सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस के बाद सांसद रघुराम कृष्णम राजू की हुई जीत, सशर्त जमानत मंजूर

नई दिल्ली : वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद रघुराम कृष्णम राजू की दिल्ली में जीत हुई। सुप्रीम कोर्ट में दायर उनकी जमानत याचिका पर तीखी बहस के बाद उन्हें जमानत मिली। कोर्ट ने सशर्त जमानत देते हुए आदेश दिया। जांच अधिकारी द्वारा बुलाए जाने पर रघुराम को पूछताछ के लिए उपस्थित होने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले के बारे में मीडिया से बात न करे और जांच को भी प्रभावित न करे। कोर्ट सुझाव दिया कि खुद की जमानत के साथ दो जमानत एक लाख रुपये के मुचलके जमा करके गुंटूर सीआईडी ​​कोर्ट में जमानत ले सकते हैं।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर लंबी बहस हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि सांसद रघुराम राजद्रोह नहीं किया है। उन्होंने एपी सरकार और सीएम जगन के एक जाति को प्रमुखता देने की आलोचना की। इसलिए रघुराम को जानबूझकर गिरफ्तार किया गया और प्रताड़ित किया गया। रघुराम के पैरों में चोट लगने की सेना की रिपोर्ट पर दोनों वकीलों के बीच कड़ी बहस हुई।

इसी क्रम में सीआईडी ​​के वकील दुष्यंत दवे ने मुकुल रोहतगी के इस दावे पर आपत्ति जताई कि रघुराम ने सीएम की जमानत रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि सीएम जगन इस मामले में प्रतिवादी नहीं है और उन्हें इस मामले में घसीटना ठीक नहीं है। दवे ने सीएम के खिलाफ आरोप लगाने के लिए उन्हें प्रतिवादी के रूप में शामिल करने की मांग की।

मुकुल रोहतगी ने कहा कि जमानत रोकने के लिए ही आईपीसी 124 (ए) लगाया गया है। मजिस्ट्रेट को सौंपी गई मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया कि सामान्य है। साथ ही कहा कि रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर का पति वाईसीपी लीगल सेल के नेता हैं। रघुराम के वकील ने कहा कि आर्मी अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक खुद उनके पैरों में चोट नहीं लगती। रोहतगी ने तर्क दिया कि एफआईआर (प्राथमिकी) में जातिगत मतभेद पैदा करने का प्रयास किया गया, लेकिन वो देशद्रोह के दायरे में नहीं आते।

उन्होंने कहा कि हथियार उठाकर लोगों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ हमला करना और सरकार को उखाड़ फेंकने का षड्यंत्र करना देशद्रोह होता है। उन्होंने कहा कि जमानत न मिलने के इरादे से ही यह मामला दर्ज किया गया। बिना न्यायिक हिरासत या पुलिस हिरासत के जमानत दिया जाये। साथ ही कोर्ट से आग्रह किया कि रघुराम को प्रताड़ना किये जाने की घटना की भी सीबीआई से जांच के आदेश दिये जाये।

सीआईडी ​​के वकील दवे ने अदालत से कहा कि वह जमानत याचिका खारिज करने के कई कारण बताएंगे। सेना अस्पताल की रिपोर्ट को गलत नहीं मानते, लेकिन रिपोर्ट में कहीं पर भी यातनाएं दिये जाने का उल्लेख नहीं है। निचली अदालत को अभी यह तय करना है कि रघुराम राजद्रोह है या नहीं। सीएम की आलोचना की जाती है तो मानहानि का मुकदमा करेंगे। मगर रघुराम दो समुदायों के बीच भड़काने का बयान दिया है। उनके बयान से बहुत से लोग कानून को अपने हाथ में लेने का खतरा है।

दवे ने आगे कहा कि कोरोना के इस संकट की घ़ड़ी में कानून व्यवस्था भंग होने का खतरा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मामले की जांच की है। इस मामले से जुड़े लगभग 45 वीडियों की जांच की गई है। रघुराम केवल आलोचना करने तक सीमित नहीं रहे हैं, अपने समर्थकों को भड़काकर दंगे भड़काने की कोशिश की है।

दवे ने आगे कहा कि रघुराम ने रेड्डी और ईसाई समुदाय को लक्ष्य बनाकर बयान दिये गये हैं। समाज में दंगे-फसाद भड़काने की कोशिश की है। इसे राजद्रोह माना जाना चाहिए। आपको बता दें कि रघुराम वाईएसआरसीपी के सांसद है। मगर लगातार पार्टी की आलोचना करते आ रहे हैं।

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