Elections-2023: सबकी नजरें गोशामहल निर्वाचन क्षेत्र पर, क्योंकि…

तेलंगाना में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे चुनावी राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। बीआरएस पार्टी चाहती है कि वह जीत जाए और विपक्षी को हार का सामना करना पड़े। विपक्ष भी चाहती है कि उसकी जीत हो जाये। इसलिए राजनीतिक पार्टियों द्वारा कई तरह की लुभावनी घोषणाएं भी की जा रही है। वहीं कुछ निर्वाचन क्षेत्र तो ऐसे हैं जो चुनाव से पहले ही चर्चा का विषय बन गए हैं। इनमें से एक है गोशामहल निर्वाचन क्षेत्र। हर पार्टी इस निर्वाचन क्षेत्र पर खास ध्यान दे रही है। आखिर क्या खास है इस क्षेत्र में। आइये देखते हैं इससे जुड़ी यह संक्षिप्त रिपोर्ट-

गोशामहल विधानसभा क्षेत्र पर सभी प्रमुख दलों की नजरें टिकी होने से क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। वर्तमान विधायक टी राजा सिंह के भाजपा से निलंबन ने एक रिक्तता पैदा कर दी है जिसने कांग्रेस, बीआरएस और यहां तक कि भाजपा के भीतर भी दावेदारों का ध्यान आकर्षित किया है।

भाजपा द्वारा अपने मौजूदा विधायक राजा सिंह के निलंबन ने निर्वाचन क्षेत्र के लिए पार्टी की योजनाओं के बारे में अटकलें तेज कर दी हैं। फिलहाल निलंबन रद्द करने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है और यह कब होगा या फिर होगा भी या नहीं अभी यह भी कहना मुश्किल है। इससे हुआ यह है कि विभिन्न दलों के दावेदार गोशामहल से चुनाव लड़ने में अपनी रुचि व्यक्त करने के लिए प्रेरित होते दिख रहे हैं।

कांग्रेस के भीतर, कई नेताओं ने गोशामहल विधानसभा सीट के लिए अपने आवेदन जमा किए हैं और सक्रिय रूप से पार्टी के आलाकमान से समर्थन मांग रहे हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि लगभग 15 आवेदन दायर किए गए हैं, जिनमें कांग्रेस मछुआरा सेल के अध्यक्ष एम साई कुमार, महासचिव प्रदेश कांग्रेस करीम लाला और महासचिव जहीर लालानी और मधुसूदन गुप्ता शामिल हैं। जहां कुछ दावेदारों के पास पूर्व राजनीतिक अनुभव है, वहीं अन्य पहली बार चुनाव लड़ने का लक्ष्य बना रहे हैं। पर खास बात तो यही है कि सबको गोशामहल सीट लुभा रही है।

गोशामहल विधानसभा क्षेत्र में हाल के वर्षों में चुनावी खींचतान देखी गई है। भाजपा ने 2014 और 2018 दोनों चुनावों में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 2009 में इस सीट पर दावा किया। निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्गठन से पहले, इसे महाराजगंज के नाम से जाना जाता था और कांग्रेस ने 1989,1999 और 2004 में इसे जीता, जबकि भाजपा 1994 में विजयी हुई।

विशेष रूप से बीआरएस ने 2018 के विधानसभा चुनावों में अपने सहयोगी एआईएमआईएम के समर्थन से गोशामहल से चुनाव लड़ा, हालांकि उसे जीत नहीं मिली। यह विशेष निर्वाचन क्षेत्र हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में अलग खड़ा है, जहां एकमात्र विधायक सीट भाजपा के पास है, जबकि शेष छह निर्वाचन क्षेत्रों में एआईएमआईएम का प्रभाव है।

गोशामहल की जनसांख्यिकीय संरचना में 40,000 से अधिक मुस्लिम मतदाता, 11,000 ईसाई और 36,000 बीसी मतदाता शामिल हैं। बीआरएस और कांग्रेस दोनों आगामी विधानसभा चुनावों के लिए इन महत्वपूर्ण वोटिंग ब्लॉकों को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। कर्नाटक में कांग्रेस की हालिया जीत के बाद पार्टी का मनोबल ऊंचा है, जिससे शहर के जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है।

कांग्रेस और बीआरएस मुस्लिम वोटों सहित प्रमुख जनसांख्यिकी पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं, जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, गोशामहल में राजनीतिक परिदृश्य गतिशील बना हुआ है। इस महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र के लिए दौड़ आने वाले महीनों में सामने आने वाली है।

अब देखना यह है कि भाजपा राजा सिंह पर से निलंबन हटाकर उन्हें टिकट देती भी है या नहीं। या फिर वहां से किसी अन्य उम्मीदवार को खड़ा करती है। वहीं टिकट न मिलने की स्थिति में राजा सिंह क्या करते हैं। वैसे देखा जाए तो यह मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है और यह तो समय ही बताएगा कि आखिर यहां से जीतेगा कौन।

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