कोलकाता/हैदराबाद : ‘रचनाकार’ अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ने गीतकार कुंअर बहादुर सक्सेना ‘बेचैन’के साथ अन्य साहित्यकारों को भाव भीनी श्रद्धांजलि दी। इस श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता विश्वप्रसिद्ध गीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने की। कार्यक्रम के आरंभ में कुंअर बेचैन के गीतों की झलक दिखाई गई एवं दिवंगत साहित्यकारों को कवि प्रदीप की कविता “टूट गयी माला और मोती बिखर गए” गीत पर स्लाइड शो द्वारा याद किया गया।
कोरोना से जाने वाले साहित्यकारों में बेचैन जी के अलावा राहत इंदौरी, ज़ाहिर कुरेशी, जीपी पारिख, राजेंद्र राजन, कमलेश द्विवेदी, वाहिद अली ‘वाहिद’ एवं नरेंद्र कोहली जी को याद किया। कार्यक्रम के मध्य ही कोलकाता के गीतेश जी के निधन की सूचना मिली, उन्हें भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। कार्यक्रम का प्रारम्भ संस्था की सह-अध्यक्ष विद्या भंडारी जी द्वारा कुंअर बेचैन जी की रचनाओं की काव्य आवृति से हुआ। कुंअर बेचैन जी की मुंह बोली साली, कोलकाता आकाशवाणी की उद्घोषिका सविता पोद्दार ने अश्रुपूरित नयनों से याद करते हुए बताया कि कैसे वे साली का नेग देते थे!
बुद्धिनाथ मिश्र जी ने अपने पहले परिचय से लेकर अब तक की काव्य यात्रा का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बेचैन जी बड़े होने के बाद भी इन्हें भाई साहब ही कहते थे। संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर करुण जी ने अपनी स्मृति पेश की। शब्दाक्षर समूह की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति जी ने भावुक होकर शब्दाक्षर में बेचैन जी के योगदान को याद किया एवं उनके दोहों और गीत को पढ़ कर उन्हें याद किया तो शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने बेचैन जी के साथ अपने आत्मीय संबंधों को बताया। उनसे टेलीफोन पर हुए अंतिम साक्षात्कार का उल्लेख किया जिसमें बेचैन जी के जीवन की छोटी-छोटी बातें रिकॉर्ड की गई थी।
संस्था के संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश चौधरी ने कोरोना में निरंतर हो रही साहित्यिक क्षति पर चिंता व्यक्त की एवं सभी दिवंगत साहित्यकारों को श्रद्धांजलि दी। कुंअर बेचैन जी के बारे में कहा कि वे उनके अग्रज थे, मित्र थे, साहित्य की चर्चा कभी नहीं की। केवल हालचाल पूछते, आसपास के दुख दर्द बाँटते। उनका जाना इनकी व्यक्तिगत क्षति है ।