इस काव्य गोष्ठी में हैदराबाद की कवयित्री हर्षलता दुधोड़िया ने किया काव्य पाठ, गदगद हुआ मंच

छापर (राजस्थानी): स्थानीय दुधोड़िया परिवार द्वारा रविवार सुबह काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ कवि मदनलाल गुर्जर ‘ सरल ‘ की अध्यक्षता में और राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व सदस्य साहित्यकार डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा के मुख्य आतिथ्य में आयोजित काव्य संगोष्ठी का प्रारम्भ वन मित्र शंकर सारस्वत की सरस्वती वंदना से हुआ। इस दौरान स्थानीय रचनाकारों ने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों, कुरीतियों, भ्रष्टाचार और व्यवस्था पर कड़ा प्रहार किया।

नेचर एनवायरमेंट एण्ड वाइल्डलाइफ सोसायटी के अध्यक्ष कन्हैयालाल स्वामी द्वारा संचालित काव्य गोष्ठी में विनोद दुधोड़िया ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। काव्य गोष्ठी में हैदराबाद की कवयित्री हर्षलता दुधोड़िया की राजस्थानी रचना “गौरी घुंघट रा पट खोलो म्हैं निरखूं फूल गुलाब” को खूब सराहना मिली। हर्षलता ने हिंदी में गीत व कविताएं भी सुनाई। पूरा मंच तालियों से गूंज उठा।

शिक्षक बाबूलाल स्वामी,आबसर ने “ताली खातर एक नहीं दोन्यूं हाथ मिलाणा पड़सी ” व उनकी अन्य रचनाओं को अच्छी दाद मिली। चर्चित कवि हरिराम गोपालपुरा ने बेटियों को समर्पित गीत किणरी करै पुकार लाड़ली और चढ आभै इतरावै बिजली की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। गोपालपुरा के भवानी शंकर मेघवाल ने अपनी कविता के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का शब्द चित्र प्रस्तुत किया।

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युवा कवि मंयक त्रिवेदी ने अपनी कविता कलम बनना चाहता हूं मैं माध्यम से अपने कवि कर्म को रेखांकित किया। छापर की लेखिका भगवती बिहानी ने गायों की व्यथा कथा पर एक मार्मिक गीत प्रस्तुत किया। साहित्यकार डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा ने इस अवसर पर महाकवि कन्हैयालाल सेठिया को स्मरण करते हुए “सबदा रै भारै में चंदन री लाकड़ी है कविता” से कविता की परिभाषा दी और सृजनहार कविता के माध्यम से परमात्मा को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन और संगोष्ठियों से विचारों का आदान-प्रदान होता है और रचनात्मक माहौल बनता हैं।

कवि मदनलाल गुर्जर सरल की गजल ” दर्द ने इतना सताया कि सो ना पाया रात भर ” को करतल ध्वनि से सराहना मिली। कार्यक्रम का संचालन कन्हैयालाल स्वामी ने किया। आभार विजेंद्र दुधोड़िया ने व्यक्त किया। आगन्तुक रचनाकारों का स्वागत बाबूलाल छाजेड़, मंजू दुधोड़िया, जितेंद्र स्वामी, मदनलाल गोयल आदि ने किया। इस काव्य गोष्ठी में बड़ी संख्या साहित्यकार और लेखक उपस्थित थे।

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