हैदराबाद : समाज सुधरने की बजाये न जाने क्यों बिगड़ता ही जा रहा है। ऐसा नहीं कि समाझ सुधारने के लिए किसी ने भी कुछ नहीं किया है। ज्योतिबा फुले, गुरुजाडा अप्पाराव जैसे अनेक महान व्यक्तियों ने समाझ के लिए बहुत कुछ किया। ‘बलगम’ जैसे फिल्मों ने अनेक बिछड़े परिवार को मिलाया है। फिर भी कुछ लोग इंसानियत को भूल जा रहे हैं। हर कोई मानता है और मानना चाहिए कि मां से बढ़कर इस संसार में कोई नहीं है। ऐसे महान और पवित्र मां को जब जन्म देने वाली संतान ही भूख से तड़पाते है तो उन्हें क्या कहा जाये और कौन-सी सजा दी जाये। एक मां को भूख से तड़पाने वाली संतान को अंबेडकर की लिखित संविधान में सजा का क्या प्रावधान है या हमें पता नहीं है। यदि सजा का प्रावधान नहीं है तो सरकार को ऐसी संतान को चौराह पर एक लाख कोड़े से मारने का कानून बनाना चाहिए।
क्योंकि तेलंगाना में इंसानियत और मां की ममता को मिट्टी में मिला देनी वाली घटना प्रकाश में आई है। करीमनगर जिले के तिम्म्मापुर मंडल के अलगुनुरु गांव निवासी एक वयोवृद्ध महिला ने थाने में शिकायत की है कि उसके चार बेटे हैं, लेकिन कोई भी उसे दो वक्त की रोटी नहीं दे रहे हैं। उसने पूरी संपत्ति चारों बेटों में बांट दी है।
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इसके बाद चारों बेटों ने मिलकर मां को एक झोपड़ी बनाकर उसमें छोड़ दिया। इसके बाद कोई भी उसकी सूद नहीं ले रहा है। भूख से तड़प रही है वृद्ध महिला को सहा नहीं गया। एक अन्य महिला की मदद से वह थाने पहुंची और पुलिस अधिकारी को पूरी कहानी सुनाई। विनती की कि मेरे साथ न्याय कीजिए। वृद्धा की कहानी सुनकर अधिकारी को दया आई और वृद्ध महिला को आश्वासन दिया कि उसके साथ न्याय किया जाएगा।