हैदराबाद: काकतीय वंश के 22वें राजा कमल चंद्र भंज देव सात सौ साल बाद गुरुवार को सुबह वरंगल का दौरा किया। इस दौरान भंज देव ने देवी भद्रकाली के दर्शन किये। इस अवसर पर भंज देव ने कहा कि वह अपने वंशों के धरती पर आकर खुश हैं। हमारा लक्ष्य लोगों की सेवा करना है। कमल चंद्र भंज देव ने उन्हें आमंत्रित करने वाले नेताओं के प्रति विशेष रूप से धन्यवाद दिया। काकतीय राजाओं ने वरंगल केंद्र में लोगों की भलाई के लिए किये गये अनेक योजनाएं और निर्माण आज भी अनुकरणीय हैं। कमल चंद्र भंज देव अपने पूर्वजों के शासन वाले क्षेत्र का भ्रमण आये हैं। भंज देव तेलंगाना सरकार द्वारा आयोजित ‘काकतीय वैभव सप्ताह’ महोत्सव में भाग लेंगे।

अपनी मां के पास लौट आया हूं
कमल चंद्र भंज देव ने कहा कि काकतीय वंशज के रूप में वरंगल की यात्रा करने का अवसर देखकर ऐसा लगता है कि मैं अपनी मां के पास लौट आया हूँ। मन अवर्णनीय आनंद से भर गया है। वरंगल के लोगों के साथ एक अविभाज्य आत्मीय संबंध हमेशा के लिए रहेगा। मुझे वरंगल और काकतीय की महिमा के बारे में बहुत पहले से ही मालूम है। मैं उच्च शिक्षा के लिए लंदन गया था। मैंने मास्टर इन इंटरनेशनल साइंस और मास्टर इन पोलिटकल साइंस की पढ़ाई की है। 2009 में भारत वापस लौट आया। अब मैं अपनी जड़ों की तलाश करते हुए वरंगल आया हूं।

मुझे काकतीय का राजा होने पर गर्व है
भंज देव ने आगे कहा कि राजशाही के इतिहास में केवल काकतीय राजाओं ने ही लोक प्रशासन किया है। हमारे पूर्वजों ने लोगों के लिए कई बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं, संरचनाओं और ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण किया। इसलिए वरंगल के लोग हमारे वंशजों को राजा के बजाय देवता के रूप में देखते/मानते हैं। मुझे काकतीय का राजा होने पर गर्व है। वरंगल के लोग हमेशा से मेरे लोग हैं। मैं उनके लिए कुछ भी करने को तैयार हूं। तेलंगाना के टार्च एनजीओ के तहत कई कार्यक्रम करूंगा। काकतीय संस्कृति को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित करने की आवश्यकता है। काकतीय के पिछले वैभव के बारे में ग्रंथबद्ध करूंगा।
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बस्तर केंद्र के रूप में काकतीय शासन
उन्होंने कहा कि काकतीय राजाओं ने बस्तर से ही राज्य प्रशासन की शुरुआत की। 22 पीढ़ियों तक हमारे वंशजों ने काकतीय मूल के साथ राज्य पर शासन किया। कई अभिलेखों में इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि हम काकतीय राजा है। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी मेमोरंडम ऑफ दी इंडियन स्टेट्स पुस्तक में भी हम काकतीय राजा होने का उल्लेख हैं। बस्तर के अनेक अभिलेखों में भी हमारे वंश का उल्लेख मिलता है। हमारा साम्राज्य आज भी बस्तर में फैला हुआ है। हालांकि मैं जगदलपुर के किले में रह रहा हूं।

सभी हथियारों का इस्तेमाल कर सकता हूं
कमल चंद्र ने कहा कि मैं सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों में निपुण हूँ। मैं गोल्फ, तीरंदाजी और पोलो खेलता हूं। फायरिंग पसंद है। मैं शाकाहारी और गैर शराबी हूँ। मैं आज भी अपने बचपन के दोस्तों से मिलता हूं। इसमें आम लोग और आईएएस, आईपीएस और नेता भी हैं।

तेलंगाना सरकार को धन्यवाद
उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार ने मुझे काकतीय महिमा (वैभव) सप्ताह महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। इस संदर्भ में तेलंगाना सरकार को धन्यवाद देता हूं। जगदलपुर में मेरे महल में आए मुख्य सचेतक दास्य विनय भास्कर और तेलंगाना भाषा और संस्कृति विभाग के निदेशक हरिकृष्ण को विशेष रूप से धन्यवाद।
