सर्वेक्षण: तेलंगाना में आने वाले चुनाव में बीआरएस के लिए हैं चुनौतियां ही चुनौतियां

तेलंगाना में विधानसभा चुनाव साल के अंत में होने हैं और इससे जुड़ी तैयारियां साफ देखी जा सकती है। हर पार्टी जीतने की मंशा रखकर अपना एजेंडा तैयार कर रही है। जहां सत्तारुढ बीआरएस हैट्रिक मारने को बेकरार है, वहीं कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस भी पूरा दम-खम दिखा रही है। साथ ही भाजपा भी अपनी राजनीति भुना रही है। हाल ही में बीआरएस ने इसके लिए एक सर्वे करवाया है। आइए यहां देखते हैं इससे जुड़ी यह रिपोर्ट…

आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ दल और उसके उम्मीदवारों के बारे में जनता की राय जानने के लिए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में पार्टी के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों का पता चला है।

एक अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बीआरएस और सरकार के प्रदर्शन के साथ लगभग 60 प्रतिशत की समग्र संतुष्टि दर दिखाई गई, लेकिन इसने पार्टी के 30-35 उम्मीदवारों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला है। खासतौर पर सर्वेक्षण से यह पता चला है कि आंतरिक गुटबाजी कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में बीआरएस उम्मीदवारों के लिए चुनौती बन सकती है। इसके पीछे मुख्य वजह उम्मीदवारी में बदलाव है। उदाहरण के लिए आदिलाबाद जिले में मौजूदा विधायकों और दूसरे दर्जे के नेताओं के अनुयायियों के बीच दरार बढ़ गई है। यह मतभेद न केवल नेताओं के बीच दरार पैदा कर रहे हैं, बल्कि चुनाव में बीआरएस के लिए बाधाएं भी पैदा कर सकते हैं।

पार्टी नेताओं के बीच कलह की ऐसी ही स्थिति करीमनगर और वरंगल जिलों में भी देखी जा रही है। हाल ही में पार्टी टिकटों को लेकर आंतरिक कलह तब सामने आई जब मल्काजगिरी बीआरएस विधायक मयनमपल्ली हनुमंत राव ने तेलंगाना मंत्री हरीश राव को मेदक विधानसभा क्षेत्र में हस्तक्षेप करने के खिलाफ चेतावनी दी। मल्काजगिरि निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले हनुमंत राव ने कहा, “मैं मल्काजगिरि से और मेरा बेटा रोहित राव मेदक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। तो फिर मेदक में हरीश राव का क्या काम है?” इससे साफ पता चलता है कि बीआरएस में सब कुछ ठीक नहीं है और इन सबसे बीच अंदरुनी कलह गहराती जा रही है जिसका असर चुनाव पर पड़ सकता है।

अंदरूनी कलह के अलावा, नलगोंडा में कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता बीआरएस उम्मीदवारों के लिए कठिनाई पैदा करने वाली है। सर्वेक्षण से पता चला है कि जिले के छह से सात विधानसभा क्षेत्रों में बीआरएस उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। रंगारेड्डी जिले के मामले में जिसे बीआरएस का गढ़ माना जाता है, पार्टी को 3-4 विधानसभा क्षेत्रों में कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है।

बीआरएस को हैदराबाद जिले के सिकंदराबाद, जुबली हिल्स और खैरताबाद निर्वाचन क्षेत्रों में भी चुनौतियों का सामना करने की संभावना है। सर्वेक्षण के बाद यह संभावना है कि बीआरएस तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आंतरिक दरार या फिर यूं कहें कि अंदरुनी कलह को दूर करने का पूरा प्रयास करेगी। अगर ऐसा न हो पाया और यह सब कुछ बढता गया तो बीआरएस को इसकी भारी कीमत चुनाव में चुकानी पड़ सकती है। अब देखना यह है कि चुनाव से पहले बीआरएस कैसे इन समस्याओं से मुक्ति पाती है और अपनी जीत की ओर कदम बढाने का प्रयास करती है।

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