नई दिल्ली/हैदराबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देकर की। मन की बात कार्यक्रम के 80वें सस्करण में प्रधानमंत्री ने खेल और खेलों को लेकर युवाओं का बढ़ता रुझान, युवाओं की नई सोच और कुछ नया करने की ललक का जिक्र किया। इसके साथ ही स्वच्छता पर जोर देते हुए इंदौर की तारीफ की और वाटर प्लस योजना का जिक्र किया। कहा कि हमें स्वच्छता के अभियान को किसी भी हाल में मंद नहीं पड़ने देना है। कोरोना के खिलाफ चल रहे देशव्यापी अभियान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने फिर दोहराया कि दवाई भी और कड़ाई भी। प्रधानमंत्री ने हुनर आधारित कामों को छोटा समझने जाने की सोच पर चिंता जताई है।
प्रधानमंत्री ने हॉकी के मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था। कितने ही पदक क्यों न मिल जाये। लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला, चार दशक के बाद मिला।
उन्होंने कहा कि हमें देश के नौजवानों में और हमारे बेटे-बेटियों में खेल के प्रति जो आकर्षण नजर आ रहा है। माता-पिता को भी बच्चे अगर खेल में आगे जा रहे हैं तो खुशी हो रही है। मैं समझता हूं कि यही मेजर ध्यानचंद जी को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है।
प्रधानमंत्री ने युवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आज का युवा मन घिसे-पिटे पुराने तौर तरीकों से कुछ नया करना चाहता है। कुछ हटकर के करना चाहता है। आज का युवा मन बने बनाये रास्तों पर चलना नहीं चाहता है। वो नये रास्ते बनाना चाहता है। अंजान जगह पर कदम रखना चाहता है। मुझे पक्का भरोसा है कि आने वाले दिनों में बहुत बड़ी संख्या ऐसे सैटेलाइट्स की होगी, जिनमें हमारे युवाओं ने, हमारे छात्रों ने, हमारे कॉलेजों ने, हमारी यूनिवर्सिटीज ने, लैब में काम करने वाले स्टूडेंट्स ने काम किया होगा।
उन्होंने का कि ओलिंपिक के खेल पूरे हुए अभी पैरालिंपिक्स चल रहा है। देश को हमारे इस खेल जगत में जो कुछ भी हुआ, विश्व की तुलना में भले कम है। लेकिन विश्वास भरने के लिए तो बहुत कुछ हुआ। आज युवा सिर्फ स्पोर्टस की तरफ देख ही रहा ऐसा नहीं है, लेकिन वह उससे जुड़ी संभावनाओं की भी ओर देख रहा है।
नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कहा कि जब की स्वच्छता की बात आती है तो इंदौर का नाम आता ही आता है। क्योंकि इंदौर ने स्वच्छता के संबंध में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है और इंदौर के नागरिक इसके अभिनन्दन के अधिकारी भी है। इंदौर के लोग ‘Water Plus City’ बनाये रखने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। ‘वॉटर प्लस सिटी ‘ यानी ऐसा शहर जहां बिना ट्रीटमेंट के कोई भी सीवेज किसी सार्वजनिक जल स्त्रोत में नहीं डाला जाता। इंदौर के नागरिकों ने खुद आगे आकर अपनी नालियों को सीवर लाइन से जोड़ा है। स्वच्छता अभियान भी चलाया है और इस वजह से सरस्वती और कान्ह नदियों में गिरने वाला गन्दा पानी भी काफी कम हुआ है और सुधार नज़र आ रहा है। स्वच्छ भारत अभियान के संकल्प को हमें कभी भी मंद नहीं पड़ने देना है।
पीएम ने कहा कि ‘मन की बात’ अब भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रही है। दुनिया के अलग-अलग कोने में भी ‘मन की बात’ की चर्चा होती है। विदेशों में रहने वाले हमारे भारतीय समुदाय के लोग हैं वे भी मुझे बहुत सी नई-नई जानकारियां देते रहते हैं और मुझे भी कभी-कभी ‘मन की बात’ में विदेशों में जो अनोखे कार्यक्रम चलते है उसकी बातें आपके साथ शेयर करना अच्छा लगता है।
उन्होंने आगे कहा कि ये केवड़िया वही है जहां दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू, हमारे देश का गौरव, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जहां पर है, उस केवड़िया की मैं बात कर रहा हूं। आरजे गंगा, गुजरात के रेडियो जॉकी के ग्रुप की एक सदस्य हैं। उनके और भी साथी हैं- जैसे आरजे नीलम, आरजे गुरु और आरजे हेतल। ये सभी लोग मिलकर गुजरात में केवड़िया में इस समय संस्कृत भाषा का मान बढ़ाने में जुटे हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले कुछ दिनों में ही ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी आने वाली है। भगवान विश्वकर्मा को हमारे यहां विश्व की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है> जो भी अपने कौशल से किसी वस्तु का निर्माण करता है, सृजन करता है, चाहे वो सिलाई-कढ़ाई हो, सॉफ्टवेयर हो या फिर सैटेलाइट, ये सब भगवान विश्वकर्मा का प्रगटीकरण है। दुनिया में भले स्किल की पहचान आज नये तरीके से हो रही है। लेकिन हमारे ऋषियों ने तो हजारों सालों से स्किल और स्केल पर बल दिया है।
उन्होंने कहा एक बार सोचकर देखिए कि आपके घर में बिजली की कुछ दिक्कत आ जाये और आपका कोई इलेक्ट्रीशियन ना मिले तो क्या होगा? आपके सामने कितनी बड़ी परेशानी आ जाएगी। हमारा जीवन ऐसे ही अनेक स्कील्ड लोगों की वजह से चलता है। इसका एक और पहलू भी है और वो कभी-कभी चिंता भी कराता है। जिस देश में, जहां की संस्कृति में, परंपरा में, सोच में, हुनर को, स्कील मैनपॉवर को भगवान विश्वकर्मा के साथ जोड़ दिया गया हो, वहां स्थितियां कैसे बदल गई!
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सोच कुछ ऐसी बन गई कि हुनर आधारित कार्यों को छोटा समझा जाने लगा। एक समय ऐसा था कि हमारे पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन, राष्ट्र जीवन पर कौशल्य का बहुत बड़ा प्रभाव रहता था। लेकिन गुलामी के लंबे कालखंड में हुनर को इस तरह का सम्मान देने वाली भावना धीरे-धीरे कम हो गई। हमें हुनर को सम्मान देना होगा। हुनरमंद होने के लिए मेहनत करनी होगी। हुनरमंद होने का गर्व होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमें एक बात और याद रखनी है। दवाई भी और कड़ाई भी रहे। देश में 62 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। लेकिन फिर भी हमें सावधानी और सतर्कता रखनी है। इसी कामना के साथ आप सभी को आने वाले पर्वों की एक बार फिर ढेरों बधाइयां दैता हूं।