यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे: जाति मतभेद भूलकर प्यार मोहब्बत से रहते हैं बाबुराव (भैंसा) व झांसी लक्ष्मी बाई (कुत्ती)

हैदराबाद : बिना किसी लाभ की अपेक्षा किये, दूसरों के लिए सोचने और मदद के लिए केवल दोस्त ही सबसे आगे होता है। ऐसी दोस्ती केवल इंसान में ही नहीं पशुओं में भी होती है यह एक बार फिर उजागर हुआ है।

यह दोस्ती एक कुत्ती और भैंसा की हैं। अर्थात दोनों की जात अलग-अलग है। फिर भी जातिगत मतभेद भूलकर एक दूसरे के साथ बहुत ही प्यार मोहब्बत से रहते हैं। इनक घनिष्ट दोस्ती का एक दृश्य एक मीडिया पत्रकार ने अपने कैमरा में कैद हो गया है।

तेलंगाना के खम्मम जिले के कुसुमंची मंडल के पालेरु गांव निवासी दासरी श्रीनिवास के पास छह भैंसे हैं। इनमें एक भैंसा भी है। श्रीनिवास ने भैंसा का नाम बाबुराव रखा है। साथ ही उसके पास एक कुत्ती भी है। उसने उस कुत्ती का नाम झांसी लक्ष्मी बाई रखा है।

भैंसा और कुत्ती बचपन से एक साथ रहते हैं। अर्थात कभी-कभी एक दूसरे के दूर नहीं रहते हैं। भैंसों के साथ बाबुराव चरने जाता तो झांसी लक्ष्मी बाई जोर-जोर से उनके साथ जाने के लिए हंगामा खड़ा करती है।

इसके चलते श्रीनिवास ने बाबुराव के साथ झांसी लक्ष्मी बाई को भी भेजना शुरू कर दिया। मगर झांसी लक्ष्मी बाई कभी भी चलकर नहीं जाती है। वह हर दिन बाबुराव के पीठ पर बैठकर जाती है।

इनकी पक्की दोस्ती को देखकर कुछ लोग शाबास और दोस्ती की मिसाल कहते है. तो कुछ लोग इसे इंसान के लिए प्रेरणा का संदेश कहते हैं। इस दृश्य को कैमरा में कैद करने वाले पत्रकार ने कैप्शन लिखा है कि तू उठा ले, मैं रखवाली करूंगा।

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