ी देर बाद तेलंगाना के नये मुख्यमंत्री के रूप में ए रेवंत रेड्डी शपथ ले रहे हैं। तेलंगाना के लोगों को कांग्रेस की इस नई सरकार से बहुत सी अपेक्षाएं हैं। विश्वास है कि अनुभव से परिपक्व रेवंत रेड्डी तेलंगाना के लोगों की अपेक्षा और आकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे। क्योंकि पचास साल तक शासन करने वाली कांग्रेस के वो दिन लोग अब भी भूले नहीं हैं।
इसी क्रम में तेलंगाना सचिवालय के कर्मचारियों ने बुधवार को नाच-गाने के साथ जश्न मनाया। उस जश्न का सारांश- बीआरएस के निरंकुश शासन खत्म होना रहा है। तेलंगाना के लोग देश की जनता से कुछ अलग सोचते और चाहते हैं। इसीलिए पृथक तेलंगाना आंदोलन के दौरान बिना किसी को नुकसान पहुंचाये खुद अपने प्राणों की आहुति दी। उनका मकसद तेलंगाना के लोगों को निल्लु, निधुलु और नियमाकालु (जल, निधि और नौकरी) मिले।
इन तीनों के साथ बीआरएस सरकार ने अन्याय किया है। बीआरएस की करनी और भरणी में जमीन आसमान का अंतर रहा है। साथ ही अहंकार के मद में पूरे तेलंगाना को विध्वंस कर दिया गया। लोग खामोशी से पांच और पांच यानी दस साल तक अन्याय सहते रहे हैं। इसअन्याय को सहने के सिवा लोगों के पास दूसरा रास्ता नहीं था। चुनाव तक इंतजार करना पड़ा है। फिर भी शराब और धन के बल पर केसीआर ने बहुत सी चाल चली। इसमें वे कुछ सफल भी हुए। केवल दो फीसदी वोटों के अतंर से हार गये। बीआरएस को यह मालूम है कि यह हार उनके लिए कोई बड़ी हार नहीं है।
इसी के दम पर रेवंत रेड्डी की सरकार को एक साल के अंदर गिराने और गिर जाने के षडयंत्रकारी (?) चाल या बयान भी दिये जा रहे हैं। इसी तरह का बयान बीजेपी के एक भी दिये हैं। इसका मतलब स्पष्ट है के रेवंत रेड्डी कांटे के ताज पर सवार है। बीआरएस और बीजेपी के नेताओं के इस बातों में बल भी है। क्योंकि कांग्रेस में अंदरूनी आजादी और कलह बहुत है। लोगों को डर है कि यह आजादी और कलह कभी भी बगावत कर सकते हैं और रेवंत रेड्डी की सरकार को गिरा सकते और गिर भी सकती है।
आखिर में यदि रेवंत रेड्डी तेलंगाना के लोगों के साथ न्याय करे तो इस सराकर को आजीवन देखना चाहते हैं। वर्ना बीआरएस जैसे दिन देखना भी दूर नहीं है। रेवंत रेड्डी को सजग और सावधानी से शासन करना चाहिए। विश्वास है कि हर दिन उगने वाला सूरज रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में तेलंगाना के लोगों के लिए नई उम्मीदों के साथ निकलेगा। नये मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को बधाई।