हैदराबाद : पुलिस का सत्ताधारी पार्टी के साथ गठजोड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमणा ने कहा कि देश में यह बहुत ही परेशानी करने वाला विषय है। पुलिस सत्ता में मौजूद राजनीतिक पार्टी का फेवर लेते हैं और उनके विरोधियों के खिलाफ कार्यवाही करते हैं। बाद में विरोधी सत्ता में आते हैं तो पुलिस के खिलाफ कार्यवाही करते हैं। इस प्रकार की हालात के लिए पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराना चाहिए। क्योंकि पुलिस को कानून के शासन पर टिके रहना बहत जरूरी है। आज इसे रोकने की अत्यंत जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। फिलहाल गुरजिंदर पाल को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पुलिस उन्हें कुछ समय तक राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है और पुलिस अधिकारी को जांच में सहयोग करने को सुझाव दिया है।
गौरतलब है कि गुरजिंदर पाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 A के तहत राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज किए गए हैं। इस मामले में गुरुजिंदर ने दो याचिकाएं दाखिल की हैं। एक याचिका में राजद्रोह के मामले को रद्द करने और दूसरी याचिका में मामले की जांच सीबीआई से कराने के आग्रह किया है। इस दौरान गुरजिंदर पाल की ओर से फली नरीमन ने अदालत को बताया कि अफसर को सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है।
दूसरी ओर से छत्तीसगढ़ सरकार कीओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि चार्जशीट पिछले हफ्ते दाखिल की गई है। वे दो महीने से अंडरग्राउंड हैं। गुरजिंदर वरिष्ठ पुलिस अफसर हैं फिर भी फरार हैं। उनके खिलाफ हिंदी में काफी सामग्री मिली है। ये याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह पर छतीसगढ़ पुलिस ने राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में राज्य शासन ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह को निलंबित कर दिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुपात से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने वाले भारतीय पुलिस सेवा 1994 बैच के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह को निलंबित कर दिया था। इसमें ईओडब्ल्यू द्वारा छापेमारी के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1बी) 13(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने का हवाला देते हुए इसे अखिल भारतीय सेवा (आचरण) के खिलाफ माना गया।
जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी है। वह निदेशक राज्य पुलिस अकादमी के पद पर पदस्थ थे। एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने एडीजी सिंह के निवास पर छापा मारा था। कार्रवाई करीब 64 घंटे तक चली थी। मिली जानकारी के अनुसार, इस दौरान 10 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था। (एजेंसियां)