संत गाडगे जयन्ती: बच्चों को आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करती हैं महापुरुषों और वीरांगनाओं की जीवनगाथा- डॉ रामकरन निर्मल

कौशाम्बी (रिपोर्टिंग- धर्मेन्द्र चौधरी एवं पिन्टू दिवाकर नरेन्द्र दिवाकर उत्तर प्रदेश): वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन फ़ॉर धोबिस (WOrd) के तत्वावधान में गांव पहाड़पुर सुधवर, चायल, कौशाम्बी में संत गाडगे जयन्ती कार्यक्रम व समुदाय की जागरूकता बैठक का आयोजन रविवार को चन्द्र राम दिवाकर जी के आवास पर किया गया।

बैठक की शुरुआत संत गाडगे महाराज जी के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इस अवसर पर विनोद भास्कर व उनके साथियों ने डॉक्टर राम करन निर्मल को संत गाडगे महाराज का छायाचित्र भेंटकर स्वागत किया। कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए डॉक्टर धर्मेन्द्र चौधरी ने गाडगे बाबा के बारे में उपस्थित लोगों को विस्तार से जानकारी दी।

बैठक को संबोधित करते हुए ममता नरेंद्र दिवाकर ने कहा कि हमें सबको समानता का अधिकार देने का दिखवा छोड़कर वास्तविक रूप से प्रदान करना होगा जैसा गाडगे बाबा बिना किसी भेदभाव के सकल समाज के लिए कार्य किया।
प्रवीण दिवाकर ने कहा कि हमें व्यवसायिक दृष्टिकोण अपनाकर सजग रहने की जरूरत है क्योंकि सभी लोगों को नौकरी तो प्राप्त नहीं हो सकती है। व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकार की तरफ से तमाम योजनाओं के जरिए सहायता प्रदान की जाती है। किसी भी को शुरू करने से पहले खुद को जानना जरूरी है समाज के लोगों का हर प्रकार से सहयोग करना चाहिए वह चाहे जिस भी प्रकार से कर सकें। घर के उत्थान के साथ समाज का उत्थान होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता रामशरण निर्मल ने कहा कि जो जिस प्रकार के कार्य कर सकता है समाज और समुदाय के विकास हेतु उसको उस प्रकार का कार्य करना चाहिए। अनिल निर्मल ने कहा कि हमारा प्रमुख लक्ष्य समाज के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा की ओर जाने को प्रेरित करने का होना चाहिए। आचार्य विनोद भास्कर ने समाज के उत्थान के लिए सभी को आगे आने के लिए अपील की। शीला दिवाकर ने कहा कि समाज में परिवर्तन करने से पहले परिवर्तन की शुरुआत अपने घर करना चाहिए सभी को चाहिए कि अपने घर में अपनी बहन बेटियों को सपोर्ट करें जिससे वह आगे बढ़ सकें। डॉ संदीप दिवाकर ने कहा कि हम सभी को अपने बच्चों को पढ़ने के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए सभी लोगों को अपनी नई सोच का सृजन करना चाहिए।

डॉक्टर रामकरन निर्मल ने कहा कि आज के शिक्षित युवाओं के लिए नौकरी बेशक एक लक्ष्य है लेकिन इसके अतिरिक्त और भी विकल्प रखना चाहिए। हम जिस भी समय में रह रहे हैं उस समय को जीना भी चाहिए। हम सब को अपने महापुरुषों और वीरांगनाओं के बारे में बच्चों से उनकी गाथा की चर्चा करनी चाहिए। गाडगे बाबा ने जो जीवन जिया और समाजोत्थान के लिए संघर्ष किया वह हमें हमेशा समाज की बेहतरी के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित करता रहेगा। हमें महिला-पुरुष में भेदभाव न करते हुए सभी को विकास एवं प्रगति हेतु समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।

कार्यक्रम को रितेश निर्मल, राजेन्द्र दिवाकर, पिन्टू दिवाकर आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक सक्रियतावादी नरेन्द्र दिवाकर ने किया। कार्यक्रम में राजरानी, निर्मला दिवाकर, गीता दिवाकर, रेखा दिवाकर, रीता दिवाकर, शिव दुलारी, ममता नरेन्द्र दिवाकर, पूनम, शीला, सोना, रूबी, सुजाता, रिया, चन्द्र राम दिवाकर, रामसरन उर्फ ललई, राजकुमार दिवाकर, प्रवीण दिवाकर, डॉ धर्मेन्द्र दिवाकर, डॉ संदीप दिवाकर, आचार्य विनोद भास्कर, अनिल, पिन्टू दिवाकर, बिरेन्द्र दिवाकर, राजेन्द्र दिवाकर, संजय दिवाकर, सचिन दिवाकर, राहुल दिवाकर, हिमांशु निर्मल, रितेश निर्मल, ऋषिकेश निर्मल, मोहित दिवाकर, अनिल दिवाकर, तीरथ, शिवम, तेजस दिवाकर सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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