कौशाम्बी : 7 सितंबर को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में श्री रामनाथ सिंह महाविद्यालय चायल, कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) में शिक्षा के अधिकार, बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त सेवाएं विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
इस शिविर में प्रमुख समाज सेवी डॉ नरेन्द्र दिवाकर ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर अपनी बात रखते हुए कहा कि भारतीय संविधान के तहत शिक्षा को भाग तीन में मौलिक अधिकार और भाग चार में नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के रूप शामिल किया गया है। यह अधिनियम संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप पाठ्यक्रम विकास के लिए प्रावधान करता है जो कि बच्चे के समग्र विकास, ज्ञान व प्रतिभा निखारने, मित्रवत एवं बाल केन्द्रित ज्ञान प्रणाली के जरिए बच्चों को भय एवं चिन्तामुक्त बनाने के साथ-साथ शिक्षा के सार्वभौमीकरण पर बल देता है और समावेशी शिक्षा की वकालत करता है।
बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का निर्माण 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य है बच्चों को इस अपराध से बचाना व समय पर न्याय दिलवाना। इस एक्ट के अन्तर्ग दोषी पाए गए व्यक्ति के लिए 3 साल से लेकर उम्रकैद व मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है।
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कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल, अपर जिला जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जनपद न्यायालय कौशाम्बी ने बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम और बच्चों के अधिकारों पर बात करते हुए कहा कि बच्चे देश की अमूल्य धरोहर और देश का भविष्य हैं इसलिए इन्हें संवारने का प्रयास सभी को करना चाहिए। हम सबकी जिम्मेदारी है कि बच्चों के अधिकारों का हनन होने से रोकें और सभी सार्वजनिक एवं निजी संस्थाओं को चाहिए कि वे बच्चों के सर्वोत्तम हितों को अपने कार्य एवं क्रियाकलापों में प्राथमिकता दें।
प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण जीवन एवं बहुमुखी विकास का जन्मजात अधिकार है, इसके अन्तर्गत बच्चों की सुरक्षा, उनके स्वास्थय एवं उनकी शिक्षा का अधिकार सम्मिलित हैं जिनका उद्देश्य बच्चों के व्यक्तित्व, योग्यता व मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास है तथा सामाजिक सुरक्षा से पूर्ण लाभ प्राप्त करने का अधिकार भी इसमें सम्मिलित है।
किशोर न्याय देखभाल एवं संरक्षण अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम, एंटी ट्रैफिकिंग एक्ट, बाल कल्याण समिति, एंटी रैगिंग एक्ट तथा भारतीय न्याय संहिता (पूर्व में भारतीय दण्ड संहिता), कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (पूर्व में दण्ड प्रकिया संहिता) की धारा 125 के तहत उपलब्ध भरण पोषण के उपबंधों सहित अन्य अधिनियमों में बालकों व उनके अधिकारों से संबंधित तमाम प्रावधानों, पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना व विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं, पात्र व्यक्तियों, तहसील स्तर पर स्थापित लीगल एड फ्रन्ट ऑफिस और वैकल्पिक विवाद समाधान पद्धति की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबन्धक डॉ. कृष्ण पटेल, सुमन सिंह, सहायक प्राध्यापक प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, चन्द्रभान सिंह, संदीप कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, राजेश कुमार, सचिन दिवाकर, पीएलवी ममता सहित शिक्षक, कर्मचारी व सैकड़ों की संख्या में छात्र-छत्राएं मौजूद रहे।