आज अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस (फ्रेंडशिप डे) है। मित्रता दिवस हर साल अगस्त महीने के पहले रविवार के दिन मनाया जाता है। इस बार पहला रविवार 1 अगस्त को आया है। इसके चलते इस साल-2021 फ्रेंडशिप डे 1 अगस्त के दिन मनाया जा रहा है। इस दिन लोग अपने दोस्तों के साथ पार्टी और मौजमस्ती करते हैं। दोस्तों के लिए ये दिन बहुत ही खास होता है। दोस्त एक दूसरे से मिलते हैं और खुल कर इस खास दिन को लुत्फ उठाते हैं।
फादर्स डे जिस तरह पिता और मदर्स डे जिस तरह माता के लिए समर्पित होता है। उसी तरह फ्रेंडशिप डे भी दोस्तों के लिए समर्पित है। इस खास मौके पर फूल, चॉकलेट और विभिन्न प्रकार के कार्ड दोस्तों को देते हैं। इन कार्डों पर दोस्ती के नाम पर अच्छे-अच्छे संदेश लिखे होते हैं। ये संदेश दोस्ती को और मजबूत करते हैं। आइए जानते हैं मित्रता दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में।
सबसे पहले फ्रेंडशिप डे साल 1958 में मनाया गया था। बताया जाता है कि साल 1958 में अमेरिकी सरकार ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। वह दिन अगस्त महीने का पहला रविवार था। मृतक व्यक्ति का एक दोस्त था, उसके साथ उसका बहुत लगाव रहता था। जैसे ही उसे इस बात की खबर कि उसका दोस्त मर गया है, तो उसने उसी समय आत्महत्या कर ली। इसके चलते अमेरिकी सरकार ने इस दिन को फ्रेंडशिप डे के रूप में स्वीकार किया। भारत में फ्रेंडशिप डे अगस्त महीने के पहले रविवार के दिन मनाया जाता है।
साल 1998 में संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान की पत्नी नैन अन्नान ने विनी द पूह को मित्रता के वैश्विक राजदूत के रूप में घोषित किया था। इसी वजह से इसको दोस्तों के बीच काफी खुशी से सेलिब्रेट किया जाता है। दोस्तों के लिए आज दिन का काफी महत्व होता है। इस दिन एक दोस्त दूसरे दोस्त को अपनी सद्भावना व्यक्त करता है। इस दिन को सभी दोस्त एकजुट होकर खुशी से मनाते हैं। अक्सर कई लोग इस दिन अपने दोस्तों को फ्रेंडशिप बैंड गिफ्ट करते हैं।
जीवन में माता पिता और गुरू के बाद मित्र को विशेष स्थान होता है। सच्चा मित्र वही होता है जो सुख-दुख के साथ देते हैं। किसी भी परिस्थिति में मित्र हमेशा साथ खड़े होते हैं। भारतीय परंपरा मित्रता की बहुत सारी कहानियां प्रचलित है। इनमें से एक कृष्ण और सुदामा की कहानी है। जिससे हमें मित्र के प्रति ईमानदारी, त्याग और सम्मान का भाव दिखाई देता है। जब कभी मित्रता की बात होती है तो कृष्ण और सुदामा की मिसाल दी जाती है।
इसी तरह हमारे पौराणिक ग्रंथों में घनिष्ठ मित्रता की कहानी प्रचलित है। इनमें से एक हैृ- सुदामा और कृष्ण। जब बालपन में ऋषि संदीपन के यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। परंतु दोनों की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है। शिक्षा-दीक्षा समाप्त होने के बाद भगवान कृष्ण राजा बन गए वहीं दूसरी तरफ सुदामा के बुरे दौर की शुरुआत हो चुकी थी। बुरे दिन से परेशान होकर सुदामा की पत्नी ने एक दिन उन्हें राजा कृष्ण से मिलने जाने के लिए जाने को कहा।
पत्नी के जिद्द को मानकर सुदामा अपने बाल सखा कृष्ण से मिलने द्वारिका गये। जब राजा कृष्ण अपने मित्र सुदामा के आने का संदेश पाकर कृष्ण नंगे पैर ही उन्हें लेने के लिए दौड़ पड़ते हैं। मित्र सुदामा की दयनीय हालत देखकर भगवान कृष्ण के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। भगवान कृष्ण ने मित्र सुदामा का पैर अपने आंसुओं से धूल दिया। यह घटना भगवान कृष्ण का अपने मित्र सुदामा के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाता है।
बॉलीवुड में भी कई फिल्में दोस्ती पर बनी है। कुछ फिल्में तो इतनी लाजवाब हैं जिनकी आज भी चर्चा होती है। मुख्य रूप से आनंद (1971)
फिल्म की कहानी है। अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की दोस्ती पर है। फिल्म में राजेश खन्ना मरते हुए भी अमिताभ को जिंदगी जीना सिखा देते हैं। यह फिल्म हमें दोस्ती और जिंदगी की अहमियत बताती है। इस तरह शोले (1975) दोस्ती पर बनी फिल्म किसी मिसाल से कम नहीं है। हिंदी सिनेमा की सबसे शानदार फिल्मों में शामिल ये फिल्म अपने आप में बहुत खास है। अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र ने जो किरदार निभाया वो आने वाली सदियों तक भी याद किया जाएगा।
फिल्म याराना (1981) का गाना ‘तेरे जैसा यार कहां…’ लोगों की आंखों में आंसू ले ही आता है। फिल्म में बिशन अपने बचपन के दोस्त किशन को बड़ा सिंगर बनने में मदद करता है। किशन भी इस एहसान के बदले अपने दोस्त को मुसीबत से बचाता है। फिल्म दोस्ताना (1980) भी दोस्ती पर बनी एक एक्शन फिल्म है। इतना ही नहीं जो जीता वही सिकंदर (1992) दोस्ती पर आधारित आमिर खान की फिल्म बॉलीवुड शानदार फिल्मों में गिनी जाती है। फ्रेंडशिप डे के मौके पर ये फिल्म देखकर लुफ्त उठाया जा सकता है।