गीत ऋषि गोपालदास नीरज को किया याद-कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे
हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): विश्व भाषा अकादमी, भारत की तेलंगाना इकाई द्वारा 31वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। प्रदेशाध्यक्ष सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सदस्यों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। श्रीमती रिमझिम झा की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। यह गोष्ठी दो सत्रों में आयोजित की गई थी।
प्रथम सत्र में गीत ऋषि गोपालदास नीरज के रचना संसार पर परिचर्चा की गई। सरिता सुराणा ने पहले विश्व भाषा अकादमी संस्था का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् नीरज का परिचय देते हुए उनके जन्म, प्रारम्भिक शिक्षा, उनके संघर्ष, लेखन, मायानगरी मुम्बई में फिल्मी गीतों के लेखन से लेकर उनके व्यक्तित्व की सम्पूर्ण विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।
नीरज पहले ऐसे कवि थे, जिन्हें भारत सरकार द्वारा दो बार सम्मानित किया गया। सन् 1991 में उन्हें पद्मश्री और सन् 2007 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें तीन बार फिल्मफेयर अवाॅर्ड प्रदान किया गया। वे जनता से जुड़े हुए अत्यन्त लोकप्रिय कवि और गीतकार थे। उन्होंने उनके प्रसिद्ध गीत- कारवां गुज़र गया और अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए को प्रस्तुत किया।
श्रीमती सुनीता लुल्ला ने अपनी बात रखते हुए कहा कि गीतकार नीरज के गीत उन्हें काॅलेज के जमाने से ही बहुत प्रिय हैं। उन्होंने कलकत्ता में कवि सम्मेलन में उन्हें आमने-सामने सुना है। वे स्मृतियां आज भी ताजा हैं। उनके गीतों की सारी पुस्तकें उनके पास आज भी सुरक्षित हैं। वे उच्च कोटि के हिन्दी शब्दों का प्रयोग करते थे लेकिन फिर भी उनके गीत सहज और सरल होते थे। वे अपनी शर्तों पर जीते थे। हमने नीरज के गीतों पर कार्यक्रम किया था, उनसे जुड़ी हुई यादें आज भी मानस पटल पर अंकित हैं।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह से डॉ आशा गुप्ता आशु ने कहा कि वे रेडियो पर नीरज जी के गीत सुनती थीं और उन्हें तुरन्त ही डायरी में लिख लेती थीं। उन्हें उनका गीत- स्वप्न झरे फूल से बहुत पसन्द है। कटक, उड़ीसा से श्रीमती रिमझिम झा ने कहा कि नीरज जी के गीत कालजयी हैं। आजकल के फिल्मी गीत बहुत कम समय तक याद रहते हैं लेकिन उनके गीत हमेशा याद रहेंगे।
इंडियन ओवरसीज बैंक, हैदराबाद से सेवानिवृत्त डायरेक्टर प्रेम कुमार ने नीरज के दो गीतों- अबके सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई और इतने बदनाम हुए हम का उल्लेख करते हुए कहा कि नीरज के ये सदाबहार गीत सदैव याद आते हैं। डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी ने भी नीरज के गीतों की प्रशंसा करते हुए उन्हें कालजयी गीतकार बताया। प्रथम सत्र की परिचर्चा बहुत ही सार्थक और सारगर्भित रही। सभी ने मुक्त कंठ से इसकी प्रशंसा की।
द्वितीय सत्र में सावन के गीतों पर आधारित काव्य गोष्ठी में भावना पुरोहित ने सावन से सम्बन्धित हाइकु सुनाए तो डॉ सविता गुप्ता ने बहुत सुन्दर मुक्तक प्रस्तुत किए। डॉ आशा गुप्ता आशु ने मनोरंजक कजरी गीत प्रस्तुत किया तो तृप्ति मिश्रा ने बहुत ही सुन्दर माहिया सस्वर सुनाए। रिमझिम झा ने भोजपुरी गीत प्रस्तुत किया तो डॉ ऋषि कुमार ने भी लोकगीत शैली में मनभावन गीत प्रस्तुत किया। उदयपुर, राजस्थान से उर्मिला पुरोहित ने बहुत ही भावपूर्ण सावन गीत प्रस्तुत किया।
अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए सरिता सुराणा ने सावन से सम्बन्धित कुछ हाइकु और एक नवगीत प्रस्तुत किया और सभी सहभागियों की रचनाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने सभा को नई कार्यकारिणी के गठन की सूचना दी और आगामी कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान की।
इस गोष्ठी में स्वतंत्रता सेनानी पण्डित गंगाराम स्मारक मंच, हैदराबाद के चेयरमैन भक्त रामजी, तेलंगाना समाचार के सम्पादक के राजन्ना, हिन्दी साहित्यकार डॉ सुमन लता, गीतकार सुमन दुधोड़िया, हिन्दी विद्वान एक. के. साहू भी उपस्थित थे। तृप्ति मिश्रा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी का अवसान किया गया।