हैदराबाद : आज वैशाख पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्रग्रहण है। यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है। ज्योतिष में उपच्छाया चंद्रग्रहण को लेकर सूतक मान्य नहीं होता। चंद्रग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट और पूजापाठ सब बंद कर दिये जाते हैं। लेकिन उपच्छाया चंद्रग्रहण के दौरान सब सामान्य रहता है। इसमें मंदिर के कपाट भी खुले रहते हैं और पूजापाठ भी चलते हैं। आपको बताते हैं चंद्र ग्रहण कितने प्रकार के होते है। साथ ही यह भी जानते हैं कि चंद्रग्रहण और उपच्छाया में क्या अंतर होते हैं।
पूर्ण चंद्रग्रहण में पृथ्वी पूर्ण से रूप से सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर आने से रोक देती है यानी कि चंद्रमा और सूर्य के बीच आकर चंद्रमा को पूर्ण रूप से ढक देती है। इसे पूर्ण चंद्रग्रहण कहते हैं। इस चंद्रग्रहण को सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है। इसमें चंद्रमा का रंग लाल और गुलाबी रंग का प्रतीत होता है और इसमें चंद्रमा के धब्बे स्पष्ट दिखते हैं।
आंशिक चंद्र ग्रहण में पृथ्वी चंद्रमा से अधिक दूरी पर स्थित होती है और सूर्य का प्रकार चंद्रमा पर पड़ने से पूर्ण रूप से नहीं रोक पाती। इस स्थिति में चंद्रमा के कुछ हिस्से पर ही पृथ्वी की छाया पड़ती है और शेष हिस्से पर सूर्य का प्रकार पड़ता है। इसलिए इसमें चंद्रमा नजर आता है और यह अवधि अधिक देर तक नहीं रहती है।
पूर्ण चंद्रग्रहण और आंशिक चंद्रग्रहण के बीच की भी एक स्थिति होती है उसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। इसमें सिर्फ पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है और इसका प्रभाव यह होता है कि चंद्रमी सतह पर हल्का सा धुंधला और मटमैला सा नजर आजा है। इसको हम उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं। ज्योतिष में इसे चंद्रग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है, इसलिए इसका सूतक भी मान्य नहीं है।
चंद्रग्रहण और उपच्छाया चंद्रग्रहण के बीच अंतर
चंद्रग्रहण में चंद्रमा का का हिस्सा कट जाता है यानी कुछ भाग काला हो जाता है। लेकिन उपच्छाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा कटता नहीं है बस मलिन हो जाता है, धुंधला दिखता है।
चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की भूभाग यानी वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। जबकि उपच्छाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा उपच्छाया शंकु से ही निकल जाता है वास्तविक छाया में प्रवेश नहीं करता है।
चंद्रग्रहण होने पर सूतक का विचार होता है। लेकिन उपच्छाया चंद्रग्रहण में सूतक मान्य नहीं होता है।
चंद्रग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट और पूजा पाठ सब बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन उपच्छाया चंद्रग्रहण के दौरान सब सामान्य रहता है। इसमें मंदिर के कपाट भी खुले रहते हैं। (एजेंसियां)